जशपुर

बालाछापर के निर्दोषों को झूठे केस में जेल भेजने के विरोध में ईसाई आदिवासी महासभा का धरना-प्रदर्शन
14-Jun-2023 4:02 PM
बालाछापर के निर्दोषों को झूठे केस में जेल भेजने के विरोध में ईसाई आदिवासी महासभा का धरना-प्रदर्शन

   असली दोषियों को सजा दिलाने की मांग उठी   

7 दिन के भीतर गिरफ्तारी करें, अन्यथा उग्र आंदोलन की  चेतावनी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
जशपुरनगर,  14 जून। 
जशपुर जिले में बुधवार को  रणजीता स्टेडियम के पास बालाछापर के निर्दोष लोगों को झूठे केस में गिरफ्तार कर जेल भेजने के विरोध में ईसाईयों ने एक दिवसीय विशाल धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान बालाछापर कांड के असली गुनहगारों और दोषी पुलिस अधिकारी को सजा दिलाने की मांग उठी। साथ ही 7 दिनों के भीतर उपद्रव मचाने वालों की  गिरफ्तारी नहीं की जाती है तो ईसाई आदिवासी महासभा ने उग्र आन्दोलन करने की चेतावनी दी है। धरने के बाद ईसाई आदिवासी महासभा के पदाधिकारी कलेक्टर और एसपी को ज्ञापन सौंपेंगे।

ज्ञात हो कि जशपुर के बालाछापर गांव में 6 जून को नन बनी विभा बाई उर्फ विभा केरकेट्टा को सशर्त जमानत मिल गई है, साथ ही 3 अन्य को भी जमानत मिली है। इन सभी के साथ ही एक नेत्रहीन पर धार्मिक भावना भडक़ाने के आरोप में कोतवाली थाने में जुर्म दर्ज है।

ईसाई आदिवासी महासभा के ज्ञापन में उल्लेख है कि बालाछापर, थाना व जिला जशपुर में हाल ही में घटित घटना की ओर आकृष्ट किया जा रहा है। गत 6 जून 2023 को ग्राम बालाछापर की हीरामुनी बाई पति स्व. सोहन के घर में उसकी बेटी सिस्टर विभा बाई उर्फ विभा केरकेट्टा के कैथोलिक ईसाई नन बनकर प्रथम बार अपने घर आने पर शाम 6 बजे से ईसाई धर्म विधि अनुसार पवित्र मिस्सा (यूखारिस्तीय प्रार्थना सभा) का आयोजन किया गया, यह अनुष्ठान जशपुर शांतिभवन के कैथोलिक प्रीस्ट के द्वारा सम्पन किया गया, जो लगभग 45 मिनट तक चला। इसमें वही धर्मविधि सम्पन्न की गई जो सभी कैथोलिक गिरजाघरों में प्रत्येक रविवार को एवं अन्य सामान्य अवसरों पर की जाती है।

इस कार्यक्रम में सिस्टर विभा बाई उर्फ विभा केरकेट्टा के सगे संबंधी उपस्थित थे, साथ ही गांव के कुछ लोग उत्सुकतावश भी कार्यक्रम देखने के लिए आए थे। एकत्र लोगों की संख्या लगभग 40-50 रही होगी। पवित्र मिस्सा के बाद सिस्टर विभा वाई उर्फ विभा केरकेट्टा के सम्मान में स्वागत कार्यक्रम हुआ। 

उपस्थित कुछ लोगों ने अपने सम्बोधन में विभा बाई उर्फ विभा केरकेट्टा को बधाईयाँ और शुभकामनाएँ दीं। सिस्टर विभा बाई उर्फ विभा केरकेट्टा ने उपस्थित लोगों को अपना आभार प्रकट किया। यह कार्यक्रम भक्तिमय और शांत माहौल में सम्पन्न हुआ। उसके बाद सबके लिए भोजन परोसा गया और भोजन करने के बाद परिवार के सदस्यों के अलावा बाकी सभी लोग वापस चले गए। 

अतिथियों के वहाँ से जाने के बाद रात्रि 9 बजे के लगभग रायमुनी भगत (अध्यक्ष जिला पंचायत), कृपाशंकर भगत ( पूर्व जिला पंचायत सदस्य), गंगाराम भगत (सरपंच ग्राम पंचायत पुरनानगर), दुर्गा देवी पति गंगाराम भगत पुरनानगर, अरविन्द भगत, पप्पू सिन्हा, पप्पू ओझा, वेद प्रकाश तिवारी निवासी जशपुर सहित लगभग 30 लोग चारपहिया वाहन और मोटर सायकलों में वहाँ आए और धर्मान्तरण का आरोप लगाकर शोर मचाने लगे। 

उन्होंने विभा बाई उर्फ विभा केरकेट्टा के परिवार वालों से कहा कि, चंगाई सभा करने के लिए किससे परमिशन लिया था। उन्होंने पवित्र वेदी ( पूजा टेबल) पर रखे सामानों को भी छितरा दिया और तोडफ़ोड़ किया। विभा बाई उर्फ विभा केरकेट्टा के दृष्टिबाधित मामा दिनेश को धमकी देते हुए कहा कि वह तो स्वयं ईसाई बन गया है, अब क्यों दूसरों को ईसाई बना रहा है, अगर उसने ऐसा करना नहीं छोड़ा तो उसके हाथ-पैर तोड़ देंगे और जान से भी मार कर फेंक देंगे।

रायमुनी भगत ने हीरामुनी बाई पर हमला कर धक्का-मुक्की करते हुए उसका गला दबाया, थप्पड़ मारा और गले की रोजरी माला को तोड़ दिया। रायमुनी भगत ने विभा बाई उर्फ विभा केरकेट्टा के क्रूस वाले चेन को खींचा और गंदी-गंदी गाली देते हुए नन के परिधान वाली साड़ी के संबंध में उससे अपमानजनक रूप से कहा कि उसने विधवाओं वाली सफेद साड़ी क्यों पहन रखी है। उन्होंने परिवार के राशन कार्ड छीन लिए और कहा कि, उन्हें शासन से सुविधाएँ नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि वे ईसाई बन गए हैं। उन्होंने सिस्टर विमा . बाई उर्फ विभा केरकेट्टा को घेरकर एक घंटे तक उल्टे-सीधे सवाल पूछ कर और गंदी गंदी गाली देकर प्रताडि़त किया।

इतना करने के बाद उन्होंने पुलिस को बुला लिया। पुलिस वहाँ रात लगभग 10 बजे आयी। पुलिस दल में कोई भी महिला पुलिस नहीं थी। रात लगभग 12 बजे सिस्टर विभा बाई उर्फ विभा केरकेट्टा, सिस्टर विभा की माँ हीरामुनी बाई, सिस्टर विभा के मामा दिनेश, फूलवती विश्वकर्मा और सचिन राम को पुलिस वैन में बैठाकर जशपुर थाना ले जाया जाकर उन्हें लॉकअप में डाल दिया गया। उन्हें पूरी रात लॉकअप में रखा गया । जिन्होंने बालाछापर जाकर उधम मचाया था, वे लोग थाना परिसर में चक्कर लगाते हुए निगरानी कर रहे थे।

दूसरे दिन अर्थात् 7 जून को भी उन्हें पुलिस लॉकअप में ही रखा गया। शाम लगभग 5 बजे उन्हें मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया। सिस्टर विभा के मामा दिनेश को दृष्टिबाधित होने के कारण जमानत दे दी गई और बाकी लोगों को जेल भेज दिया गया । 

पूरे मामले में पुलिस की कार्रवाई अनेक सवाल खड़े करती है। प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने का समय 6 जून  को शाम 8.55 बजे अंकित किया गया है। यदि उसी समय प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हुआ तो पुलिस को उसके वाद बालाछापर जाकर विवेचना करनी चाहिए थी और आगे की कार्रवाई होनी थी, लेकिन पुलिस के पहुँचने के पहले वहाँ भीड़ ने जाकर उत्पात मचाया और उसके बाद उनके बुलाने पर पुलिस वहाँ आई । 

छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में ईसाईयों द्वारा अपने विश्वास एवं आस्था अनुसार किसी निजी स्थान पर प्रार्थना सभा आयोजित किए जाने पर एक धर्म विशेष के तथाकथित ठेकेदारों के उत्पात मचाने पर उनके दबाव में आकर पुलिस द्वारा इन्हीं धाराओं के तहत झूठे आपराधिक केस दर्ज कर ईसाई धर्मावलम्बियों को जेल भेज देती है जो कि कानून का दुरुपयोग और भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 का घोर उल्लंघन है। 

बालाछापर में हीरामुनी बाई के घर में उपद्रव मचाने वाले रायमुनी भगत (अध्यक्ष जिला पंचायत) और उनके साथियों के विरुद्ध 12 जून को एक प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया है, लेकिन अब तक पुलिस के द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रस्तुत रिपोर्ट दर्ज नहीं किया गया है । 

बालाछापर में उपद्रव मचाने वालों के विरुद्ध पुलिस द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर 7 दिन के भीतर गिरफ्तार नहीं किया जाता है तो ईसाई आदिवासी महासभा उग्र आन्दोलन करने के लिए बाध्य होगी, जिसका जिम्मेदार शासन-प्रशासन होगा।

 ज्ञापन की प्रतिलिपि गृह मंत्री छत्तीसगढ़ शासन, पुलिस महानिदेशक छत्तीसगढ़, रायपुर, पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा रेंज अम्बिकापुर को भी भेजी जाएगी।


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