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मर्दों के आधिपत्य को तोड़ती आर्कटिक जहाज की रूसी महिला कप्तान
08-Sep-2021 9:58 PM
मर्दों के आधिपत्य को तोड़ती आर्कटिक जहाज की रूसी महिला कप्तान

डायना कीजी आर्कटिक में बर्फ को तोड़ने वाले रूसी जहाज पर सेकंड इन कमांड हैं. रूस में कई पेशों को आज भी पुरुषों के लिए ही माना जाता है और कीजी ऐसे समाज की पुरानी धारणाओं को तोड़ रही हैं.

(dw.com)

अपनी दूरबीन से सामने आने वाले आइसबर्गों को देखती हुई कीजी अपने बर्फ तोड़ने वाले रूसी जहाज के खेवनहार को चीख कर आदेश देती हैं, "10 डिग्री बाईं तरफ!" यह जहाज परमाणु ऊर्जा से चलता है और धीरे धीरे उत्तरी ध्रुव की तरफ बढ़ रहा है.

कीजी सिर्फ 27 साल की हैं और वो "जीत के 50 साल" नाम के इस जहाज के तीन चीफ मेट में से एक हैं, यानी कप्तान के ठीक बाद जहाज के लिए जिम्मेदार अधिकारी. वो यह तय करती हैं कि आर्कटिक सागर के जमे हुए पानियों से होता हुआ उनका विशालकाय जहाज कौन सा रास्ता लेगा.

दल में सभी पुरुष

जहाज के ब्रिज पर खड़ीं कीजी दर्जनों सेंसरों से आने वाली जानकारी दिखा रहे स्क्रीनों से घिरी हैं. इनमें से एक कई किलोमीटर दूर फैली बर्फ की मोटाई बताता है. दूरबीन में एक छोटा सा सफेद बिंदु दिखाई देने से कीजी तुरंत समझ जाती हैं कि आगे एक पोलर भालू है.

ब्रिज के नाविक दल में सभी पुरुष हैं और उनमें से कई तो कीजी से उम्र में काफी बड़े हैं. फिर भी कीजी उन्हें आदेश देती है कि वो जहाज को धीमा कर लें ताकि वो भालू के शिकार करने के रास्ते में बाधा ना डालें. सभी कर्मी उनके आदेश का पालन करते हैं और जहाज के नीचे से आ रही बर्फ के टूटने की आवाज कम होने लगती है. 

रूस के बढ़ते हुए परमाणु आइसब्रेकर जहाजी बेड़े में कीजी सबसे वरिष्ठ महिला हैं. यह बेड़ा सरकारी परमाणु ऊर्जा कंपनी रोजातोम का है. जलवायु परिवर्तन की वजह से आर्टिक और खुलता जा रहा है और रूस को उम्मीद है कि ऐसे में यह बेड़ा इस इलाके पर उसे प्रभुत्व बनाने में सहायक होगा.

काम पर ध्यान

कीजी के जहाज पर नौ और महिलाएं हैं जो रसोई, चिकित्सा सेवाओं और सफाई सेवाओं में काम करती हैं. जहाज पर काम करने वाले बाकी 95 कर्मियों में सभी पुरुष हैं और उनमें से कइयों ने बताया कि उन्हें एक महिला से आदेश लेना अच्छा नहीं लगता.

लेकिन कीजी लैंगिकवाद के बारे में बात करने के प्रति अनिच्छुक हैं. वो अपने काम में श्रेष्ठ होने के संकल्प पर ध्यान लगाना चाहती हैं. जहाज एक बार में चार महीनों तक आर्कटिक में घूमता है और सुबह और शाम को चार चार घंटों की शिफ्ट के दौरान कीजी ही इसकी दिशा तय करती हैं.

अधिकतर कर्मियों की तरह कीजी भी रूस के दूसरे शहर संत पीटर्सबर्ग से हैं. समुद्र में काम करने का उनका बचपन से सपना था. शुरू में वो रूस की नौसेना में शामिल होना चाहती थीं, लेकिन संत पीटर्सबर्ग के नौसैनिक संस्थान में महिलाएं प्रशिक्षण नहीं पा सकती थीं.

बड़े बड़े सपने

संयोगवश जैसे ही उनकी स्कूल की पढ़ाई पूरी हुई उसी समय व्यापारिक जहाजरानी के एक मैरीटाइम विश्वविद्यालय में महिलाओं के लिए एक कोर्स शुरू हुआ. कीजी कहती हैं, "मैंने इसे एक संकेत की तरह लिया. जब आपके सामने एक नया रास्ता खुल जाए तो किसी बंद दरवाजे पर दस्तक देने का क्या फायदा."

वहां से उत्तीर्ण होने के कुछ ही समय बाद उन्हें एक आइसब्रेकर बेड़े में शामिल होने का निमंत्रण मिला. उन्हें तुरंत "मोहब्बत हो गई." 2018 में वो इस जहाज के दल में शामिल हो गईं, जो कि परमाणु ऊर्जा से चलने वाला उनके जीवन का पहला जहाज है.

वो जल्द कर्मियों में ऊपर की ओर बढ़ती गईं. उन्होंने अब तक आर्कटिक के दर्जनों चक्कर काट लिए हैं और उत्तरी ध्रुव तक भी नौ बार हो आई हैं.

45 वर्षीय दिमित्री निकितिन उनके सहकर्मियों में से एक हैं. वो कहते हैं कि कीजी एक मिसाल कायम कर रही हैं. इस बीच कीजी बड़े सपने देख रही हैं. वो कहती हैं, "मेरा लक्ष्य है कि मैं एक दिन कप्तान बनूं." (dw.com)

सीके/ (एएफपी)


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