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नयी दिल्ली, 14 जुलाई। ड्रैगन ग्रेस अंतरिक्ष यान के सोमवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से अलग होने के साथ शुभांशु शुक्ला और वाणिज्यिक एक्सिओम-4 मिशन के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की पृथ्वी की वापसी यात्रा शुरू हो गई।
पिछले 18 दिनों से चारों अंतरिक्ष यात्री आईएसएस पर थे। ड्रैगन अंतरिक्ष यान आईएसएस से भारतीय समयानुसार शाम 4:45 बजे अलग हुआ। इसमें मूल कार्यक्रम से 10 मिनट की देरी हुई तथा कक्षीय प्रयोगशाला से दूर जाने के लिए उसने दो बार थ्रस्टर्स चालू किए।
शुक्ला, कमांडर पैगी व्हिटसन, तथा मिशन विशेषज्ञ पोलैंड के स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू सहित एक्सिओम-4 के चालक दल ने 26 जून को आईएसएस से जुड़ने के बाद से लगभग 76 लाख मील की दूरी तय करते हुए पृथ्वी के चारों ओर लगभग 433 घंटे या 18 दिन में 288 परिक्रमाएं कीं।
गले मिलने और हाथ मिलाने के बाद, चारों अंतरिक्ष यात्री अनडॉकिंग से लगभग दो घंटे पहले ड्रैगन अंतरिक्ष यान में प्रवेश कर गए, अपने स्पेससूट पहन लिए और भारतीय समयानुसार अपराह्न 2:37 बजे अंतरिक्ष यान को आईएसएस से जोड़ने वाले हैच को बंद कर दिया।
रविवार को आईएसएस पर विदाई समारोह में शुक्ला ने कहा, ‘‘जल्दी ही धरती पर मुलाकात करते हैं।’’
राकेश शर्मा के 1984 में अंतरिक्ष की यात्रा करने के बाद शुक्ला दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं।
अंतरिक्ष स्टेशन के आसपास के सुरक्षित क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद, अंतरिक्ष यात्रियों ने पृथ्वी पर वापसी की 22.5 घंटे की आरामदायक यात्रा के लिए अपने स्पेससूट उतार दिए। ड्रैगन ग्रेस अंतरिक्ष यान द्वारा मंगलवार को भारतीय समयानुसार दोपहर 3:01 बजे कैलिफ़ोर्निया तट पर पहुंचने के लिए डी-ऑर्बिट प्रक्रिया शुरू करने से पहले, अंतरिक्ष यात्री एक बार फिर स्पेससूट पहनेंगे।
चारों अंतरिक्ष यात्रियों को पुनर्वास में सात दिन बिताने होंगे, क्योंकि उन्हें कक्षा में अनुभव की जाने वाली भारहीनता के विपरीत, गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में पृथ्वी पर जीवन के लिए खुद को ढालना होगा।
रविवार को ‘एक्सपीडिशन 73’ के अंतरिक्ष यात्रियों ने एक्सिओम-4 चालक दल के लिए एक पारंपरिक विदाई समारोह का आयोजन किया।
एक्सिओम-4 मिशन चार दशकों से अधिक समय के बाद भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए अंतरिक्ष में वापसी का प्रतीक था।
अंतिम तैयारियों में कैप्सूल के ट्रंक को अलग करना और वायुमंडल में प्रवेश से पहले हीट शील्ड को स्थापित करना शामिल है, जिससे अंतरिक्ष यान लगभग 1,600 डिग्री सेल्सियस के तापमान के संपर्क में आएगा।
पैराशूट दो चरण में तैनात किए जाएंगे - पहले लगभग 5.7 किमी की ऊंचाई पर स्थिरीकरण पैराशूट, उसके बाद लगभग दो किमी की ऊंचाई पर मुख्य पैराशूट।
अपने आदर्श राकेश शर्मा को याद करते हुए शुक्ला ने कहा कि 41 साल पहले एक भारतीय ने अंतरिक्ष की यात्रा की थी और बताया था कि वहां से भारत कैसा दिखता है।
शुक्ला ने कहा, “हम सभी आज भी यह जानने को उत्सुक रहते हैं कि ऊपर से आज भारत कैसा दिखता है। आज का भारत महत्वाकांक्षी दिखता है... आज का भारत निडर दिखता है,...आज का भारत आश्वस्त दिखता है.. आज का भारत गर्व से पूर्ण दिखता है।”
उन्होंने कहा, “इन सभी कारणों से, मैं एक बार फिर कह सकता हूं कि आज का भारत अब भी 'सारे जहां से अच्छा' दिखता है। जल्दी ही धरती पर मुलाकात करते हैं।”
रविवार को आईएसएस पर एक्सिओम-4 चालक दल के लिए एक औपचारिक विदाई समारोह आयोजित किया गया। यह पल वहां मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भावुक पल था।
शुक्ला ने कहा, "जब मैंने 25 जून को फ़ॉल्कन-9 पर काम शुरू किया था, तब मैंने इसकी कल्पना भी नहीं की थी। मुझे लगता है कि इसमें शामिल लोगों की वजह से यह अविश्वसनीय रहा है। मेरे (एक्सपीडिशन 73 के चालक दल) पीछे खड़े लोगों ने इसे हमारे लिए वाकई खास बना दिया है। यहां आकर और आप जैसे पेशेवरों के साथ काम करके मुझे बहुत खुशी हुई।"
यह शुक्ला के लिए एक ऐतिहासिक यात्रा रही है, जो आईएसएस की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बने तथा शर्मा के 1984 में तत्कालीन सोवियत संघ के सैल्यूट-7 अंतरिक्ष स्टेशन के मिशन के तहत अंतरिक्ष उड़ान भरने के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे व्यक्ति बने।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने शुक्ला की आईएसएस यात्रा के लिए लगभग 550 करोड़ रुपये का भुगतान किया। यह एक ऐसा अनुभव है जो अंतरिक्ष एजेंसी को उसके मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, गगनयान की योजना और क्रियान्वयन में मदद करेगा, जिसे 2027 में कक्षा में ले जाया जाएगा। (भाषा)