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ग़ज़ा में सुरक्षित नहीं है कोई भी जगह, खुले में रहने को मजबूर हैं लोग- संयुक्त राष्ट्र की अधिकारी
31-Dec-2023 9:54 AM
ग़ज़ा में सुरक्षित नहीं है कोई भी जगह, खुले में रहने को मजबूर हैं लोग- संयुक्त राष्ट्र की अधिकारी

संयुक्त राष्ट्र की सहायता एजेंसी यूएनआरडब्लूए की डायरेक्टर जूलिएट टूमा ने कहा है कि ग़ज़ा में मानवीय सहायता की मांग लगातार बढ़ रही है. यहां कई लोग खुले में रहने को मजबूर हैं.

जूलिएट टूमा ने बीबीसी से कहा, “ग़ज़ा पट्टी के कई इलाके ऐसे हैं जहां हमारी लगातार पहुंच होनी चाहिए लेकिन वहां हम पर पाबंदी जारी है. मसलन ग़ज़ा पट्टी का उत्तरी इलाका.”

उन्होंने बताया, “ग़ज़ा तक बहुत कम आपूर्ति पहुंच रही है. यहां कोई बाज़ार नहीं है, ऐसे में लोग हमारी जैसी संस्थाओं पर बहुत हद तक निर्भर हो गए हैं.”

ग़ज़ा की कुल आबादी करीब 22 लाख है.

जूलियट टूमा ने कहा, “सुरक्षित तौर पर ये कहा जा सकता है कि ग़ज़ा का हर व्यक्ति किसी न किसी तरह से प्रभावित है.”

इसराइल का कहना है कि वो सहायता समाग्री पर रोक नहीं लगा रहा है. इसराइल के मुताबिक, दिक्कत सामान बांटने से जुड़ी है.

जूलियट टूमा बताती हैं कि ग़ज़ा के करीब 14 लाख लोग उनकी ओर से उपलब्ध कराई जा रही जगहों पर रह रहे हैं. इनमें ज़्यादातर वो स्कूल हैं, जिन्हें लड़ाई शुरू होने के पहले यूएन चलाता था.

उन्होंने बताया, “बाकी लोग जहां जगह मिल रही है, वहां रह रहे हैं. मसलन सड़क पर या किसी दोस्त के साथ उसके घर पर.”

जूलियट टूमा ने कहा, “बहुत से लोग खुले में रह रहे हैं. वो पार्क में रहते हैं. कारों में रह रहे हैं. उन्हें सुरक्षित जगह की तलाश है लेकिन ऐसी जगह उन्हें मिल नहीं पाती है क्योंकि ग़ज़ा में कहीं कोई सुरक्षा नहीं है.” (bbc.com/hindi)

 


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