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नयी दिल्ली, 14 जुलाई। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि ‘क्रिप्टो करेंसी’ में लेन-देन से देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि इससे ‘वैध धन’ (रिकगनाइज्ड मनी) अज्ञात और अप्राप्य धन में विलीन हो जाता है’। इसके साथ ही न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया ने क्रिप्टो करेंसी से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में एक व्यवसायी को ज़मानत देने से इनकार कर दिया।
अदालत ने कहा, ‘‘क्रिप्टो करेंसी में लेन-देन से देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि इससे वैध धन अंधकारमय, अज्ञात और अप्राप्य धन में विलीन हो जाता है। कई लोगों को शिकार बनाने वाले घोटाले में आरोपी के खिलाफ आरोप काफी गंभीर हैं, खासकर इसी तरह के 13 अन्य मामलों में उसकी संलिप्तता को देखते हुए।’’
उमेश वर्मा को दिसंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और वह इस मामले में हाल ही में अंतरिम जमानत पर बाहर था।
न्यायाधीश ने दुबई स्थित क्रिप्टो करेंसी कंपनी, प्लूटो एक्सचेंज के खिलाफ मामले में आरोपी वर्मा को जांच अधिकारी या निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया।
उन्होंने कहा कि क्रिप्टो करेंसी की मान्यता रद्द होने के बाद भी धन एकत्र करने का उसका कृत्य दुर्भावना को दर्शाता है।
अदालत ने प्रथम दृष्टया पाया कि आरोपी ने क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने पर 20 से 30 फीसदी लाभ दिलाने का प्रलोभन देकर 61 निवेशकों से ठगी की। अदालत ने कहा कि आरोपी ने क्रिप्टो करेंसी की मान्यता रद्द होने के बाद भी भोले-भाले लोगों को ठगना जारी रखा। (भाषा)