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नयी दिल्ली, 20 मई। उच्चतम न्यायालय ने जिला न्यायपालिका को "न्यायिक प्रणाली की रीढ़" करार देते हुए शुक्रवार को सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को देशभर की निचली अदालतों के न्यायाधीशों को दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) की सिफारिशों के अनुसार वेतन बकाया और अन्य बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया।
एसएनजेपीसी की सिफारिशों में जिला न्यायपालिका की सेवा शर्तों के विषयों को निर्धारित करने के लिए एक स्थायी तंत्र स्थापित करने के मुद्दे से निपटने के अलावा वेतन संरचना, पेंशन और पारिवारिक पेंशन और भत्ते शामिल हैं।
उच्चतम न्यायालय ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी वी रेड्डी की अध्यक्षता वाली एसएनजेपीसी द्वारा 2020 में की गई सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। उसने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कई मदों के तहत बकाया राशि न्यायिक अधिकारियों के खातों में सकारात्मक रूप से जमा कर दी जाए और अनुपालन हलफनामा 30 जुलाई तक इसके समक्ष दाखिल किया जाए।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ के फैसले में कहा गया है, ‘‘वेतन के बकाया के भुगतान के मामले में, इस न्यायालय ने 27 जुलाई, 2022 और 18 जनवरी, 2023 के आदेशों द्वारा पहले ही निर्देशित कर दिया था कि वेतन का सभी बकाया 30 जून, 2023 तक चुका दिया जाए। इस संबंध में, यह निर्देश दिया जाता है कि अनुपालन 30 जुलाई, 2023 तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा हलफनामा दायर किया जाना चाहिए कि वेतन के बकाया को संबंधित अधिकारियों के खातों में सकारात्मक रूप से जमा कर दिया गया है।’’
फैसले में कहा गया है कि पेंशन की संशोधित दरें, जो इस अदालत द्वारा अनुमोदित की गई हैं, एक जुलाई, 2023 से देय होंगी। (भाषा)