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ईडी का प्रेस नोट
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 21 जुलाई । शराब घोटाले में गिरफ्तार पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को कल मंगलवार को विशेष कोर्ट में पेश करेगी। इससे परे ईडी ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा है कि चैतन्य इस घोटाले में 16.70 करोड़ रुपए मिले थे। और उसने इसे रियल एस्टेट कंपनियों में निवेश किया था। यह राशि नगद में ही ली थी।
ईडी ने राज्य में शराब घोटाले में आईपीसी, 1860 और,भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की ईओडब्ल्यू-एसीबी द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की। पुलिस जांच से पता चला है कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के कारण राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और अनुसूचित अपराधों के कमीशन से उत्पन्न 2500 करोड़ रुपये से अधिक की अपराध की आय (पीओसी) से लाभार्थियों की जेबें भर गईं।
ईडी जांच से पता चला है कि चैतन्य बघेल को 16.70 करोड़ रुपये की घोटाले से प्राप्त हुई थी। उक्त राशि मिलाने के लिए अपनी रियल एस्टेट फर्मों का इस्तेमाल किया था। यह पता चला है कि उक्त नकद राशि का उपयोग अपनी रियल एस्टेट परियोजना के विकास में किया था।
घोटाले की राशि का उपयोग उनकी परियोजनाओं के ठेकेदार को नकद भुगतान, नकदी के खिलाफ बैंक प्रविष्टियों आदि के माध्यम से किया गया था। उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के साथ भी मिलीभगत की, और अपनी कंपनियों का उपयोग एक योजना तैयार करने के लिए किया, जिसके अनुसार उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के कर्मचारियों के नाम पर अपने ‘वि_लपुरम प्रोजेक्ट’ में फ्लैटों की खरीद की आड़ में अप्रत्यक्ष रूप से 5 करोड़ रुपये प्राप्त किए।
बैंकिंग ट्रेल से पता चलता है कि लेनदेन की संबंधित अवधि के दौरान, त्रिलोक सिंह ढिल्लों ने अपने बैंक खातों में शराब सिंडिकेट से भुगतान प्राप्त किया था।
इसके अलावा, शराब घोटाले से उत्पन्न 1000 करोड़ रुपये से अधिक के राशि को संभालने का भी आरोप पाया गया है। वह छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन कोषाध्यक्ष को हस्तांतरित करने के लिए अनवर ढेबर और अन्य के साथ समन्वय करते थे। ईडी द्वारा की गई जाँच से पता चला है कि इस शराब घोटाले से प्राप्त धनराशि को आगे निवेश के लिए बघेल परिवार के प्रमुख सहयोगियों को भी सौंप दिया गया था। इस निधि के अंतिम उपयोग की आगे जाँच की जा रही है।
इससे पहले, अनिल टुटेजा (पूर्व आईएएस), अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी (आईटीएस) और कवासी लखमा (विधायक और छत्तीसगढ़ के तत्कालीन आबकारी मंत्री) को ईडी ने इस मामले में गिरफ्तार किया था।