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जयपुर, 16 जुलाई। दक्षिण पश्चिमी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने बुधवार को यहां कहा कि भारतीय सेना को आधुनिक और भविष्य के युद्धों की बहुआयामी चुनौतियों का सामना करने के लिए तेजी से नवाचार अपनाने की आवश्यकता है।
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने जयपुर स्थित सैन्य अड्डे में आयोजित ‘नेक्स्ट जनरेशन कॉम्बैट: शेपिंग टूमारोज मिलिट्री टुडे’ संगोष्ठी में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता में उन्नत प्रणालियों, सटीक आयुध, खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) क्षमताओं, विशेष रूप से ड्रोन की प्रभावी तैनाती की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने निर्णय लेने की क्षमता को बेहतर बनाने, संसाधनों के अनुकूल उपयोग और सैन्य अभियानों की गति एवं सटीकता बढ़ाने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की अपार संभावनाओं की सराहना की।
सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि घातक स्वायत्त हथियार प्रणालियों (एलएडब्ल्यूएस) के विकास और तैनाती में मजबूत नैतिक ढांचे, मानवीय निगरानी और अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानूनों का पालन अत्यावश्यक है।
उन्होंने ‘साउथ वेस्टर्न कमांड’ और जयपुर स्थित ‘मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ के बीच रक्षा प्रौद्योगिकी के संयुक्त स्वदेशीकरण, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) की सराहना की।
संगोष्ठि के दौरान ‘सप्त शक्ति सिम्पोजियम’ नाम की प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें रक्षा उद्योग द्वारा विकसित नवीनतम उपकरणों का प्रदर्शन किया गया।
इस प्रदर्शनी का आयोजन ‘सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स’ द्वारा किया गया।
इस संगोष्ठि में देश की प्रमुख और नवोदित रक्षा उत्पादन कंपनियों ने भाग लिया और सेना के अधिकारियों से संवाद किया। (भाषा)