कोरिया

हैंडपंप खराब, ढोढ़ी का पानी पीने मजबूर ग्रामीण
26-May-2024 2:51 PM
हैंडपंप खराब, ढोढ़ी का पानी पीने मजबूर ग्रामीण

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
बैकुंठपुर (कोरिया), 26 मई।
मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (एमसीबी) जिले के कई दुर्गम क्षेत्रों के ग्रामीण नदी, झरिया और ढोढ़ी से पानी पीने का मजबूर हंै। कहने को मोहल्ले में हैंडपंप है, परन्तु उनमें से लाल पानी और बिगड़े होने के कारण ग्रामीण उनका उपयोग नहीं करते है। पीने के पानी के लिए उन्हें लंबा सफर करना होता है। जलजीवन मिशन के तहत बनाई जा रही टंकिया बीते दो साल से अधूरी है। ढोढ़ी के पानी की जांच भी करवाई, जो पीने लायक नहीं है, बावजूद लोग ऐसी ढोढ़ी से पानी पीने को मजबूर है।

जिले का भरतपुर तहसील, ग्राम पंचायत खमरौध, आश्रित ग्राम कोठीडोल, जनसंख्या 130, गोंड आदिवासी बाहुल्य इस गांव में काफी पुरानी एक ढोढ़ी है, पूरा गांव ढोढ़ी पर निर्भर है, जब इसमें पानी कम हो जाता है तो ग्रामीण जंगल के अंदर एक किमी से पानी लेकर आते हैं। 

ग्रामीण बीरपति सिंह की माने तो इस ढोढ़ी के पानी की जांच गांव की मितानीन के द्वारा करवाई गई थी, जिसमें पाया गया था कि पानी पीने योग्य नहीं है, पानी पीने के बाद जलन जैसा भी होता है, परन्तु हम लोग ढोढ़ी से पानी निकालकर उसे गरम कर पीते हैं, पीने के पानी की इस गांव में बड़ी समस्या है। इस गांव में हमेशा बिजली डीम रहती है, उन्होंने गांव के लिए ट्रांसफार्मर की मांग भी की है।

नदी का पानी पी रहे ग्रामीण, हैंडपंप बिगड़ा
भरतपुर के रास्ते मनेन्द्रगढ़ विकासखंड के कछौड़ का आश्रित ग्राम गुंडरूपारा, यहां 40 घर अगरिया जाति के लोग निवासरत है। लंबे समय से इस गांव का हैंडपंप बिगड़ा हुआ है। गर्मी का मौसम आधे से ज्यादा बीत गया है, इससे कुछ दूर पर स्थिति गुंडरू नदी बहती है, पूरा गांव नदी पर आश्रित है, खाना बनाने के बाद वर्तन धोने नहाने के अलावा नदी में एक ओर रेत से पानी को रोककर उसे पीने में उपयोग कर रहे है। पूरा गुंडरू पारा नदी से पानी पीकर अपनी प्यास बुझा रहा है।

छपराटोला का एक पारा ढोढ़ी पर निर्भर
भरतपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत देवगढ़ का आश्रित ग्राम छपराटोला का स्कूलपारा के ग्रामीण छोटी ढोढ़ी से पानी पीने का मजबूर हैं। ढोढ़ी एक पेड़ के खोल से बनी हुई है, इसी ढोढ़ी का पानी यहां निवासरत ग्राम पंचायत के सरंपच भी पिया करते थे, मितानीनों ने पानी की जांच करवाई, जिसके बाद उसमें पानी पीने योग्य नहीं बताया गया, जिसके बाद सरपंच के परिवार ने उसका पानी पीने से तौबा कर दिया, बावजूद इसके कुछ ग्रामीण इसी ढोढ़ी का पानी पी रहे हैं।

 


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