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-इमरान क़ुरैशी
फ़ारूक़ अहमद मलिक की लूट की योजना का पर्दाफ़ाश पाव भाजी ने कर दिया.
मलिक सोने का व्यापार करते थे और उन पर 40 लाख रुपये का कर्ज़ हो गया था जिसे वह उतारना चाहते थे.
पुलिस के मुताबिक़ इसके लिए उन्होंने एक अन्य सोने के व्यापारी को लूटने की योजना बनाई.
उन्होंने एक गिरोह तैयार किया था, जिसके सदस्य कर्नाटक के कलबुर्गी शहर में मुथुल्ला मलिक की ज्वेलरी की दुकान को लूटने के लिए तैयार हो गए.
लूट की घटना
इस गिरोह में पांच लोग थे. उन्होने वारदात से ठीक पहले आपस में सलाह-मशविरा किया और उसके बाद उनमें से चार अपना चेहरा पूरी तरह ढंक कर दुकान में दाख़िल हो गए ताकि उनकी पहचान छुपी रह सके.
उन्होंने मुथुल्ला मलिक को डराने के लिए पिस्टल जैसे दिखने वाले एक लाइटर का इस्तेमाल किया. उन्होंने उनके हाथ-पैर रस्सी से बांध दिए, दुकान के सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए और लगभग दो करोड़ 15 लाख रुपये का सोना और ज्वेलरी लूट लिया.
मुथुल्ला मलिक ने पुलिस शिकायत में कहा कि 11 जुलाई को दोपहर 12.15 बजे चार लोग उनकी दुकान में घुस आए और उनमें से एक ने उनके सिर पर बंदूक तान दी, दूसरे व्यक्ति ने उनके गले पर चाकू रख कर धमकाया और तीसरे ने सीसीटीवी के तार काट दिए.
उन्होंने लॉकर की चाबी देने का आदेश दिया. उन्होंने उनके हाथ और पैर बंद कर उनके मुंह में कपड़ा ठूंस दिया और टेप लगा दिया.
शिकायत के आधार पर कलबुर्गी पुलिस ने चोरों की तलाश के लिए पांच टीमों का गठन किया.
जांच के दौरान पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले और पाया कि दुकान के अंदर केवल चार लोग दाख़िल हुए थे, लेकिन सीसीटीवी फुटेज में दुकान के बाहर पांच लोग दिखे थे.
इस पांचवे व्यक्ति का मोबाइल नंबर ट्रेस नहीं हो पा रहा था. जबकि चार लोगों ने अपने मोबाइल फेंक दिये थे.
जब पुलिस ने इलाक़े का सीसीटीवी फुटेज खंगाला तो इनमें से एक व्यक्ति को एक पाव भाजी की दुकान पर खड़ा देखा गया. जहां से उसका नंबर मिला.
यह पांचवां व्यक्ति ही पूरे मामले का मास्टरमाइंड और कर्ज में दबा सुनार था.
पुलिस ने उन चारों के मोबाइल नंबरों की जांच शुरू की जो दुकान के अंदर दाख़िल हुए थे.
जांच में सामने आया कि अयोध्या प्रसाद चौहान उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं लेकिन मुंबई में फुटपाथ पर कपड़े बेचते हैं.
सुहैल मोबाइल चोरी जैसे छोटे-मोटे अपराधों में लिप्त थे और मुंबई में ही रहते हैं. फ़ारूक़ मलिक मूल रूप से पश्चिम बंगाल के हैं लेकिन कलबुर्गी में कारोबार करते हैं. अरबाज़ और साजिद स्थानीय निवासी हैं.
जांच में पाया गया कि फ़ारूक़ मलिक ज्वेलरी शॉप में दाख़िल नहीं हुए थे. वही पांचवें व्यक्ति थे जो लूट के समय घटनास्थल से भाग गए थे. लेकिन गिरोह के बाकी सदस्यों तक पहुंचने में उनसे ही पुलिस को अहम सुराग मिले.
कलबुर्गी के पुलिस कमिश्नर डॉ. एस शरणप्पा ने बीबीसी हिंदी को बताया, ''फ़ारूक़ मलिक ने वारदात के समय एक अलग मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल किया था. लेकिन जब उन्होंने पाव भाजी का भुगतान किया, तो एक अलग नंबर से. यही हमारे लिए सबसे अहम सुराग साबित हुआ.''
उन्होंने बताया, ''हमें जो जानकारी मिली थी उसके अनुसार, वारदात को चार लोगों ने अंजाम दिया था. सीसीटीवी फुटेज में चार लोगों के दुकान में आने और बाहर जाने की तस्वीरें थीं. हमें पता चला कि पांचवां व्यक्ति ज्वेलरी शॉप में दाख़िल ही नहीं हुआ था और वह था फ़ारूक़ मलिक."
चोरी से अधिक बरामद हुआ सोना
पुलिस ने पूरे 2.8 किलोग्राम सोना और आभूषण बरामद कर लिए. लेकिन इसके बाद मुथुल्ला मलिक की ओर से एक अलग कहानी सामने आई.
उन्होंने पुलिस को शिकायत दी थी कि केवल 850 ग्राम सोना चोरी हुआ है. लेकिन जब पुलिस ने उनके बहीखाते जांचे, तो आंकड़े मेल नहीं खाए.
आरोप है कि उन्होंने अपने कारोबार के दस्तावेज़ों में दो किलो सोने का कोई हिसाब नहीं रखा था. इस मामले में पुलिस ने अलग से केस दर्ज किया है.
पुलिस को पता चला है कि पूरे गैंग के तार अंतराज्यीय स्तर पर फैले हैं और उन पर 10 से 15 लूट के मामले दर्ज हैं. (bbc.com/hindi)