ताजा खबर

50 लाख रुपये जब्त करने के फैसले को कमर्शियल कोर्ट ने सही ठहराया, सिटी बस सेवा कंपनी की याचिका खारिज
12-Sep-2025 11:33 AM
50 लाख रुपये जब्त करने के फैसले को कमर्शियल कोर्ट ने सही ठहराया, सिटी बस सेवा कंपनी की याचिका खारिज

रकम से बसों की मरम्मत कर फिर से चलाने का हलफनामा दिया प्रतिवादी समिति ने

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 12 सितंबर। नवा रायपुर स्थित कमर्शियल कोर्ट ने बिलासपुर की सिटी बस सेवा से जुड़े विवाद पर गुरुवार को महत्वपूर्ण फैसला दिया। जज पंकज शर्मा की अदालत ने सन मेगा वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने जिला नगरीय सार्वजनिक सेवा समिति द्वारा 50 लाख रुपए की सिक्योरिटी राशि जब्त करने की कार्रवाई को चुनौती दी थी।

कंपनी ने दलील दी थी कि समिति उसकी सिक्योरिटी राशि को जब्त या खर्च न करे, जब तक मध्यस्थ न्यायाधिकरण इस विवाद का निपटारा न कर दे। लेकिन अदालत ने यह कहते हुए राहत देने से इनकार कर दिया कि कंपनी ने तथ्यों को छिपाया है और 'क्लीन हैंड्स' के सिद्धांत पर खरी नहीं उतरी।

मामला सिटी बस संचालन और रखरखाव से जुड़े टेंडर का है। दिसंबर 2022 में कंपनी को एलओआई और जनवरी 2023 में अनुबंध मिला था। समिति की ओर से एडवोकेट अनादि शर्मा ने कोर्ट को बताया कि कंपनी ने बार-बार अनुबंध का उल्लंघन किया। 40 बसों के लिए 1.38 करोड़ रुपए की एडवांस राशि मिलने के बावजूद केवल 18 बसें ही चलाई गईं। कई गाड़ियां बिना बीमा, परमिट और फिटनेस सर्टिफिकेट के सड़कों पर दौड़ाई गईं, जिससे यात्रियों की सुरक्षा खतरे में पड़ी। इस पर हाईकोर्ट को भी स्वतः संज्ञान लेना पड़ा।

समिति ने कहा कि दो वर्षों में कई नोटिस दिए गए, जिनमें अंतिम नोटिस 11 अगस्त 2025 को दिया गया। इसके बावजूद कंपनी ने सुधारात्मक कदम नहीं उठाए। कोर्ट ने पाया कि कंपनी ने अपने आवेदन में इस तथ्य को छिपाया।

अदालत ने कहा कि 50 लाख रुपए की परफॉर्मेंस सिक्योरिटी एक तय राशि है, जिसे अनुबंध उल्लंघन पर जब्त किया जा सकता है और यदि मध्यस्थता में कंपनी का पक्ष मजबूत हुआ तो उसे यह राशि वापस भी मिल सकती है। इसलिए इसे 'अपूरणीय क्षति' नहीं माना जा सकता।

साथ ही कोर्ट ने माना कि यह मामला सार्वजनिक हित से जुड़ा है क्योंकि इस समय बिलासपुर की सिटी बस सेवा प्रभावित है और हाईकोर्ट पहले से ही इस पर निगरानी रख रहा है। समिति ने हलफनामा देकर आश्वासन दिया कि जब्त की गई राशि से बसों की मरम्मत कर उन्हें फिर से चलाया जाएगा। इन परिस्थितियों में अदालत ने कंपनी की अंतरिम राहत की मांग खारिज कर दी।

 


अन्य पोस्ट