कोण्डागांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 21 मार्च। गांजा तस्करी के 3 आरोपियों को कोर्ट ने 10 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। इस प्रकरण में शासन की ओर से दिलीप जैन लोक अभियोजक ने पैरवी की।
लोक अभियोजक दिलीप जैन ने बताया कि 7 दिसंबर 2019 को पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि एक कार क्र. यू.पी. 70 ईएल. 3315 में अवैध रूप से गांजा छुपाकर जयपुर से रायपुर की ओर जगदलपुर कोण्डागांव के रास्ते से जाने वाली है। पुलिस ने नारायणपुर तिराहा के आगे हरी ढाबा के पास एन.एच. 30 कोण्डागांव पहुंचकर नाकेबंदी की। कुछ देर पश्चात मुखबिर के बताए अनुसार संदिग्ध कार वाहन क्र. यू.पी. 70 ईएल. 3315 आते दिखी, जिसे रोका गया।
उक्त वाहन में ड्राइवर सीट में बैठे संदिग्ध व्यक्ति से पूछताछ करने पर उसने अपना नाम कृष्णा विश्वकर्मा ड्रायवर सीट के बगल सीट में बैठे व्यक्ति ने अपना नाम विपिन सिंह और पीछे की सीट में बैठे व्यक्ति ने अपना नाम विजय कुमार हरिजन होना बताया। आिरोपीगण व उसके वाहन की तलाशी कर कार्रवाई शुरू की गयी तो आरोपीगण की तलाशी में कुछ नगदी, मोबाईल व आधार कार्ड वोटर आई.डी. बरामद हुआ। कार की तलाशी में वाहन के पीछे डिक्की के अंदर छुपाकर रखा हुआ कुल 24 पैकेट भूरे रंग के सेलो टेप से लपेटा हुआ संदिग्ध मादक पदार्थ बरामद हुआ।
इस दौरान उक्त बरामद पैकेटों की पहचान गवाहों से कराई गई जो मादक पदार्थ गांजा होना पाया गया। विवेचक ने आरोपीगण को बरामद मादक पदार्थ गांजा के परिवहन कब्जा या बिक्री के संबंध में वैध दस्तावेज करने हेतु धारा 67 एनडीपीएस एक्ट का नोटिस दिया गया। जिस पर आरोपीगण दस्तावेज करने में असमर्थ रहे। बरामद मादक पदार्थ के तौल करने पर कुल वजन 101.190 किलोग्राम पाया गया। जिसे गवाहों के समक्ष जब्त कर सीलबंद किया गया। इसके उपरांत आरोपीगण और आरोपीगण से बरामद वस्तुओं मादक पदार्थ और वाहन व हमराह स्टाफ के साथ वापस थाना कोण्डागांव आकर देहाती नासली रिपोर्ट प्रस्तुत किया, जिसके आधार पर थाना कोण्डागांव में आरोपियों के विरूद्ध एन.डी.पी.एस. एक्ट का प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किया और आरोपीगण के विरूद्ध चालानी कार्रवाई योग्य पर्याप्त साक्ष्य पाए जाने से अभियोग पत्र तैयार कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
न्यायाधीश सुरेश कुमार सोनी ने धारा 20 ख, 2 स स्वापक औषधी और मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम के आरोप में तीनो आरोपी को 10 वर्ष के सश्रम कारावास और एक लाख रुपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया।
अर्थदंड की राशि अदा नहीं होने पर 1 वर्ष का अतिरिक्त सश्रम कारावास पृथक से भुगतना होगा।