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रायपुर, 14 जुलाई। दादाबाड़ी में आत्मोत्थान चातुर्मास प्रवचन के दौरान सोमवार को साध्वी हंसकीर्ति ने कहा कि प्रभु की सच्चे मन से आराधना करने से मन को शांति मिलती है और जीवन में संतुलन बना रहता है। जो व्यक्ति प्रभु से जुड़ते हैं, उनके जीवन में बड़ी कठिनाइयाँ नहीं आतीं। जब किसी के जीवन में परेशानियाँ आती हैं—जैसे व्यापार में घाटा, बीमारी, आगजनी या कोई अन्य संकट—तो लोग अक्सर इसे पिछले जन्म के कर्मों का परिणाम मानते हैं। वे सोचते हैं कि हमने तो धर्म किया, फिर हमारे साथ ऐसा क्यों हो रहा है?
सोचिए, अगर आप ज्यादा तेल-मसाले वाला खाना खा लें और आपकी तबीयत बिगड़ जाए, तो डॉक्टर आपसे पूछता है आपने क्या खाया था। जैसे ही आप बताते हैं, वह कारण समझ जाता है। ठीक वैसे ही, जब हम कुछ गलत करते हैं, तो उसका असर भी हमें ही झेलना पड़ता है, लेकिन हम उसे “पूर्व जन्म का फल” कहकर टाल देते हैं।
जीवन में कोई संकट आए—बीमारी हो, घर में कलह हो या कोई आपकी बात न माने—तो धैर्य बनाए रखें। मन को स्थिर रखें और संयम के साथ परिस्थिति का सामना करें।