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शेख़ हसीना को बांग्लादेश की कोर्ट ने सुनाई मौत की सज़ा, मानवता के ख़िलाफ़ अपराध का दोषी पाया
17-Nov-2025 2:57 PM
शेख़ हसीना को बांग्लादेश की कोर्ट ने सुनाई मौत की सज़ा, मानवता के ख़िलाफ़ अपराध का दोषी पाया

ढाका, 17 नवंबर। बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को मानवता के खिलाफ़ अपराध का दोषी पाते हुए मौत की सज़ा सुनाई है।

शेख़ हसीना पर पिछले साल जुलाई-अगस्त में हुए विद्रोह के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराध के आरोप तय किए गए थे। भारत में निर्वासन में रह रहीं शेख़ हसीना की ग़ैर मौजूदगी में उनके खि़लाफ़ मामला चलाया गया था।

ढाका में मौजूद बीबीसी संवाददाता अरुणोदय मुखर्जी ने बताया है कि जैसे ही शेख़ हसीना को मौत की सज़ा सुनाई गई, कोर्ट के अंदर और बाहर कई लोगों ने जश्न मनाया।

बीबीसी संवाददाता ने देखा कि छोटे-छोटे समूह में मौजूद लोग फांसी देने के नारे लगा रहे थे। कोर्ट के अंदर कई सेकंड तक ख़ुशी मनाई गई जिसके बाद कोर्ट ने लोगों से न्यायालय की शिष्टता बनाए रखने के लिए कहा।

453 पन्नों के फ़ैसले को पढऩे से पहले न्यायमूर्ति मोहम्मद ग़ुलाम मुर्तज़ा मजूमदार ने कहा था कि इसे छह भागों में सुनाया जाएगा।

बांग्लादेश टेलीविजऩ पर फ़ैसले की घोषणा का सीधा प्रसारण किया गया।

अभियोजन पक्ष ने जून में बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में शेख़ हसीना सहित तीन लोगों के ख़िलाफ़ आधिकारिक तौर पर पांच आरोप दायर किए थे।

इसके आधार पर न्यायाधिकरण ने शेख़ हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल के खिलाफ़ गिरफ़्तारी वारंट भी जारी किया था।

पिछले साल सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान बांग्लादेश में कई हिंसक घटनाएं हुईं। उस वक्त की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना पर आरोप लगे कि मानवता के खि़लाफ़ हुए इन अपराधों में उनका हाथ है।

इस आंदोलन की वजह से शेख़ हसीना को सत्ता गंवानी पड़ी थी और अगस्त 2024 में उन्हें देश छोडक़र भागना पड़ा था। तब से वह भारत में रह रही हैं।
जून में तय किए गए थे आरोप

बीते जून में जब आरोप तय किए गए उस समय मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने दलील दी कि बीते साल जुलाई और अगस्त के दौरान 1,400 लोगों की हत्या की गई है और कऱीब 25 हज़ार लोग घायल हुए।

अभियोजन पक्ष ने न्यायाधिकरण को मृत व्यक्तियों की सूची भी सौंपी।

 

 

पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना समेत तीनों अभियुक्तों के खि़लाफ़ दायर आरोपों के समर्थन में न्यायाधिकरण में 747 पेज के दस्तावेज़ भी दाखिल किए गए।

इन तीनों अभियुक्तों के खि़लाफ़ हत्या, हत्या का प्रयास, साजि़श, सहायता और प्रोत्साहन, उकसावा देने और उनमें शामिल होने जैसे पांच आरोप लगाए गए हैं।

ताजुल इस्लाम ने न्यायाधिकरण को बताया है कि इन पांच आरोपों में 13 लोगों की हत्या का आरोप भी शामिल है। उनका कहना था, शेख़ हसीना ने बीते साल 14 जुलाई को प्रधानमंत्री पद पर रहने के दौरान एक प्रेस कॉन्फे्रंस में छात्रों को रज़ाकार के बेटे और पोते बताते हुए उकसावे वाली टिप्पणी की थी।

बांग्लादेश में रज़ाकार को देशद्रोही या ग़द्दार के तौर पर एक अपमानजनक शब्द के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। और उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिन्होंने साल 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर काम किया था और जघन्य अपराधों में शामिल थे।

आरोप पत्र में कहा गया है, अभियुक्त असदुज्जमां ख़ान कमाल और चौधरी अब्दुल्ला अल मामूल समेत सरकार के शीर्ष अधिकारियों के उकसावे पर और उनकी सहायता से, कानून व्यवस्था संभालने वाली एजेंसियों और अवामी लीग के हथियारबंद लोगों ने बड़े पैमाने पर सुनियोजित तरीके से निरीह और निहत्थे छात्रों और आम लोगों पर हमले के साथ ही उनकी हत्याओं, हत्या के प्रयासों और उत्पीडऩ में सहायता की थी।

इसमें साजि़श का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि यह सारे अपराध अभियुक्तों की जानकारी में किए गए थे।

शेख़ हसीना सहित तीनों लोगों पर रंगपुर में बेगम रोकैया विश्वविद्यालय के छात्र अबू सईद की बिना किसी उकसावे की हत्या और राजधानी के चंखर पुल में छह लोगों की हत्या का आरोप लगाया गया। इसके अलावा उनके खिलाफ़ बीते साल पांच अगस्त को, जिस दिन उन्हें बांग्लादेश छोडऩा पड़ा उस दिन भी अशुलिया में पांच लोगों की गोली मारकर हत्या कर उनके शवों को जलाने और एक व्यक्ति को जि़ंदा जलाने का भी आरोप लगाया गया था। (बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित।)  (bbc.com/hindi)


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