अंतरराष्ट्रीय

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो बाइडन को राष्ट्रपति चुनाव में जीत की बधाई दी है. पीएम मोदी ने जो बाइडन की जीत को शानदार बताया है. भारतीय प्रधानमंत्री ने कमला हैरिस को भी बधाई दी और भारत से उनकी जड़ों को भी याद किया. कमला हैरिस की माँ तमिलनाडु की थीं.
Congratulations @JoeBiden on your spectacular victory! As the VP, your contribution to strengthening Indo-US relations was critical and invaluable. I look forward to working closely together once again to take India-US relations to greater heights. pic.twitter.com/yAOCEcs9bN
— Narendra Modi (@narendramodi) November 7, 2020
मोदी ने ट्विटर पर लिखा है, ''आपकी कामयाबी बेहतरीन है. आपकी जीत से न केवल भारत स्थित आपके रिश्तेदारों गौरवान्वित हैं बल्कि सभी भारतीय-अमेरिकी नागरिकों के लिए गौरव का पल है. मोदी और ट्रंप की दोस्ती की चर्चा तो पूरे कार्यकाल में रही लेकिन बाइडन प्रशासन के साथ कैसे रिश्ते बनते हैं ये देखना बाक़ी है. हलांकि कहा जा रहा है कि भारत और अमेरिका अहम साझेदार हैं ऐसे में सरकार बदलने से भारत के साथ रिश्तों पर असर नहीं पड़ेगा.
Heartiest congratulations @KamalaHarris! Your success is pathbreaking, and a matter of immense pride not just for your chittis, but also for all Indian-Americans. I am confident that the vibrant India-US ties will get even stronger with your support and leadership.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 7, 2020
बाइडन ने कश्मीर और सीएए पर जताई थी चिंता
हालांकि बाइडन ने अपने चुनावी कैंपेन में कश्मीर और सीएए को लेकर चिंता ज़ाहिर की थी. बाइडन ने चुनावी कैंपेन के दौरान अपना पॉलिसी पेपर जारी किया था. उसमें सीएए और कश्मीर में मानवाधिकारों को लेकर चिंता जताई थी. जो बाइडन ने कहा था कि कश्मीरियों के सभी तरह के अधिकार बहाल होने चाहिए.
बाइडन ने कहा था कि कश्मीरियों के अधिकारों को बहाल कराने के लिए जो भी क़दम उठाए जा सकते हैं उसे भारत उठाए. इसके साथ ही बाइडन ने भारत के नागरिकता संशोधन क़ानून यानी सीएए को लेकर भी निराशा ज़ाहिर की थी. बाइडन ने नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न यानी एनआरसी को भी निराशाजनक कहा था.
जो बाइडन की कैंपेन वेबसाइट पर प्रकाशित एक पॉलिसी पेपर में कहा गया था, ''भारत में धर्मनिरपेक्षता और बहु-नस्ली के साथ बहु-धार्मिक लोकतंत्र की पुरानी पंरपरा है. ऐसे में सरकार के ये फ़ैसले बिल्कुल ही उलट हैं.''
जो बाइडन का यह पॉलिसी पेपर एजेंडा फ़ॉर मुस्लिम-अमरीकन कम्युनिटीज़ टाइटल से प्रकाशित हुआ था. कश्मीर को लेकर बाइडन के इस पॉलिसी पेपर में कहा गया था, ''कश्मीर लोगों के अधिकारों को बहाल करने के लिए भारत को चाहिए कि वो हर क़दम उठाए. असहमति पर पाबंदी, शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोकना, इंटरनेट सेवा बंद करना या धीमा करना लोकतंत्र को कमज़ोर करना है.''
इस पेपर में कश्मीर के साथ चीन के वीगर मुसलमानों और म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर भी बात कही गई थी. बाइडन के पॉलिसी पेपर में लिखा गया था, ''मुस्लिम बहुल देशों और वे देश जहां मुसलमानों की आबादी अच्छी-ख़ासी है, वहां जो कुछ भी हो रहा है उसे लेकर अमरीका के मुसलमान चिंतित रहते हैं. मैं उनके उस दर्द को समझता हूं. पश्चिमी चीन में वीगर मुसलमानों को निगरानी कैंपों में रहने पर मजबूर करना बहुत ही शर्मनाक है. अगर बाइडन अमरीका के राष्ट्रपति बनते हैं तो वो शिन्जियांग में नज़रबंदी कैंपों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएंगे. राष्ट्रपति के तौर बाइडन इसे लेकर कोई ठोस क़दम उठाएंगे. म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के साथ जो कुछ भी हुआ और हो रहा वो वीभत्स है. इससे शांति और स्थिरता दांव पर लगी है.''
ट्रंप ने भी दिए थे झटके
हालांकि ट्रंप की भी कई ऐसी नीतिया रही हैं जिनसे भारत को नुक़सान हुआ है. ट्रंप सरकार ने अपनी प्रिफ्रेंशियल ट्रेड पॉलिसी (कारोबार में तवज्जो) के जनरल सिस्टम ऑफ़ प्रिफरेंसेज़ में से भारत को बाहर कर दिया था. इस नीति की वजह से भारत से अमरीका जाने वाले 1930 उत्पाद अमरीका में आयात शुल्क देने से बच जाते थे. साल 1970 के दशक में अमरीकी सरकार ने विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करने के मंसूबे के साथ इस नीति को अपनाया था. इसके अलावा एचबी1 वीज़ा पर भी ट्रंप की नीतियां भारत के ख़िलाफ़ रही हैं.
लेकिन ट्रंप प्रशासन सीएए, एनआरसी और कश्मीर को लेकर चुप रहा था. इस मामले में पाकिस्तान ने अमेरिका पर दबाव बनाने की कोशिश की थी लेकिन ट्रंप प्रशासन पर इसका असर नहीं पड़ा था.(bbc)