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अदाणी समूह में 'एलआईसी के निवेश' की पीएसी से जांच कराई जाए : कांग्रेस
25-Oct-2025 8:28 PM
अदाणी समूह में 'एलआईसी के निवेश' की पीएसी से जांच कराई जाए : कांग्रेस

नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर। कांग्रेस ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए शनिवार को कहा कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा "अदाणी समूह में बड़े पैमाने पर किए गए निवेश" की संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) को जांच करनी चाहिए।

मुख्य विपक्षी दल ने अमेरिकी अखबार "वाशिंगटन पोस्ट" की एक खबर का का उल्लेख करते हुए कहा कि यह पूरा मामला पीएससी के जांच अधिकार क्षेत्र में आता है।

एलआईसी ने इन आरोपों को झूठ और निराधार करार दिया है।

कांग्रेस के आरोपों पर फिलहाल अदाणी समूह या सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, " प्रत्यक्ष लाभ अंतरण की असली लाभार्थी भारत की आम जनता नहीं, बल्कि मोदी जी के परम मित्र हैं।"

उन्होंने सवाल किया, "क्या एक आम वेतनभोगी वर्ग का व्यक्ति जो पाई-पाई जोड़कर एलआईसी का प्रीमियम भरता है, उसे ये भी मालूम है कि मोदी जी उसकी ये जमा-पूंजी अदाणी को प्रोत्साहन देने में लगा रहें हैं? क्या ये विश्वासघात नहीं है? लूट नहीं है?"

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "क्या एलआईसी का पैसा, जो अदाणी की कंपनियों में लगा है और मई, 2025 में 33,000 करोड़ रुपये लगाने की योजना थी, उस पर मोदी सरकार कोई जवाब देगी?

खरगे ने यह सवाल भी किया, "इससे पहले भी 2023 में अदाणी के शेयरों में 32 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट के बावजूद एलआईसी व स्टेट बैंक का 525 करोड़ रुपये अदाणी के एफपीओ में क्यों लगवाया गया?!

उन्होंने कहा, "अपने “परम मित्र” की जेब भरने में मशगूल मोदी जी, 30 करोड़ एलआईसी पॉलिसी धारकों की गाढ़ी कमाई क्यों लुटा रहें हैं?"

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा, "मीडिया में हाल ही में कुछ परेशान करने वाले खुलासे सामने आए हैं कि किस तरह मोदानी जॉइंट वेंचर ने एलआईसी और उसके 30 करोड़ पॉलिसी धारकों की बचत का व्यवस्थित रूप से दुरुपयोग किया।आंतरिक दस्तावेज़ बताते हैं कि भारतीय अधिकारियों ने मई, 2025 में एक ऐसा प्रस्ताव तैयार किया और उसे आगे बढ़ाया, जिसके तहत एलआईसी की लगभग 34,000 करोड़ रुपये की धनराशि का अदाणी समूह की विभिन्न कंपनियों में निवेश किया गया।"

उन्होंने दावा किया कि रिपोर्ट के अनुसार, इसका उद्देश्य “अदाणी समूह में विश्वास का संकेत देना” और “अन्य निवेशकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना” था।

रमेश का कहना है, "सवाल उठता है कि वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के अधिकारियों ने किसके दबाव में यह तय किया कि उनका काम गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण वित्तीय संकट से जूझ रही एक निजी कंपनी को बचाना है? और उन्हें सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध एलआईसी को निवेश करने के निर्देश देने का अधिकार किसने दिया? क्या यह "मोबाइल फ़ोन बैंकिंग" जैसा ही मामला नहीं है?"

उन्होंने कहा, "जब 21 सितंबर, 2024 को गौतम अदाणी और उनके सात सहयोगियों पर संयुक्त राज्य अमेरिका में आरोप तय किए गए, तो केवल चार घंटे की ट्रेडिंग में ही एलआईसी को 92 करोड़ अमेरिकी डॉलर (7,850 करोड़ रुपये) का भारी नुकसान हुआ। इससे पता चलता है कि सार्वजनिक धन को चहेते कॉरपोरेट घरानों (क्रोनी कंपनियों) पर लुटाने की कीमत कितनी भारी पड़ती है।"

रमेश ने दावा किया, "अदाणी पर भारत में महंगे सौर ऊर्जा ठेके हासिल करने के लिए 2,000 करोड़ (25 करोड़ डॉलर) की रिश्वत योजना बनाने का आरोप है। मोदी सरकार लगभग एक साल से प्रधानमंत्री के इस करीबी मित्र को अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग का समन आगे बढ़ाने से इनकार कर रही है।"

उन्होंने कहा कि "मोदानी महाघोटाला" बेहद व्यापक है और इसमें कई पहलू शामिल है। "

कांग्रेस महासचिव ने इस बात पर जोर दिया कि इस पूरे "महाघोटाले" की जांच केवल संसद की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा ही की जा सकती है।

उनका कहना है, "पहले कदम के तौर पर, संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) को यह पूरी तरह जांच करनी चाहिए कि एलआईसी को अदाणी समूह में निवेश करने के लिए कैसे मजबूर किया गया। यह जांच पूरी तरह उसके अधिकार क्षेत्र में आती है।"

' वाशिंगटन पोस्ट ' ने आंतरिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए खबर में दावा किया है कि भारतीय अधिकारियों ने मई, 2025 में विभिन्न अदाणी समूह की कंपनियों में एलआईसी फंड के लगभग 33,000 करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया और उसे आगे बढ़ाया।

बाजार नियामक सेबी ने अमेरिकी शॉर्ट-सेलर "हिंडनबर्ग रिसर्च" द्वारा लगाए गए स्टॉक में हेरफेर के आरोपों से अदाणी समूह को बरी कर दिया था और कहा कि समूह की कंपनियों के बीच पैसे का लेनदेन किसी भी विनियमन का उल्लंघन नहीं है।

उच्चतम न्यायालय के दखल के बाद सेबी जांच शुरू की गई थी।

एलआईसी ने एक बयान में कहा कि "वाशिंगटन पोस्ट" द्वारा लगाये गये आरोप झूठे, निराधार और सच्चाई से बहुत दूर" हैं कि उसके निवेश निर्णय बाहरी कारकों से प्रभावित थे।

एलआईसी ने कहा, "लेख में जैसा आरोप लगाया गया है, वैसा कोई दस्तावेज या योजना एलआईसी द्वारा तैयार नहीं की गई है, जो एलआईसी द्वारा अदाणी समूह की कंपनियों में धन डालने की रूपरेखा से संबंधित है। एलआईसी द्वारा बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों के अनुसार स्वतंत्र रूप से निवेश संबंधी निर्णय लिए जाते हैं।"

बयान में कहा गया है कि वित्तीय सेवा विभाग या किसी अन्य निकाय की ऐसे फैसलों में कोई भूमिका नहीं है। (भाषा)


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