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काबुल में फंसे इंटरप्रेटर ने मदद के लिए ब्रितानी प्रधानमंत्री से लगाई गुहार
19-Aug-2021 11:41 AM
काबुल में फंसे इंटरप्रेटर ने मदद के लिए ब्रितानी प्रधानमंत्री से लगाई गुहार

ब्रितानी सेना के लिए इंटरप्रेटर (दुभाषिये) का काम करने वाले अहमद ने मदद के लिए ब्रितानी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से गुहार लगाई है.

उन्होंने प्रधानमंत्री से गुज़ारिश की है कि उनके और उनके परिवार को देश से बाहर निकाला जाए.

अहमद का कहना है कि अफ़ग़ान रीलोकेशन असिस्टेंस पॉलिसी के तहत उन्हें बीते सप्ताह ब्रिटेन आने की इजाज़त मिल गई थी, लेकिन उसके दूसरे ही दिन काबुल पर तालिबान ने कब्ज़ा कर लिया. (सुरक्षा के लिहाज़ से पहचान गुप्त रखने के लिए नाम बदल दिया गया है.)

अहमद कहते हैं कि अब वो, उनकी पत्नी जो एक अस्पताल में डॉक्टर हैं और उनका छह साल का बेटा अफ़ग़ानिस्तान के 'भयंकर' हालातों के बीच फंस गए हैं.

उन्होंने बीबीसी को बताया, "काबुल के तालिबान के हाथों जाने के बाद हमारे लिए ज़िन्दगी एक तरह से ख़त्म हो गई है. हम जैसे एक खाई में फंस गए हैं."

तालिबान ने कहा है कि वो बदले की भावना से प्रेरित हो कर किसी के ख़िलाफ़ कोई क'दम नहीं उठाएगा. लेकिन अहमद कहते हैं कि उन्हें तालिबान के वादे पर भरोसा नहीं है.

वो कहते हैं, "आप जानते हैं तालिबान भरोसे के काबिल नहीं हैं. अगर उन्होंने मुझे तलाश लिया तो मुझ पर दया नहीं दिखाएंगे. मैंने ब्रितानी फ़ौज के साथ मिल कर गश्त लगाने का काम किया है और उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर मैंने कई बार विशेष अभियानों में हिस्सा भी लिया है."

"वो मुझे पहचानते हैं और मैं बाहर निकला तो मेरी जान को बड़ा ख़तरा हो सकता है. मुझ पर दया नहीं दिखाई जाएगी. ये तय है कि मुझे मार दिया जाएगा."

अहमद ने तीन साल तक अफ़ग़ानिस्तान में ब्रितानी फ़ौज के साथ काम किया है. वो कहते हैं कि संघर्ष के दौरान तालिबान लड़ाके इंटरप्रेटर की हत्या कर देते थे क्योंकि वो मानते थे कि वो विदेशी सेना के 'आंख और कान हैं' और उन्हें सारी ख़बरें देते हैं.

जब अहमद से पूछा गया कि परिवार की स्थिति के बारे में वो ब्रितानी प्रधानमंत्री से क्या कहना चाहते हैं तो उन्होंने कहा, "मैं चाहता हूं कि वो मेरे और मेरे परिवार को सुरक्षित यहां से बाहर निकाल लें."


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