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मणिपुर में हिंसा के बाद पीएम मोदी का पहला दौरा, 73 हज़ार करोड़ के विकास कार्यों की रखेंगे आधारशिला
12-Sep-2025 9:26 AM
मणिपुर में हिंसा के बाद पीएम मोदी का पहला दौरा, 73 हज़ार करोड़ के विकास कार्यों की रखेंगे आधारशिला

-राघवेंद्र राव

आधिकारिक घोषणा न होने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 13 सितंबर को मणिपुर आना तय माना जा रहा है. मई 2023 में जातीय हिंसा शुरू होने के बाद इस पूर्वोत्तर राज्य का ये उनका पहला दौरा होगा.

इंफाल, जो कि मैतेई समुदाय का गढ़ और मणिपुर की राजधानी है और चुराचांदपुर, जो कि कुकी बहुल ज़िला है, दोनों जगह प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों की तैयारियाँ चल रही हैं. राज्य के कुछ हिस्सों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और नो-फ्लाई ज़ोन घोषित किए गए हैं.

बीबीसी को मिली जानकारी के मुताबिक़, प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को पहले मणिपुर के चुराचांदपुर ज़िले पहुंचेंगे. यह वही जगह है जहाँ 3 मई 2023 को हिंसा शुरू हुई थी जो धीरे-धीरे पूरे राज्य में फैल गई थी.

चुराचांदपुर के पीस ग्राउंड में प्रधानमंत्री मोदी 73 हज़ार करोड़ रुपए से ज़्यादा लागत के विकास कार्यों की आधारशिला रखेंगे. इनमें प्राइम मिनिस्टर डेवलपमेंट इनिशिएटिव फॉर नॉर्थ ईस्ट रीजन योजना के तहत राज्य के पांच पहाड़ी ज़िलों में सुपर स्पेशलटी हैल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना शामिल है.

चुराचांदपुर के बाद प्रधानमंत्री इंफाल पहुंचेंगे जहां उनकी जनसभा के लिए कांगला फ़ोर्ट में एक बड़ा मंच तैयार किया जा रहा है. यहां से प्रधानमंत्री 1,200 करोड़ रुपए से ज़्यादा लागत वाले विकास कार्यों का उद्घाटन करेंगे.

प्रधानमंत्री का यह दौरा 28 महीनों की गंभीर उथल-पुथल, राजनीतिक गतिरोध और केंद्र सरकार की बढ़ती आलोचना के बाद हो रहा है.

मई 2023 में जातीय संघर्ष की शुरुआत उस प्रस्ताव से हुई थी जिसमें बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा देने की बात थी, जिससे उन्हें आरक्षण और अन्य सुविधाएँ मिल सकती थीं.

देखते ही देखते ये विवाद मैतेई और कुकी-ज़ो जनजातियों के बीच एक बड़े जातीय संघर्ष में बदल गया था जिसमें अब तक कम से कम 250 लोगों की जान जा चुकी है और 60,000 से ज़्यादा लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं.

फरवरी 2025 से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है और राज्य विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है. राज्य में कानून-व्यवस्था की ज़िम्मेदारी अब केंद्रीय सुरक्षा बलों के हाथ में है, और प्रशासन पर भारी दबाव है.

हिंसा के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य का दौरा नहीं किया, जिसे लेकर विपक्ष और कई नागरिक संगठनों ने सवाल उठाए हैं.

कुछ कुकी संगठनों ने प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा को ख़ास और ऐतिहासिक बताया है, लेकिन कुछ लोगों ने उनका स्वागत करने की योजना को ये कहते हुए ग़लत कहा है कि ऐसा स्वागत उन हालात में ठीक नहीं हैं जब अभी भी हज़ारों लोग बेघर हैं. मैतेई समुदाय ने कहा है कि उन्हें दिखावे की बातों से कहीं ज़्यादा की उम्मीद है.

प्रतिबंधित समूहों में से एक अन्य संगठन ने प्रधानमंत्री के दौरे का विरोध करने और 13 सितंबर को बंद रखने का एलान किया है. (bbc.com/hindi)


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