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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 19 नवंबर। रायगढ़ जिले की एक महिला को लगभग दस साल पुरानी पॉक्सो और अपहरण के गंभीर आरोपों से आखिरकार मुक्ति मिल गई। 23 वर्षीय इस महिला पर अपने से छह वर्ष छोटे एक किशोर को बहला-फुसलाकर ले जाने और बंधक बनाकर रखने का आरोप लगा था। वर्ष 2015 में पुलिस ने उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 363, 368 और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत मामला दर्ज कर चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया था।
विचारण न्यायालय ने महिला को पॉक्सो की धारा 6 में आजीवन कारावास और अपहरण से संबंधित धाराओं में अलग-अलग सजा सुनाई थी। इस निर्णय के खिलाफ महिला ने वर्ष 2018 में हाईकोर्ट में अपील दायर की। मामले की सुनवाई के दौरान कई अहम तथ्य सामने आए, जिन्होंने पूरे प्रकरण को नया मोड़ दे दिया।
हाईकोर्ट ने पाया कि कथित पीड़ित की उम्र 18 वर्ष से कम साबित करने के लिए सिर्फ स्कूल की टीसी ही प्रस्तुत की गई थी, जबकि अन्य कोई ठोस दस्तावेज उपलब्ध नहीं था। साथ ही किशोर के बयान में यह भी सामने आया कि वह आरोपी महिला के साथ लगभग डेढ़ महीने तक उसकी सहमति से रहा था और किसी प्रकार का बल प्रयोग नहीं हुआ था। बस से घर लौटते समय पुलिस ने उसे बरामद किया था। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने महिला की अपील स्वीकार कर उसे सभी आरोपों से बरी कर दिया।
पीड़ित के पिता ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनका 17 वर्षीय बेटा 3 मई 2015 को अपनी बहन के घर गया था, जिसके बाद वह 6 मई को घर से कहीं लापता हो गया। 14 मई 2015 को पुलिस ने गुमशुदगी को अपहरण में बदलते हुए अपराध दर्ज किया। इसके बाद 29 जुलाई 2015 को पुलिस ने किशोर को महिला के पास से बरामद किया और सभी संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया था।


