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बढ़ते तनाव और गहराते विभाजन के बीच गांधी का संदेश और प्रासंगिक हो गया है: संयुक्त राष्ट्र प्रमुख
03-Oct-2025 11:42 AM
बढ़ते तनाव और गहराते विभाजन के बीच गांधी का संदेश और प्रासंगिक हो गया है: संयुक्त राष्ट्र प्रमुख

(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, 3 अक्टूबर। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने वैश्विक समुदाय से आपसी मतभेदों को दूर करने और कूटनीति को आगे बढ़ाने के लिए महात्मा गांधी के दिखाए मार्ग का अनुसरण करने का आह्वान करते हुए कहा कि दुनिया में इस समय बढ़ते तनाव के बीच गांधी का शांति का संदेश नए सिरे से प्रासंगिक हो गया है।

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख का संदेश बृहस्पतिवार को यहां संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा आयोजित एक विशेष स्मृति कार्यक्रम के दौरान दिया गया। यह कार्यक्रम दो अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर आयोजित किया गया था। गांधी जयंती को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने अपने विशेष संदेश में कहा कि आज दुनिया ‘‘हमारी साझा मानवता के चिंताजनक’’ क्षरण का गवाह बन रही है।

गुतारेस ने कहा, ‘‘इस अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर हम महात्मा गांधी के जीवन एवं उनकी विरासत और सभी के लिए शांति, सत्य एवं सम्मान के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का सम्मान करते हैं। गांधीजी ने न केवल इन आदर्शों की बात की बल्कि उन्हें जीया भी। बढ़ते तनाव और गहराते विभाजन के इस दौर में उनका संदेश नए सिरे से प्रासंगिक है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हिंसा संवाद की जगह ले रही है, आम नागरिक संघर्ष का खामियाजा भुगत रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हो रहा है, मानवाधिकारों का हनन हो रहा है और शांति की नींव खतरे में है।’’

गुतारेस ने कहा कि गांधी जी का मानना था कि अहिंसा कमजोरों का हथियार नहीं, बल्कि साहसी लोगों की ताकत है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने इस कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र के दूतों, अधिकारियों और नागरिक समाज के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि विभाजन एवं संघर्ष के मौजूदा युग में गांधीजी का संदेश स्पष्ट है कि दुनिया में स्थायी शांति हासिल करने के लिए मानव जाति के पास अहिंसा सबसे बड़ी शक्ति है।

हरीश ने कहा, ‘‘महात्मा गांधी का संदेश केवल भारत या अतीत तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह भविष्य की ओर एक ऐसे विश्व का मार्ग प्रशस्त करता है जहां संघर्ष पर शांति की विजय होती है, जहां विभाजन पर संवाद की जीत होती है और भय पर करुणा की विजय होती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आइए, इस लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए हम सत्य के प्रति महात्मा गांधी के दृष्टिकोण, ‘सर्वोदय’ यानी सभी का उत्थान और किसी को पीछे न छोड़ने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता तथा उनके इस विश्वास को अपनाएं कि वास्तविक प्रगति सत्य और अहिंसा के मार्ग से ही आती है।’’

संयुक्त राष्ट्र में नेपाल के स्थायी प्रतिनिधि लोक बहादुर थापा ने आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ईसीओएसओसी) के अध्यक्ष के रूप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गांधीजी को शांति, अहिंसा और नैतिक नेतृत्व का प्रतीक बताया। (भाषा)


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