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कहा – निजता का उल्लंघन नहीं किया जा सकता
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 16 जुलाई। पति-पत्नी के विवाद में पत्नी की मोबाइल कॉल डिटेल हासिल करने की मांग पर दायर याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि निजता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा है और इसमें किसी की पारिवारिक जीवन, वैवाहिक संबंध, शारीरिक संबंधों की गोपनीयता और यौन झुकाव को संरक्षित किया गया है। ऐसे मामलों में बिना पुख्ता आधार के हस्तक्षेप मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना जाएगा।
दुर्ग जिले के रहने वाले एक युवक ने राजनांदगांव की युवती से 4 जुलाई 2022 को हिंदू रीति-रिवाज से शादी की थी। युवक ने बाद में तलाक के लिए हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 (1) (i) के तहत अर्जी लगाई थी। आरोप था कि शादी के 15 दिन बाद पत्नी मायके चली गई और उसके बाद उसका व्यवहार पूरी तरह बदल गया। पत्नी ने ससुराल में सास और देवर से दुर्व्यवहार किया और फिर वापस नहीं लौटी।
इसके बाद पति ने 7 अक्टूबर 2022 को वैवाहिक संबंधों की पुनर्स्थापना के लिए कोर्ट में धारा 9 के तहत याचिका लगाई, वहीं पत्नी ने भी भरण-पोषण की मांग करते हुए धारा 125 के तहत अर्जी दी और पति के परिजनों के खिलाफ घरेलू हिंसा की कार्यवाही शुरू हो गई।
पति ने 24 जनवरी 2024 को दुर्ग के एसएसपी के पास आवेदन देकर पत्नी के कॉल डिटेल्स मांगे, पर पुलिस ने उसे यह जानकारी नहीं दी। इसके बाद उसने फैमिली कोर्ट में अर्जी लगाई, लेकिन वहां भी याचिका खारिज हो गई। याचिका खारिज होने के बाद पति ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई।
मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडे की एकलपीठ में हुई। कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि याचिकाकर्ता ने तलाक की अर्जी में कहीं भी विवाहेतर संबंध का आरोप नहीं लगाया था। ऐसे आरोप केवल लिखित बहस में पहली बार सामने लाए गए। इसके अलावा, पत्नी की कॉल डिटेल मांगने की अर्जी में भी इस तरह का कोई आरोप नहीं था।
कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की निजता, खासकर वैवाहिक जीवन और व्यक्तिगत संबंधों की गोपनीयता को सिर्फ संदेह या बिना ठोस आधार के भंग नहीं किया जा सकता। ऐसे में फैमिली कोर्ट द्वारा याचिका खारिज करना पूरी तरह सही कदम था।