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बारनवापारा में हाथियों की मौत का खतरा बढ़ा, खुले-सूखे कुओं को बंद करने की मांग 7 साल से लंबित, इको टूरिज्म के लिए वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं वन विभाग- सिंघवी
06-Nov-2025 11:56 AM
बारनवापारा में हाथियों की मौत का खतरा बढ़ा, खुले-सूखे कुओं को बंद करने की मांग 7 साल से लंबित, इको टूरिज्म के लिए वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं वन विभाग- सिंघवी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 6 नवंबर। छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभयारण्य में 3 नवंबर की रात हाथियों के खुले कुएँ में गिरने की घटना को रायपुर के पर्यावरण कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने वन विभाग की घोर लापरवाही बताया है। उनका कहना है कि राज्य के वन क्षेत्रों और उनके आसपास मौजूद हजारों खुले व सूखे कुओं को बंद करने की मांग वे 2018 से लगातार कर रहे हैं, लेकिन विभाग ने इसे अब तक गंभीरता से नहीं लिया।

सिंघवी के अनुसार इस मुद्दे को उन्होंने भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के समक्ष उठाया था, जिसके बाद 2021 में केंद्र ने छत्तीसगढ़ शासन को पत्र लिखकर कार्रवाई करने को कहा और 2022 में पूरे देश के राज्यों को खुले कुओं को सुरक्षित करने के निर्देश भी दिए गए। इसके बावजूद, उनके मुताबिक, छत्तीसगढ़ के वन विभाग ने न तो समुचित सर्वे कराया और न ही बजट की माँग की।

सिंघवी ने आरोप लगाया कि प्रदेश के जंगलों और उससे लगे ग्रामीण इलाकों में 25 हजार से ज्यादा खुले और सूखे कुएँ होने का अनुमान है। इसके मुकाबले 2024 में कैंपा फंड से सिर्फ कांकेर जिले में 450 कुओं पर ही सुरक्षा दीवार बनाई गई। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) स्तर पर तो कोई कुआं बंद ही नहीं कराया गया।

सिंघवी ने यह भी आरोप लगाया कि वन विभाग का ध्यान असली संरक्षण से हटकर इको टूरिज्म बढ़ाने पर चला गया है। उन्होंने कहा कि कांगेर वैली नेशनल पार्क की झूमर और ग्रीन जैसी संवेदनशील गुफाएं जहाँ की जैव-विविधता मानव हस्तक्षेप से प्रभावित हो सकती है, उन्हें पर्यटकों के लिए खोले जाने की तैयारी चल रही है, जबकि वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए भी ऐसे ही उत्साह की जरूरत थी।

उन्होंने कहा कि विभाग अचानकमार टाइगर रिजर्व में कान्हा से ज्यादा टाइगर दिखाने जैसे दावे कर पब्लिसिटी तो लेना चाहता है, लेकिन खुले कुओं से हाथियों, तेंदुओं, भालुओं और अन्य जानवरों को बचाने पर  ध्यान नहीं दे रहा।

नितिन सिंघवी ने खुलासा किया कि बलौदाबाज़ार वनमंडल के कसडोल क्षेत्र में, जहां यह ताजा हाथी हादसा हुआ, वहीं सिद्ध बाबा झरना के पास वन विभाग की जानकारी में एक निजी यूनिवर्सिटी को अकादमिक कार्य के नाम पर फिल्म निर्माण की अनुमति दी गई। जब हाथी उसी इलाके में घूम रहे थे, तब भी शूटिंग हुई, पटाखे फोड़े गए, और अधिकारी चुप बैठे रहे।

सिंघवी ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) से स्पष्ट करने को कहा कि विभाग की पहली प्राथमिकता वन्य प्राणियों की सुरक्षा है या इको टूरिज्म? उन्होंने सवाल किया कि राज्य के जंगलों, संरक्षण क्षेत्रों और उनके आसपास के सभी खुले, सूखे और कीचड़युक्त डबरों को कब तक सुरक्षित किया जाएगा और क्या इसके लिए ठोस कार्ययोजना है।

 


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