अंतरराष्ट्रीय
नेपाल के बाद अब मोरक्को में भी जेन-जी सड़कों पर है. समाज में गैर-बराबरी के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि सरकारी स्कूलों और अस्पतालों की सूरत बदले. कैसे शुरू हुआ ये प्रोटेस्ट?
डॉयचे वैले पर स्वाति मिश्रा की रिपोर्ट -
मोरक्को में युवा पीढ़ी बड़े स्तर पर प्रदर्शन कर रही है. 3 अक्टूबर को लगातार सातवें दिन युवा सड़कों पर नजर आए. प्रदर्शनों की अगुआई युवाओं की एक सामूहिक मुहिम "जेनजी 212" कर रही है. इसके आयोजक गुमनाम हैं.
इस ग्रुप ने टिकटॉक, इंस्टाग्राम और सोशल चैट ऐप जैसे माध्यमों का इस्तेमाल कर ऑनलाइन समर्थन जुटाया. प्रदर्शनों की शुरुआत 27 सितंबर को हुई. यह इतना औचक शुरू हुआ कि प्रशासन हैरान रह गया. प्रदर्शनकारी युवा देश में बड़े स्तर पर सुधार की मांग कर रहे हैं.
क्या है जेन-जी 212?
यह समूह बहुत नया है. सितंबर में 'डिस्कॉर्ड' नाम के एक ऑनलाइन मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर इसका गठन हुआ. बीते दिनों नेपाल में हुए प्रदर्शनों में भी युवाओं ने इसी ऐप पर खुद को लामबंद किया था. फिर, डिस्कॉर्ड पर ही उन्होंने देश के लिए नए प्रधानमंत्री का भी चुनाव किया.
मोरक्को में जारी युवा आंदोलन को अपना नाम 'जेनरेशन जेड' (संक्षिप्त नाम, जेन जी) से मिला है, यानी 1997 से 2009 के बीच पैदा हुई पीढ़ी. 'जेन-जी 212' के नाम में जुड़ी संख्या मोरक्को का अंतरराष्ट्रीय फोन कोड +212 है.
'जेन-जी 212' खुद को एक युवा आंदोलन बताता है. ग्रुप के मुताबिक, उनका किसी राजनीतिक विचारधारा के प्रति झुकाव या जुड़ाव नहीं है. उनका यह भी कहना है कि राजशाही से उनका कोई विरोध नहीं है और वे "देश और अपने राजा" मुहम्मद VI से प्यार करते हैं.
समूह के कुछ शुरुआती सदस्यों ने समाचार एजेंसी एएफपी से बात की. उन्होंने कहा कि बदले की कार्रवाई के डर से वे अपना नाम नहीं बताना चाहते. अपना मकसद बताते हुए उन्होंने कहा कि मोरक्को की सामाजिक असमानताओं को सामने लाने के लिए इस समूह का गठन किया गया.
क्यों शुरू हुआ प्रॉटेस्ट?
यह ग्रुप हर शाम डिस्कॉर्ड ऐप पर चर्चा करता है. आगे की राह क्या होगी, क्या कदम उठाना है, इसका फैसला वोटिंग से किया जाता है. ऐसे ही एक शुरुआती पोल में बात उठी थी कि क्या 27 सितंबर को उन्हें सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन शुरू कर देना चाहिए. फैसला पक्ष में रहा और देशभर में प्रदर्शन शुरू हो गए.
शांतिपूर्ण प्रदर्शनों की अपील को पहले-पहल, ना मीडिया और ना ही समीक्षकों ने गंभीरता से लिया. लेकिन प्रशासन ने सख्ती दिखाई और शुरुआती प्रदर्शनों को बैन कर दिया गया. इसके बाद तो ग्रुप की ऑनलाइन मेंबरशिप बढ़ती ही गई. 3 अक्तूबर तक सदस्यों की संख्या करीब 170,000 हो गई है.
एक हालिया घटना ने युवाओं को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई. खबरों के मुताबिक, पिछले महीने अगादीर नाम के एक शहर के सरकारी अस्पताल में आठ गर्भवती महिलाओं की मौत हो गई. इन मौतों पर लोगों में काफी असंतोष और नाराजगी थी.
अब तक हुए प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण नहीं रहे हैं. कुछ शहरों में हिंसा और तोड़-फोड़ हुई है. 1 अक्तूबर को अगादीर शहर में प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों के एक समूह पर गोली चलाई. इसमें तीन लोग मारे गए. प्रशासन का दावा है कि प्रर्दशनकारी पुलिस स्टेशन में घुसने की कोशिश कर रहे थे. उधर, 'जेन-जी 212' ने कई बार कहा कि वो किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहीं करते हैं.
प्रदर्शनकारियों की मांग क्या है?
मोरक्को की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा और सरकारी स्कूलों में सुधार करना 'जेन-जी 212' की प्रमुख मांग है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये दोनों सेक्टर देश में कायम सामाजिक असमानता की सबसे खराब मिसाल हैं. मोरक्को के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में बहुत भीड़ रहती है. मरीजों की संख्या अस्पताल की क्षमता से कहीं ज्यादा होती है.
निजी अस्पतालों के मुकाबले सरकारी हॉस्पिटलों के पास संसाधनों का भी अभाव है. इसकी वजह से गरीब लोगों को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं. 20 साल की एक प्रदर्शनकारी फातिमा जेहरा ने एएफपी को बताया, "कभी-कभी तो अस्पताल में एक बिस्तर हासिल करने के लिए मजबूरन हमें रिश्वत देनी पड़ती है." सरकारी स्कूलों की स्थिति भी सरकारी अस्पतालों की हालत से अलग नहीं है.
अपनी मांगों के समर्थन में देश के राजा मुहम्मद VI को संबोधित एक सोशल पोस्ट में ग्रुप ने सरकार को निलंबित करने की मांग की. हालांकि, बाद में एक और बयान आया जिसमें वो इस मांग से पीछे हट गए.
क्यों खास हैं मौजूदा प्रदर्शन?
मोरक्को में सामाजिक मुद्दों पर प्रदर्शन होते रहे हैं. मसलन, साल 2011 में "फरवरी 20 मूवमेंट" हुआ जिसे मोरक्को का 'अरब स्प्रिंग' कहा जाता है. उसमें भी युवाओं की भागीदारी थी. मगर 'जेन-जी 212' में अपेक्षाकृत काफी कम उम्र के युवा भी हिस्सा ले रहे हैं. खबरों के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों में नाबालिग भी शामिल हैं.
एक खास पहलू यह भी है कि आंदोलन किसने शुरू किया, यह अभी तक नहीं पता चला है. युवा, सोशल मीडिया पर साथ आए. डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर ही आंदोलन जन्मा, फला-फूला और जमीन पर उतरा. देखते-ही-देखते 'जेन-जी 212' ने बहुत रफ्तार से युवाओं को एकजुट किया और देशभर में प्रदर्शन शुरू हो गए. ऊपर से, काफी संगठित होने के बावजूद यह ग्रुप अपनी मुहिम को अराजनीतिक बताता है.
राजनीति विज्ञानी मुहम्मद चिकेर बताते हैं, "यूं तो युवा कई साल से फुटबॉल स्टेडियमों में अपनी नाराजगी जाहिर करते आए हैं, लेकिन युवाओं को अक्सर इसी तरह से देखा जाता रहा है कि वो भावनात्मक रूप से तटस्थ हैं." विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान आंदोलन ने दिखाया है कि युवाओं में सामाजिक और राजनीतिक मसलों पर काफी जागरूकता है और नाराजगी भी है.
क्या फुटबॉल वर्ल्ड कप की मेजबानी पर भी नाराजगी है?
मोरक्को में फुटबॉल बहुत लोकप्रिय है. हालिया सालों में अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में भी मोरक्को ने काफी तरक्की की है. कतर में हुए फुटबॉल वर्ल्ड कप में मोरक्को सेमी फाइनल में पहुंचा था. यह पहली बार था, जब कोई अफ्रीकी टीम इस मकाम पर पहुंची थी. ऐसा करने वाला वह पहला अरब देश भी था. सिर्फ मोरक्को नहीं, समूचे अरब में लोगों ने इस उपलब्धि का जश्न मनाया.
साल 2030 में मोरक्को, स्पेन और पुर्तगाल के साथ मिलकर वर्ल्ड कप की मेजबानी कर रहा है. इसकी तैयारी में बहुत सारा पैसा खर्च किया जा रहा है. छह स्टेडियमों को रेनोवेट करने के अलावा एक विशाल स्टेडियम बनाया भी जा रहा है. खबरों के मुताबिक, नया स्टेडियम साल 2028 तक बनकर तैयार होगा और इसमें करीब 170 करोड़ डॉलर की लागत आएगी.
वर्ल्ड कप की तैयारियों के क्रम में बुनियादी ढांचे पर भी बड़ा निवेश किया जा रहा है. इनमें रेल परिवहन को दुरुस्त करने के लिए करीब 900 करोड़ डॉलर, 5जी इंटरनेट पर लगभग 700 करोड़ डॉलर और हवाईअड्डों के लिए करीब 370 करोड़ डॉलर के निवेश की योजनाएं शामिल हैं.
युवा प्रदर्शनकारियों ने वर्ल्ड कप की मेजबानी और इसकी तैयारियों पर हो रहे भारी-भरकम खर्च को लेकर कोई स्पष्ट मांग तो नहीं की है, लेकिन उनके नारों में यह मुद्दा शामिल है. प्रदर्शनकारी जो नारे लगा रहे हैं उनमें से एक यह भी है, "हेल्थ, बस स्टेडियम नहीं." ग्रुप के एक सदस्य ने डिस्कॉर्ड पर स्पष्ट किया कि वो ये नहीं चाहते कि मोरक्को वर्ल्ड कप की मेजबानी ना करे. उनकी मांग यह है कि स्टेडियम बनाने के लिए जितने प्रयास किए जा रहे हैं, वैसी ही कोशिश अस्पताल बनाने के लिए भी की जाए. (dw.comhi)


