ताजा खबर

हाईकोर्ट ने पहली पत्नी को ही वैध माना, दूसरी विवाह के समय थी नाबालिग
19-Nov-2025 11:56 AM
हाईकोर्ट ने पहली पत्नी को ही वैध माना, दूसरी विवाह के समय थी नाबालिग

एसईसीएल के दिवंगत कर्मचारी की संपत्ति पर दावे का मामला

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 19 नवंबर। एसईसीएल के दिवंगत कर्मचारी की संपत्ति, ग्रेच्युटी और वैवाहिक स्थिति को लेकर करीब नौ साल से चल रहे विवाद में हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। डिवीजन बेंच जस्टिस संजय के. अग्रवाल और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल ने फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए साफ कहा कि दिवंगत कर्मचारी मुंद्रिका प्रसाद की पहली पत्नी ही कानूनी रूप से वैध पत्नी थीं। दूसरी महिला द्वारा विवाह का दावा कानून की कसौटी पर नहीं टिकता है।

मुंद्रिका प्रसाद एसईसीएल चिरमिरी ओपन कास्ट माइंस में कार्यरत थे। उनका निधन 5 फरवरी 2016 को हुआ था। इसके बाद उनकी संपत्ति, ग्रेच्युटी और पीएफ को लेकर दो महिलाओं ने खुद को पत्नी बताते हुए दावा किया।

पहली पत्नी श्यामा देवी ने कहा कि वर्ष 1983-84 में रीवा जिले के खिरहाई पुरवा में हिंदू रीति-रिवाजों से उनका विवाह हुआ था और उनकी एक बेटी संगीता पटेल है। दूसरी ओर, श्यामा उर्फ राजकुमारी पटेल ने भी दावा किया कि 1989 में उसका मुद्रिका प्रसाद से विवाह हुआ और उनके चार बच्चे हैं, जिनके नाम सेवा अभिलेख में दर्ज हैं। फैमिली कोर्ट ने पहली पत्नी के विवाह को सही माना। अदालत ने दूसरी महिला के दस्तावेज आधार कार्ड और वोटर आईडी की जांच में पाया कि उसकी जन्मतिथि 1 जनवरी 1977 है। इस अनुसार वर्ष 1989 में विवाह के समय उसकी उम्र मात्र 12 वर्ष थी। हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5(3) के अनुसार विवाह के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष अनिवार्य है। इसलिए यह विवाह कानूनन अमान्य घोषित किया गया।

इसके साथ ही यह भी सामने आया कि मुद्रिका प्रसाद के निधन के बाद ग्रेच्युटी और पीएफ का भुगतान नामांकन के आधार पर ही पहली पत्नी को किया गया था। दूसरी पत्नी श्यामा उर्फ राजकुमारी ने फैमिली कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि पति की मृत्यु के बाद वैवाहिक स्थिति तय करने का अधिकार फैमिली कोर्ट के पास नहीं है। इसी दौरान पहली पत्नी श्यामा देवी की मौत हो गई और उनकी बेटी संगीता पटेल ने मुकदमा आगे बढ़ाया।

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि फैमिली कोर्ट अधिनियम की धारा 7(1)(बी) के तहत वैवाहिक स्थिति और उसकी वैधता से जुड़े विवादों पर फैसला लेना फैमिली कोर्ट का अधिकार क्षेत्र है। इस आधार पर दूसरी पत्नी की अपील खारिज कर दी गई।


अन्य पोस्ट