कोरिया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुण्ठपुर (कोरिया), 12 जून। तत्कालीन भाजपा की सरकार ने कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर को नगर पालिका बनाने 8 ग्राम पंचायतों का विलय कर दिया, बाद में भाजपा को नगर पालिका चुनाव में बड़ी हार का सामना करना पड़ा, उसके बाद सभी ग्राम पंचायतों को वापस ग्राम पंचायत बनाकर नगर पालिका से अलग कर दिया। बताया गया कि इनका विकास नहीं हो पा रहा था। इन ग्राम पंचायतों में सब कुछ अलग हो गया परन्तु आज भी रजिस्ट्री में लगने वाला स्टांप शुल्क नगर पालिका के हिसाब से ही लग रहा है। इन ग्राम पंचायतों में रजिस्ट्री करवाने वालों का पसीना छूट रहा है।
इस संबंध में कोरिया उप पंजीयक बसंत कुजूर का कहना है -ये गाइड लाइन का इशू है, जिला पंजीयक सर से इस संबंध में चर्चा हो चुकी है, आला अधिकारियों से भी इस विषय पर उनका मार्गदर्शन लिया जा रहा है।
कोरिया जिले में यदि आपको भूमि खरीदना है तो यहां की भूमि राज्य की राजधानी रायपुर से ज्यादा महंगी है आपको रायपुर से ज्यादा स्टांप ड्यूटी देना होगा। यहां जिला मुख्यालय के आसपास की ग्राम पंचायतोंं में इस दर से ही भूमि की स्टांप ड्यूटी देना पड़ रहा है।
दरअसल, वर्ष 2004 में भाजपा सरकार के बनने के बाद नगर पालिका चुनाव हुए, तब बैकुंठपुर को नगर पंचायत का दर्जा मिला हुआ था। तय समय में चुनाव होने थे, परन्तु बैकुंठपुर के आसपास की 8 ग्राम पंचायतों को नगर पालिका बनाने के लिए विलय कर दिया गया, जिसमें ग्राम पंचायत चेर, जामपारा, केनापारा, सागरपुर, ओडग़ी, तलवापारा, जनकपुर और भांड़ी को शामिल किया गया।
इस प्रक्रिया में चुनाव दो वर्ष देरी पर चला गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने बैकुंठपुर को नगर पालिका बना दिया। वर्ष 2010 में नगर पालिका के चुनाव हुए और भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2013 के विधानसभा के लिए भाजपा ने रणनीति बदली और जोड़ी गई सभी 8 ग्राम पंचायतों को वापस कर दिया, उन्हें फिर से ग्राम पंचायत का दर्जा मिल गया, परन्तु इस चुनाव में भाजपा मात्र 1000 वोटों की ही जीत पाई थी।
स्टांप ड्यूटी में नहीं करवा पाए बदलाव
नगर पालिका बनाने के लिए जिन 8 ग्राम पंचायतों को जोड़ा गया था, जब उनकी वापसी हो गई तो नेता से लेकर अधिकारियों ने कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया, कायदे से स्टांप ड्यूटी में भी परिवर्तन किया जाना चाहिए था, परन्तु किसी ने इस पर पहल नहीं की।
इससे पूर्व 2011-12 में तत्कालीन कलेक्टर की भू-माफिया से ठन जाने के कारण उन्होंने शहरी क्षेत्र के स्टांप ड्यूटी को 300 प्रतिशत का इजाफा कर दिया था, जिसके कारण कोरिया जिलामुख्यालय की भूमि की स्टांप ड्यूटी रायपुर से ज्यादा हो चुकी है। बाद मेें जुड़े ग्राम पंचायतों को भी इसी शुल्क में स्टांप ड्यूटी देना पड़ता है।
ग्राम पंचायत बनने के बाद भी बदलाव नहीं होने के कारण इस क्षेत्र में इक्का-दुक्का ही रजिस्ट्री हो पाती है। इन ग्राम पंचायतों में कृषि भूमि के आधार पर स्टांप ड्यूटी तय की जानी चाहिए, जबकि ऐसा नहीं हो रहा है, इनको आज भी नगरीय क्षेत्र माना जा रहा है।
कैसे तय होता है रजिस्ट्री का पैसा
जमीन की रजिस्ट्री में लगने वाले पैसे में मुख्य होता है, स्टांप ड्यूटी चार्ज यानी जमीन की रजिस्ट्री में जो खर्च आता है, उसे सरकार स्टांप के जरिये आपसे लेती है। अलग-अलग जमीन के अनुसार अलग-अलग स्टांप ड्यूटी लगाई जाती है। जैसे गांव में जमीन खरीदने पर कम चार्ज लगता है और शहर में जमीन खरीदने पर ज्यादा चार्ज देना होगा।
ये स्टांप ड्यूटी चार्ज उस जमीन की सर्किल रेट या जमीन का सरकारी रेट के अनुसार देना होता है। स्टांप शुल्क दरें राज्य सरकार द्वारा तय की जाती हैं। संपत्ति पर स्टांप शुल्क के अलावा, आपको पंजीकरण शुल्क का भुगतान करना होगा, जो आमतौर पर केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाता है और राज्य भर में तय किया जाता है। आम तौर पर, संपत्ति के कुल बाजार मूल्य का का 1 से 10 प्रतिशत पंजीकरण शुल्क के रूप में लिया जाता है, पर कोरिया में ऐसा नहीं हो पा रहा है।