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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 19 नवंबर। छत्तीसगढ़ में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद राज्य के कई शिक्षकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका कहना है कि सरकार शीर्ष अदालत के आदेश का पालन नहीं कर रही। याचिका में कहा गया है कि पदोन्नति के लिए टीईटी को अनिवार्य करने का नियम अब तक राज्य सरकार ने लागू नहीं किया है।
मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर स्पष्ट करने को कहा है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पदोन्नति नियमों में टीईटी की अनिवार्यता क्यों शामिल नहीं की गई। अदालत ने सरकार से उचित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
दिनेश कुमार साहू और अन्य शिक्षकों ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से याचिका दायर करते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक एवं प्रशासनिक संवर्ग) भर्ती एवं पदोन्नति नियम, 2019 में पदोन्नति के लिए टीईटी की अनिवार्यता नहीं रखी गई है। यह स्थिति सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बिल्कुल विपरीत है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इससे योग्य शिक्षकों के हित प्रभावित हो रहे हैं और सेवा नियमों में स्पष्टता की कमी बनी हुई है।
याचिका में एक सितंबर के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया है कि जिन शिक्षकों की सेवा में पांच साल से कम अवधि बची है, वे बिना टीईटी पास किए रिटायरमेंट तक सेवा दे सकते हैं, लेकिन यदि कोई शिक्षक पदोन्नति चाहता है, तो उसके लिए टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य है।


