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रावघाट परियोजना में 180 करोड़ का मुआवजा घोटाला, हाईकोर्ट ने अतिरिक्त राशि लौटाने का दिया आदेश
12-Jan-2022 11:18 AM
रावघाट परियोजना में 180 करोड़ का मुआवजा घोटाला, हाईकोर्ट ने अतिरिक्त राशि लौटाने का दिया आदेश

अफसरों के खिलाफ दर्ज मामले रद्द नहीं होंगे, हर माह थाने में हाजिरी होगी

बिलासपुर, 12 जनवरी। रावघाट रेल परियोजना के मुआवजा निर्धारण में 179.82 करोड़ रुपए के घोटाले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने भू स्वामियों को दी गई अतिरिक्त राशि लौटाने का आदेश और प्रशासन को नए सिरे से मुआवजा निर्धारित करने का निर्देश दिया है।

ज्ञात हो कि जगदलपुर से लेकर रावघाट तक बिछाई गई रेल लाइन बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड, एनएमडीसी, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया, केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार का संयुक्त उपक्रम है। इसमें अनेक लोगों से निजी भूमि अधिग्रहित की गई थी।

तत्कालीन कलेक्टर डॉ. अय्याज तंबोली के समक्ष मुआवजा वितरण में भारी गड़बड़ी की शिकायत की गई थी। इसमें कहा गया कि कृषि भूमि को कमर्शियल और डायवर्टेड बता कर करोड़ों रुपये अतिरिक्त राशि का वितरण किया गया।। केवल  दो लोगों को 3.73 हेक्टेयर भूमि के लिए 95 करोड़ 82 लाख भुगतान किया गया। इनमें बली नागवंशी को 70 करोड़ 62 लाख तथा नीलिमा टीवी रवि को 25 करोड़ 19 लाख का भुगतान था। तत्कालीन कलेक्टर ने अन्य तहसीलदारों से जांच के बाद यह गड़बड़ी पकड़ी और अपनी रिपोर्ट सामान्य प्रशासन विभाग समेत कमिश्नर बस्तर और पुलिस को भी दी। इसके बाद कोतवाली पुलिस ने इन 2 खातेदारों समेत 10 लोगों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं में अपराध दर्ज किया।

कलेक्टर की रिपोर्ट को चुनौती देते हुए तत्कालीन एसडीएम और वर्तमान में सेवानिवृत्त अपर कलेक्टर सियाराम कुर्रे, डिप्टी कलेक्टर दीनदयाल मंडावी, तत्कालीन राजस्व निरीक्षक और वर्तमान में नायब तहसीलदार अर्जुन श्रीवास्तव तथा पटवारी धर्म नारायण साहू ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने याचिका में तर्क दिया कि वे राज्य सरकार के सक्षम प्राधिकारी की हैसियत से कार्य कर रहे थे। इधर पक्षकार के रूप में बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड ने भू स्वामियों को दी गई अतिरिक्त राशि वापस दिलाने की मांग को लेकर आवेदन लगाया।

पूर्व में इस मामले की सुनवाई जस्टिस आरसीएस सामान्य की कोर्ट में हुई। बाद में यह मामला जस्टिस एनके व्यास की बेंच ने सुना।

बेंच ने अपने 96 पन्नों के विस्तृत आदेश में भू अर्जन की पूरी कार्रवाई को त्रुटिपूर्ण बताते हुए निरस्त कर दिया साथ ही 6 माह के भीतर नए सिरे से मुआवजा राशि की गणना करने का निर्देश दिया है। भू स्वामियों ने जो अतिरिक्त राशि प्राप्त कर ली है उसे भी इसी अवधि में लौटाएंगे।

ज्ञात हो कि भारी-भरकम मुआवजा वितरण के बाद इस मामले में आर्बिट्रेटर बनाए गए तत्कालीन संभागायुक्त अमृत खलखो के समक्ष 28 भू स्वामियों ने समान मुआवजे के लिए आवेदन लगाया जिनमें से छह लोगों की उन्होंने सुनवाई की और उनके पक्ष में फैसला दिया। इनमें बली नागवंशी और नीलिमा टी रवि भी शामिल थे।

हाईकोर्ट ने अपर कलेक्टर हीरालाल नायक, एसडीएम सियाराम कुर्रे, तहसीलदार दीनदयाल मंडावी, उप पंजीयक कार्यालय के लिपिक कौशल ठाकुर, राजस्व निरीक्षक अर्जुन श्रीवास्तव, इस्कॉन के अधिकारी सुरेश बी मिताली और ए आर मूर्ति के साथ ही भूस्वामी बली नागवंशी तथा नीलीमा टी रवि के खिलाफ जगदलपुर कोतवाली में दर्ज आईपीसी की धारा 109, 120 बी, 420, 467, 468, 471, 406, 407, 408 और 409 के अंतर्गत दर्ज अपराध को रद्द करने की अपील को भी खारिज कर दी है लेकिन यह छूट दी गई है कि जांच के दौरान पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करेगी और सभी आरोपियों को प्रत्येक माह थाने में आकर हाजिरी देनी होगी।


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