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भोपाल, 11 सितंबर। मध्यप्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई से पहले सरकार पर दबाव बनाने के लिए ओबीसी महासभा एवं कुछ अन्य संगठनों ने राज्य सरकार पर शीर्ष अदालत में मजबूती से समुदाय का पक्ष रखने का अनुरोध किया।
ओबीसी महासभा, भीम आर्मी और जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) के पदाधिकारियों ने यहां एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य सरकार ने उनकी मांगों को अनसुना किया तो वे व्यापक स्तर पर आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।
ओबीसी महासभा की कार्यकारिणी सदस्य कमलेंद्र सिंह पटेल ने कहा, ‘‘शासकीय नौकरी में ‘होल्ड’ किए गए 13 प्रतिशत आरक्षण को तत्काल ‘अनहोल्ड’ कर 27 प्रतिशत आरक्षण के अनुसार नियुक्तियां की जाएं।’’
उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना करायी जाए और जनसंख्या आंकड़े सार्वजनिक हों तथा जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण लागू किया जाए।
पटेल ने कहा,‘‘मध्यप्रदेश के लाखों ओबीसी युवा पिछले छह सालों से 13 प्रतिशत आरक्षण ‘होल्ड’ का दंश झेल रहे हैं। यह अन्याय अब असहनीय हो गया है।’’
उन्होंने चेतावनी दी कि उच्चतम न्यायालय में रोजाना होने वाली सुनवाई में सरकार ने ओबीसी समुदाय का पक्ष मजबूती से नहीं रखा तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।
यह मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है और 22 सितंबर से इसकी रोजाना सुनवाई होनी है।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मामले पर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी और कहा था कि राज्य में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने को लेकर सभी राजनीतिक दल एकमत हैं और विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका तीनों मिलकर इसे लागू कराने के लिए संयुक्त प्रयास करेंगे।
साल 2019 में, तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य में सरकारी नौकरियों और शिक्षा में ओबीसी कोटा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का फैसला किया था लेकिन मामला अदालत में जाने के कारण यह लागू नहीं हो सका। (भाषा)