कोण्डागांव

जंगलों में लग रहा आग वनोपज सहित वन्य प्राणियों को भारी नुकसान
27-Mar-2022 3:38 PM
जंगलों में लग रहा आग वनोपज सहित वन्य प्राणियों को भारी नुकसान

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा जब तक लिखित में नहीं मिलेगा आश्वासन तब तक रहेगा हड़ताल जारी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
केशकाल, 27 मार्च।
छत्तीसगढ़ में इन दिनों वन कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है, जिसका सीधा असर अब जंगलों पर दिखने लगा है। केशकाल वनमण्डल अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के जंगलों में इन दिनों आग लगने की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। केशकाल वनमण्डल अंतर्गत ग्राम छिंदली, मांडोकी खरगांव, कोहकामेटा, गौरगांव, खालेमुरवेंड, धनोरा, बिंझे, फुंडेर, फरसगांव बोरगांव समेत अन्य कई गांव के अधिकांश मैदानी और पहाड़ी इलाको में जंगल की आग रफ्तार पकड़ रही है। विगत 7 दिनों से वन कर्मचारियों की हड़ताल के कारण जंगलों में होने वाले आवश्यक देखरेख एवं सुरक्षा के अभाव में हजारों हेक्टेयर जंगल दिनों दिन जलकर खाक हो होते जा रहे है।

इस बीच शनिवार को वनकर्मी के प्रांतीय अध्यक्ष मूलचंद शर्मा केशकाल पहुँचे जहाँ वनकर्मचारियों ने भव्य किया प्रदेश अध्यक्ष मूलचंद शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि आप लोगो के सहयोग से धरना का छटवाँ दिन है और जब तक हम लोगो का मांग पूरा नही होगा तब तक धरना देते रहने की बात कही । प्रदेशाध्यक्ष शर्मा ने बताया कि इन 6 दिनों में राज्य सरकार से 2 बार चर्चा हुआ है चर्चा के दौरान 12 मांगों को लेकर राज्य सरकार के पास प्रस्तुत किया गया जहां पर सरकार ने मांगों को लेकर सार्थक पहल की है और हड़ताल खत्म करने की बात कही गयी लेकिन हम लोगों को जब तक लिखित आश्वासन नहीं मिलेगा तब तक हड़ताल जारी रहेगा ।

गौरतलब है कि बीते 21 मार्च से केशकाल वनमण्डल समेत समूचे छत्तीसगढ़ में अपनी 12 मांगों को लेकर वन कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। बीते कुछ दिनों से वन विभाग में पदस्थ डिप्टी रेंजर से लेकर मैदानी स्तर के कर्मचारी पूरे प्रदेश में हड़ताल पर चले जाने से कहा जा सकता है कि जंगल अनाथ हो गए हैं, और जंगल को देखने वाला कोई नहीं है। हर वर्ष गर्मी के मौसम में जंगलों में आग लग जाती है और इससे बचाव के लिए पूरा वन अमला जुट जाता है, मगर इस बार स्थिति अलग है, वन विभाग का मैदानी अमला ऐन वक्त पर हड़ताल पर है और जंगलों में लगी आग फैलते जा रही है। वनकर्मियों की हड़ताल पर चले जाने के कारण जंगल में लकड़ी चोरी बढ़ लगी है। अवैध रूप से पेंड़ों की कटाई की जा रही है। जंगल को उजाडऩे वालों को रोकने के लिए विभाग के पास स्टाफ नहीं है। दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के सहारे जंगलों की निगरानी की जा रही है, इसके बाद भी लकड़ी चोरी में अंकुश नहीं लग रहा है।


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