अंतरराष्ट्रीय
नेपाल की राष्ट्रीय समाचार एजेंसी (एनएसए) ने एक पुलिस प्रवक्ता के हवाले से बताया है कि सोमवार और मंगलवार को हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान उपजे हालात में देश भर की अलग-अलग जेलों से भागे दस हज़ार से ज़्यादा क़ैदी अभी भी फ़रार हैं.
बीबीसी नेपाली सेवा के मुताबिक़ एनएसए ने बताया है कि ऐसे क़रीब 4 हज़ार क़ैदियों को गिरफ़्तार भी कर लिया गया है.
इस बीच नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने पदभार ग्रहण करने के बाद तीन अहम मुद्दों पर बात की है.
1. जान-माल का व्यापक नुक़सान
बीबीसी नेपाली के मुताबिक़ प्रधानमंत्री कार्की ने कहा कि आगजनी की घटना में तराई इलाक़े के सभी जिला न्यायालय और उच्च न्यायालय के साथ ही सिंह दरबार और सर्वोच्च न्यायालय तक, जलकर खाक हो गए और इन जगहों पर रखी सभी फाइलें नष्ट हो गईं.
उन्होंने कहा कि क्षतिग्रस्त होने पर इमारतों को फिर से बनवाया जा सकता है, लेकिन दस्तावेज वापस नहीं लाए जा सकते हैं.
प्रधानमंत्री कार्की ने कहा, "रिकॉर्ड, पुरानी फाइलें और विवरण सब नष्ट कर दिए गए हैं और अब हम शून्य पर हैं."
2. पीड़ितों के लिए मुआवजा
प्रधानमंत्री कार्की ने कहा कि 'जेन ज़ी' आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों को शहीद घोषित किया जाएगा. मारे गए लोगों के परिवारों और घायलों को ज़रूरी मुआवजा दिया जाएगा. इसके तहत सरकार हर मृतक के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवज़ा देगी.
3. निर्धारित समय के अंदर चुनाव
नेपाल की महिला मुख्य न्यायाधीश बनकर इतिहास रचने वाली कार्की ने बताया कि अब उन्होंने हालात की वजह से यह नई भूमिका संभाली है.
उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें अपनी इच्छा से नहीं बल्कि हर जगह से प्रभारी बनाने की मांग की वजह से झुकना पड़ा.
कार्की ने कहा, "मैं सत्ता या पद का सुख भोगने नहीं आई हूं और मेरी उम्र भी ऐसी नहीं है."
उन्होंने छह महीने के अंदर नई निर्वाचित सरकार को सत्ता सौंपने की बात दोहराई है. (bbc.com/hindi)


