कोण्डागांव

कोण्डागांव, 16 मार्च। विषम परिस्थितियों तो कभी किसी आकस्मिक घटना लोगों की मानसिक स्थिति पर विपरित प्रभाव छोड़ जाती है। कई बार यह घटनाएं लोगों को मानसिक रूप से इस प्रकार तोड़ जाती है कि वे अपने वजूद को ही खो बैठते हैं। ऐसे में लोग उन्हें पागल ठहरा देते हंै और सभ्य समाज में इन लोगों की कोई पूछ परख भी नहीं होती। समाज इन्हें अपने हाल पर ही छोड़ देता है। ऐसे लोगों की सहायता कर इन्हें मुख्यधारा से वापस जोड़ इनके इलाज के लिए संवेदना कार्यक्रम जिला प्रशासन द्वारा चलाया जा रहा है।
इसकी सूचना संवेदना पुनर्वास केन्द्र के संचालक यतिन्द्र सलाम को मिलने पर उन्हें रात में जाकर वहां से धनसु मानिकपुरी मोहम्मद शकील सिद्धकी गौरव ठाकुर द्वारा निकाला गया। उस समय उनकी स्थिति दयनीय थी। बालों में कीड़े पड़े थे तो त्वचा पर कई घावों के निशान तथा गंदगी में रहने के कारण होने वाले रोग हो गये थे। उन्हें अपने बारे में तथा अपने परिवार और अपने जीवन के बारे में कुछ भी याद नहीं था। रेस्क्यू करने के बाद पुनर्वास केन्द्र के दल द्वारा उनकी साफ-सफाई कर उन्हें उच्च स्तरीय इलाज के लिए बिलासपुर के सेंदरी स्थित मानसिक चिकित्सालय भेजा गया था। जहां दो महीने ईलाज के पश्चात् वे पूरी तरीके से ठीक हो गये हैं।
इस संबंध में डॉ. आदित्य चतुर्वेदी बताते हैं कि बढ़ते व्यस्ततम संस्कृति के साथ चन्द्रकांत की तरह कई लोग डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं और मानसिक रोगों के संबंध में जागरूकता के अभाव में कभी इनका इलाज नहीं हो पाता। ऐसे में ये लोग सडक़ों पर यूंही घुमते रहते हैं। ऐसे ही मानसिक रोग से पीडि़त लोगों को विषम परिस्थितियों से बचाने के लिए कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा के मार्गदर्शन में संवेदना कार्यक्रम जिला प्रशासन द्वारा प्रारंभ किया गया है। जिसके तहत् गांव-गांव और घर-घर तक जाकर मितानिनों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा मानसिक अवसादों से ग्रसित लोगों की पहचान कर उन्हें चिकित्सकीय परामर्श व दवाईयां प्रदान की जा रही हैै। इसके साथ ही गंभीर रोगियों को बिलासपुर के सेंदरी स्थित मानसिक चिकित्सालय भेजकर ईलाज कराया जाता है व उनके पुनर्वास हेतु जिला प्रशासन के सहयोग से शांति फाउण्डेशन द्वारा पुनर्वास केन्द्र संचालित किया जा रहा है।