अंतरराष्ट्रीय
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अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के सत्ता में वापस आने के बाद से कुछ यूनिवर्सिटी में छात्रों की वापसी हो रही है. लेकिन तालिबान ने कहा है कि लड़के और लड़कियां को अलग-अलग रखा जाएगा और शिक्षा धार्मिक सिद्धांतों पर आधारिक होगी.
अभी भी अफ़ग़ानिस्तान में सेकेंड्री स्कूलों में लड़कियों को जाने की अनुमति नहीं मिल सकी है.
नोबेल पुरस्कार विजेता और लड़कियों की शिक्षा के लिए काम करने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफ़ज़ई ने इस पर कहा है कि तालिबान धर्म की आड़ लेकर लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने से नहीं रोक सकते.
बीबीसी से बात करते हुए मलाला ने कहा, ‘’कई महिलाएं जो काम पर जाती थी अब घर पर बैठी हैं, लड़कियां स्कूल जाने का इंतज़ार कर रही हैं. सभी ये जानना चाहते हैं कि क्या ये नई सत्ता महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करेगी. हमें पता है कि अफ़ग़ानिस्तान की महिला फ़ुटबॉल टीम, क्रिकेट टीम और रोबोटिक्स टीमों को देश छोड़ना पड़ा क्योंकि वह अफ़ग़ानिस्तान में रहते हुए ये कर नहीं सकती थीं, उन्हें लग रहा था कि अफ़ग़ानिस्तान में उनका करियर ख़त्म हो जाएगा.‘’
‘’ ये काफ़ी हद तक बताता है कि उस देश में महिलाओं के साथ क्या हो रहा है. उन बहादुर अफ़ग़ान महिलाओं को सलाम जो सड़कों पर आ रही हैं और आवाज़ बुलंद कर रही है, जिससे तालिबान पर भी दबाव बढ़ रहा है.‘' (bbc.com)