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यूक्रेन में फंसे भारतीय: 'पता नहीं इंडिया जाने को फ्लाइट कब मिलेगी'
25-Feb-2022 9:31 AM
यूक्रेन में फंसे भारतीय: 'पता नहीं इंडिया जाने को फ्लाइट कब मिलेगी'

-सुशीला सिंह

''सुबह जब मैंने अपनी हॉस्टल की खिड़की से बाहर देखा तो आग लगी हुई थी शायद कोई ब्लॉस्ट हुआ होगा. मुझे नहीं पता. जब धुआं निकालना शुरू हुआ तो हम सब बच्चे डर गए थे."

"बहुत हलचल मच गई थी. बच्चे कैश निकालने के लिए भागने लगे. घर वापस जाना है बस किसी भी तरह मम्मी पापा के पास जाना है.''

ये शब्द 18 साल के माज़ हसन के हैं जो दो महीने पहले बीते वर्ष दिसंबर के महीने में इवानो शहर में फ्रैंकिविस्क नैशनल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई करने यूक्रेन पहुंचे हैं.

भारत में उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद के रहने वाले माज़ हसन ने स्टोर में सामान खरीदते वक्त बीबीसी से वीडियो बातचीत में कहा, ''ये देखिए इस स्टोर में कितनी भीड़ लगी हुई है. यहां रैक में खाने के सामान नहीं है सिर्फ मैगी है. घर में कल ही बात हुई थी. घरवाले भी बहुत परेशान हैं. पता नहीं फ्लाइट इंडिया जाने के लिए कब मिलेगी. यहां लोग डरे हुए है तो हमें भी डर लग रहा है.''

'बच्चे पैनिक कर रहे हैं'
इसी वीडियो में माज़ हसन को तसल्ली देते हुए अनुराग सैनी कहते हैं, ''हालात गंभीर हो चुके हैं और बच्चे रो रहे हैं. मैंने उन्हें समझाया भी कि पैनिक ना करें. इनमें से ज्यादातर बच्चे वो है जो फस्ट या सेकंड ईयर में पढ़ाई कर रहे हैं.अभी कुछ समय पहले मेरे हॉस्टल के ऊपर से जेट फाइटर भी उड़े हैं और मेरे हॉस्टल में नीचे बंकर है और हमें स्थिति बिगड़ने पर वहां जाने की हिदायत दी गई है.''

अनुराग देश की राजधानी कीएफ़ में नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी ओ.ओ.बोगोमोलेट्स से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं और अभी चौथे साल में हैं.

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से आने वाले अनुराग सैनी बताते हैं कि यहां एमबीबीएस की छह साल की पढ़ाई होती है और उनके हॉस्टल में करीब 500 भारतीय छात्र होंगे.

रूस के यूक्रेन पर विशेष सैन्य अभियान की घोषणा के बाद वहां और दुनियाभर में घटनाक्रम तेज़ी से बदल ले रहे हैं जिससे भारत भी अछूता नहीं रहा है. इसका असर जहां भारत से यूक्रेन पढ़ाई करने गए छात्रों पर पड़ रहा है वहीं तेल के दामों में वृद्धि की भी आशंका जताई जा रही है.

अनुराग कहते हैं कि डर इसी बात का है कि स्थिति जिस तरह से बढ़ती जा रही है तो इतनी ना बढ़ जाए क्योंकि दो साल पहले भी ऐसी चीज़ें हो रही थीं और कहा जा रहा था कि युद्ध होने वाला है. तो हम एक तरह से ये सुनते आए हैं लेकिन अभी अचानक से स्थिति ऐसी हो गई है.

वो बताते हैं, ''मैं सुबह खाना लेने गया था और काफ़ी भीड़ थी. इन लोगों में भारतीय और यूक्रेन के लोग भी थे. लगता है खाने की कमी हो जाए लेकिन सप्लाई आनी चाहिए.''

भारत की तरफ से नई एडवाइजरी
इधर यूक्रेन की स्थिति को देखते हुए भारतीय दूतावास ने दूसरी बार 20 फरवरी को एडवाइजरी जारी की थी. इसमें यूक्रेन में पढ़ रहे छात्रों और भारतीयों से दूतावास से संपर्क साधाने की बात कही गई है. ज़रूरी ना होने पर भारत लौटने की सलाह भी दी गई थी.

अब नई एडवाइजरी भी जारी की गई है जिसमें कहा गया है कि यूक्रेन ने हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है इसलिए विमानों की विशेष सेवा स्थगित हो गई है लेकिन भारतीय नागरिकों को बाहर निकालने के लिए वैकल्पिक समाधान निकाले जा रहे हैं.

इस विषय पर जब मैंने इन दोनों छात्रों से पूछा तो अनुराग सैनी का कहना था, ''भारतीय दूतावास से हमारा संपर्क हुआ है और उनका कहना था कि चिंता ना करें साथ ही हमारे साथ नंबर भी शेयर किए गए हैं और कहा कि कोई भी इस नबंर पर कुछ भी पूछ सकता है जो चौबीस घंटे चलने वाले नंबर है साथ ही दूतावास ने लिंक शेयर किए जिसमें बंकर की भी जानकारी दी गई है.''

माज़ बताते हैं, ''भारतीय दूतावास को हॉस्टल में मौजूद बच्चों ने फ़ोन लगाया था. वहां से हमें अपने दस्तावेज़ पास में रखने को कहा गया है. बच्चों ने काफ़ी ट्वीट भी किए हैं कि हमें यहां से बाहर निकालिए क्योंकि बहुत बुरे हालात हैं. सुबह जब इतना धुंआ था तो सब उठ गए थे. शोर हो रहा था सब यहीं सोच रहे थे कि ये क्या हो रहा है. अभी बस कैसे भी करके इंडिया जाना है. हम भी परेशान हैं और घरवाले भी परेशान हो रहे हैं.''

फ्लाइट महंगी
अनुराग सैनी कहते हैं, ''मैं इसी महीने की शुरुआत में भारत से कीएफ़ आया हूं. अब फिर फ्लाइट पकड़ के लौटना. इतने पैसे किसी के पास नहीं है. मेरा रूममेट बस इसलिए नहीं जाना चाहता है क्योंकि वो टिकट के लिए 80-90 हज़ार रुपये नहीं दे सकता है और यही दिक्कत मेरे साथ भी है कि मैं भी इतने पैसे नहीं दे सकता. इसलिए मैंने ऐसी फ्लाइट चुनी जिसमें बहुत समय लग रहा है. और शायद वो भी कैंसिल हो जाए. तो सरकार को देखना चाहिए इतने दाम न बढ़ें.''

इसी बात को आगे बढ़ाते हुए माज़ हसन कहते हैं, ''अभी दूसरे समेस्टर की फ़ीस, अभी मैं यहां आया था और अब वापस लौटने के लिए टिकट का पैसा तो करीब एक लाख रुपये लग जाएंगे. सोचा था मार्च महीने के आख़िरी में चला जाऊंगा लेकिन स्थिति बहुत ख़राब हो गई है .कोई भी फ़्लाइट हो वापस जाने के लिए फ़्लाइट मिलनी चाहिए बस.''

अनुराग बताते हैं कि यहां यूनिर्सिटी के हर फ्लोर पर ब्लॉक बंटे होते हैं जहां कमरे होते हैं और किचन होता है. जहां आपको अपना खाना खुद बनाना होता है. यहां बच्चों को इंडिपेंडंट बनाने की कोशिश होती है. जैसे बच्चे खुद खाना बनाए, खुद से साफ़-सफ़ाई करें. इसी वजह से कैंटीन नहीं होती लेकिन प्राइवेट हॉस्टल में ऐसा नहीं होता.

इन छात्रों का कहना है कि एटीएम पर लंबी लाइनें लग रही हैं और कैश की भी कमी हो रही है. इन बच्चों को कहा गया है कि वो दो कि संख्या में बाहर जाएं और झुंड में ना जाए. ऐसे में इन छात्रों में सामान ख़त्म होने के साथ साथ बाहर निकलने का खौफ़ है. (bbc.com)


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