कोरिया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया) 10 नवम्बर। बाघ की मौत को लेकर कोरिया वन मंडल और गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान ने विज्ञप्ति जारी कर बाघ की मौत का संभावित कारण जहरखुरानी बताया है।
मृत बाघ के स्किन, नाखून, दांत एवं सभी अंग सुरक्षित थे, किसी भी प्रकार का अंग-भंग नहीं पाया गया। बाघ मृत्यु के सभी संभावित कारणों की विवेचना की जा रही है। परंतु विभाग प्रेस के सवालों से अब भी भाग रहा है। वहीं कई अनसुलझे सवालों का जवाब विभाग के अफसरों के पास नहीं है।
कोरिया वन मण्ड़ल और गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया है कि आठ नवंबर को दोपहर एक बजे ग्रामीणों से परिसर रक्षक गरनई को सूचना मिली कि ग्राम कटवार के पास खनखोपड़ नाला के किनारे एक बाघ की मृत्यु हुई है। घटना स्थल बीट गरनई, सर्किल रामगढ़, परिक्षेत्र सोनहत, कोरिया वनमण्डल के असीमांकित वनक्षेत्र (कक्ष कमांक पी 196) के समीप है। संबंधित वनरक्षक के द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया गया।
तत्काल वनमण्डलाधिकारी कोरिया, संचालक गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान बैकुन्ठपुर, उपवनमण्डलाधिकारी उत्तर बैकुन्ठपुर, मुख्य वन संरक्षक सरगुजा वन वृत्त अम्बिकापुर, वन संरक्षक (वन्यप्राणी) सरगुजा मौके पर पहुंचे। वन विभाग के कर्मचारियों की टीम के द्वारा घटना स्थल के आसपास 1.5 से 2 कि.मी. परिधि में तलाशी की गई।
प्रथम दृष्टया शव 2-3 दिन पुराना प्रतीत होता है। दिनांक 09.11.2024 को वन विभाग, पुलिस विभाग, एनटीसीए प्रतिनिधि एवं ग्रामीणों की उपस्थिति में 4 सदस्यीय पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा शव विच्छेदन (पोस्टमार्टम) किया गया। उक्त टीम के अभिमत अनुसार बाघ की मृत्यु का कारण जहरखुरानी संभावित है। शव विच्छेदन उपरांत शव को नियमानुसार दाह संस्कार किया गया।
शव विच्छेदन के दौरान मृत टाईगर के आवश्यक अंगों को प्रयोगशाला परीक्षण के लिए प्रिजर्व किया गया। घटना स्थल के आसपास के क्षेत्र में गोमार्डा अभ्यारण्य के डॉग स्क्वायड टीम द्वारा पतासाजी किया गया तथा कोरिया वनमण्डल एवं गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान बैकुन्ठपुर की संयुक्त टीम के 4 दलों के द्वारा आसपास के क्षेत्रों में निरीक्षण किया गया। सम्पूर्ण कार्यवाही के दौरान अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) रायपुर उपस्थित रहे एवं समस्त वन अधिकारियों / कर्मचारियों को अपराधियों की पतासाजी करने एवं वाईल्ड लाईफ काईम नियंत्रण के लिए निर्देश दिया गया।
सीसीएफ पहुंचे रात 8 बजे
एक ओर विज्ञप्ति ने अधिकारियों के तत्काल पहुंचने की बात बताई जा रही है, जबकि मौके पर उपस्थित और एकमात्र मीडिया के रूप में उपस्थित ‘छत्तीसगढ़’ की टीम के सामने सीसीएफ रात 8 बजे मौके पर पहुंचे।
कब और कितने दिन पुरानी घटना
वन विभाग की विज्ञप्ति में बाघ की मौत का समय दिन नहीं बताया गया है, क्योंकि बाघ के शव की दुर्गंध एक किमी के क्षेत्र में फैली हुई थी, जिससे साफ है कि बाघ की मौत दो से तीन दिन पूर्व हो चुकी है। परंतु विभाग बाघ की मौत की सही जानकारी छुपाने की कोशिश कर रहा है।
नाखून दांत को लेकर संशय
वन विभाग के वर्तमान सीसीएफ पर पशु विभाग के डायरेक्टर रहते भ्रष्टाचार के कई मामलों को दबाने का आरोप लगता रहा है। यही कारण है कि उनके द्वारा बाघ को मीडिया की नजऱों से दूर रखा, ताकि नाखून दांत मूंछे के गायब होने की जानकारी सामने न आ सके। सोशल मीडिया में आई बाघ की तस्वीरों से साफ देखा जा सकता है कि उसकी मूंछे दांत गायब दिख रहे हैं।
यही कारण हैं कि सीसीएफ ने मृत बाघ के पास कोई नही जा सके बैरिकेड्स लगवा दिए, मीडिया को मृत बाघ को नहीं दिखाया। जब बाघ के शव को आग के हवाले कर दिया गया, तब मीडिया को बुलाया गया।
बाघ के विचरण की जानकारी नहीं
प्रेस विज्ञप्ति में दोनों विभाग ने बाघ के विचरण की जानकारी छिपाई है। टाइगर रिज़र्व बनने के लिए अग्रसर गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में बाघों के विचरण गतिविधियों की जानकारी में लापरवाही बरती जा रही है यही कारण है कि मृत बाघ की आवाजाही का रिकॉर्ड विभाग के पास नहीं है।