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नयी दिल्ली, 21 जुलाई। उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आचरण पर सवाल उठाए तथा मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) से भूखंड आवंटन मामले में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी बी एम पार्वती के खिलाफ मामला रद्द करने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा।
राजनीतिक लड़ाई में एजेंसी को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने के खिलाफ आगाह करते हुए प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, ‘‘राजनीतिक लड़ाई मतदाताओं के सामने लड़ी जाए। आपका (ईडी का) इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है।’’
प्रधान न्यायाधीश गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली ईडी की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बी एम पार्वती से जुड़े एमयूडीए मामले की कार्यवाही रद्द कर दी गई थी।
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘श्रीमान राजू (ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू), कृपया हमें मुंह खोलने के लिए मजबूर न करें। अन्यथा, हमें ईडी के बारे में कुछ कठोर टिप्पणियां करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। दुर्भाग्यवश, मुझे महाराष्ट्र में इसका अनुभव है। देशभर में इस तरह की कार्रवाई को बढ़ावा न दें। राजनीतिक लड़ाई मतदाताओं के सामने लड़ी जानी चाहिए। आपका (ईडी का) इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है।’’
ईडी की अपील पर शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, ‘‘हमें (उच्च न्यायालय के) विद्वान एकल न्यायाधीश के दृष्टिकोण में अपनाए गए तर्क में कोई त्रुटि नहीं दिखती... हम इसे खारिज करते हैं।’’
पीठ ने मज़ाक में कहा, ‘‘कुछ कठोर टिप्पणियों से बचने के लिए हमें एएसजी को धन्यवाद देना चाहिए।’’
उच्च न्यायालय ने इस मामले में मुख्यमंत्री की पत्नी को ईडी की ओर से भेजे गये समन को सात मार्च को खारिज कर दिया था।
उच्च न्यायालय ने शहरी विकास मंत्री बी एस सुरेश (ब्यारथी सुरेश) को भेजे गये समन को भी रद्द कर दिया था, जिन्हें आरोपी के रूप में नामित नहीं किया गया था, लेकिन ईडी ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था।
उच्च न्यायालय ने पार्वती एवं सुरेश की याचिकाओं पर यह आदेश दिया था। पार्वती एवं सुरेश ने ईडी के कदम को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
सिद्धरमैया पर भी एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी पार्वती को 14 भूखंडों के आवंटन में अनियमितताओं के आरोप हैं।
सिद्धरमैया, उनकी पत्नी, साले बी एम मल्लिकार्जुन स्वामी, देवराजू और अन्य को सांसदों/विधायकों के मामलों से निपटने वाली विशेष अदालत के आदेश के बाद 27 सितंबर, 2024 को मैसूर स्थित लोकायुक्त पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर नामजद किया था। स्वामी ने देवराजू से जमीन खरीदी थी और उसे पार्वती को उपहार में दिया था ।
पिछले साल 30 सितंबर को, ईडी ने लोकायुक्त की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए एक प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट दर्ज की थी।
हालांकि, लोकायुक्त पुलिस ने जून में सिद्धरमैया, पार्वती और दो अन्य आरोपियों को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी।
कहा गया कि सबूतों के अभाव में उनके खिलाफ मामला साबित नहीं हो पाया।
ईडी ने धनशोधन रोकथाम अधिनियम, 2002 के तहत जांच के बाद 17 जनवरी को जारी अपने अनंतिम कुर्की आदेश में सिद्धरमैया और अन्य पर एमयूडीए भूखंड आवंटन मामले में धनशोधन का आरोप लगाया।
मूल आरोप है कि सिद्धरमैया की पत्नी को मैसूरु (विजयनगर लेआउट तीसरे और चौथे चरण) के एक पॉश इलाके में 14 प्रतिपूरक भूखंड आवंटित किए गए थे। एमयूडीए ने उसके द्वारा ‘अधिग्रहीत’ की गयी जमीन के एवज में ये भूखंड उन्हें दिये थे। प्रतिपूरक भूखंड अधिग्रहीत जमीन से बहुत अधिक महंगे थे।(भाषा)