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जर्मनी में भारत और बांग्लादेश के विदेश मंत्री के बीच यह सवाल-जवाब
21-Feb-2022 11:53 AM
जर्मनी में भारत और बांग्लादेश के विदेश मंत्री के बीच यह सवाल-जवाब

जर्मनी के म्यूनिख शहर में शनिवार को एक सिक्यॉरिटी कॉन्फ़्रेंस में बांग्लादेश और भारत के विदेश मंत्रियों के बीच सवाल-जवाब का दौर चला.

भारत के अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू और बांग्लादेश की न्यूज़ एजेंसी यूएनबी (यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ बांग्लादेश) के अनुसार, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जो देश ग़ैर-टिकाऊ प्रोजेक्ट जैसे- एयरपोर्ट्स और पोर्ट्स के लिए क़र्ज़ चाह रहे हैं, उन्हें सतर्क रहना चाहिए.

इसके जवाब में बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमिन ने कहा कि ऐसे में क्वॉड देशों को चीन की तरह वित्तीय मदद मुहैया करानी चाहिए. क्वॉड में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत हैं. क्वॉड के बारे में कहा जाता है कि यह हिन्द-प्रशांत में चीन की बढ़ती आक्रामकता से निपटने के लिए है.

द हिन्दू के अनुसार, जयशंकर ने कहा कि भारत के साथ चीन के संबंध मुश्किल दौर में हैं. भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, ''हमने देखा है कि हमारे क्षेत्र के देश भी बड़े क़र्ज़ के बोझ से दबे हैं. हमने उन परियोजनाओं को देखा है, जो व्यावसायिक रूप से टिकाऊ नही हैं: ऐसे एयरोपोर्ट हैं, जहाँ एक भी प्लेन नहीं आता है, ऐसे बंदरगाह हैं, जहाँ एक भी शिप नहीं आती है.''

जयशंकर इंडो-पैसिफिक के भविष्य पर आयोजित एक पैनल का हिस्सा थे. जयशंकर की टिप्पणी को श्रीलंका में गहराते क़र्ज़ के संकट से जोड़कर देखा जा रहा है.

श्रीलंका में हम्बनटोटा और मटाला एयरपोर्ट को लेकर कई चिंताएं हैं. दोनों को चीनी क़र्ज़ से विकसित किया गया है. श्रीलंका इस क़र्ज़ को चुकाने के लिए जूझ रहा है. आख़िरकार क़र्ज़ नहीं चुका पाने की स्थिति में श्रीलंका को मजबूरी में हम्बनटोटा पोर्ट एक चीनी कंपनी को 99 साल की लीज पर देना पड़ा था.

बांग्लादेश की न्यूज़ एजेंसी यूएनबी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि वहां के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमिन ने कहा कि बांग्लादेश में इन्फ़्रास्ट्रक्चर से जुड़ी ज़रूरतें बढ़ रही हैं और चीन तब आकर मदद कर रहा है, जब कई देश मदद से इनकार कर रहे हैं. यूएनबी के अनुसार, मोमिन ने कहा कि चीन न केवल पैसे के साथ आ रहा है बल्कि वह काफ़ी सक्रियता दिखा रहा है और वहन करने योग्य भी है.

यूएनबी ने लिखा है, ''भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि इस मामले में देशों को वैसे फ़ैसले करने चाहिए, जिनके बारे में पूरी जानकारी हो. जयशंकर ने कहा कि इस इलाक़े में कई देश ख़ास क़र्ज़ों से परेशान हैं. बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आर्थिक विकास के मामले में उनका मुल्क अपेक्षाकृत अच्छा कर रहा है.''

बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने कहा, ''लोग सुविधा के अलावा और मौक़े चाह रहे हैं ताकि गुज़र-बसर ठीक से हो. देश में इन्फ़्रास्ट्रक्चर सुविधा की ज़रूरतें बढ़ रही हैं. लेकिन हमारे पास पैसे नहीं हैं. हमारे पास तकनीक भी नहीं है. लोगों की ज़रूरतें हमें पूरी करनी है लेकिन कई देशों ने मदद से इनकार कर दिया. मैं जापान को धन्यवाद देना चाहता हूँ, जो हमारा अच्छा दोस्त है और बांग्लादेश में निवेश कर रहा है. मैं भारत को भी धन्यवाद देना चाहता हूँ क्योंकि यहाँ से भी कई परियोजनाओं में हमें मदद मिली है.''

यूएनबी के अनुसार, बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने कहा, ''बांग्लादेश ने ज़्यादातर क़र्ज़ विश्व बैंक, आईएमएफ़ और एडीबी से लिया है. मोमिन के सवाल के जवाब में भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति काफ़ी प्रतिस्पर्धी है और हर देश मौक़े देखेगा. लेकिन ऐसा करते वक़्त विवेकपूर्ण होना और यह सोचना ज़रूरी है कि यह उनके हित में किस हद तक है. हमने अपने क्षेत्र में भी वैसे देशों को देखा है, जो इसी चक्कर में क़र्ज़ के बोझ से दबे हुए हैं. मुझे लगता है कि लोगों को समझना चाहिए कि उन्हें क्या मिल रहा है.''

यूएनबी के अनुसार, भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि कोई भी फ़ैसला चीज़ों को समझकर लेना चाहिए.(bbc.com)


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