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राज्य सरकार की अपील खारिज, युवक पॉक्सो एक्ट से बरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 26 जुलाई। हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि किसी नाबालिग लड़की को सिर्फ आई लव यू कह देना यौन शोषण नहीं माना जा सकता, जब तक उसमें साफ तौर पर कोई अश्लील इरादा न हो।
जस्टिस संजय एस. अग्रवाल की अदालत ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए आरोपी युवक को बरी कर दिया और राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी।
यह मामला धमतरी जिले के कुरूद का है। 14 अक्टूबर 2019 को 15 साल की एक छात्रा स्कूल से लौट रही थी, तभी एक युवक ने उसे देखकर आई लव यू कहा। छात्रा ने शिकायत में बताया कि वह पहले भी कई बार उसे परेशान कर चुका था और स्कूल के टीचर्स से डांट भी खा चुका था।
पुलिस ने आरोपी युवक पर छेड़छाड़, पॉक्सो एक्ट और एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था। लेकिन ट्रायल कोर्ट ने सबूतों के अभाव में युवक को बरी कर दिया।
राज्य सरकार ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन कोर्ट ने साफ किया कि न तो किसी गवाही में युवक द्वारा कोई अश्लील या गंदी भाषा इस्तेमाल करने का जिक्र था और न ही यह साबित हुआ कि उसे छात्रा की जाति की जानकारी थी।
इसलिए एससी-एसटी एक्ट भी लागू नहीं होता। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ आई लव यू कहने से मामला यौन शोषण नहीं बनता, जब तक कि उसमें साफ यौन मंशा न हो।