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अफ़ग़ानिस्तान की चार प्रांतीय राजधानियों पर तालिबान ने किया कब्ज़ा
09-Aug-2021 12:17 PM
अफ़ग़ानिस्तान की चार प्रांतीय राजधानियों पर तालिबान ने किया कब्ज़ा

निमरोज़ की राजधानी ज़रांज पर शुक्रवार को कब्ज़ा करने के बाद अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान ने दो और प्रांतीय राजधानियों पर क़ब़्ज़ा करने का दावा किया है.

समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार तालिबान ने शुक्रवार के बाद से अफ़ग़ानिस्तान के चार प्रांतों की राजधानियों पर क़ब्ज़ा कर लिया है.

हाल के महीनों में देश के अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित करने के बाद अब तालिबान तेज़ी से शहरों की तरफ़ बढ़ रहा है.

समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़ जिस तरह से तालिबान ने शुक्रवार के बाद से चार राजधानियों पर क़ब्ज़ा किया है, उसने अफ़ग़ानिस्तान के सैन्य बलों को हैरत में डाल दिया है.

अमेरिकी बमवर्षक विमानों ने शबरघ़ान में तालिबान के ठिकानों पर हमला किया है.

ये उत्तर के मिलीशिया कमांडर अब्दुल रशीद दोस्तम का गढ़ है. दोस्तम के लड़ाके और सरकारी सैन्य बल शहर के केंद्रीय इलाक़ों को छोड़कर एयरपोर्ट पर चले गए हैं.

दोस्तम ने देश के उत्तरी इलाक़ों में सबसे ताक़तवर मिलीशिया खड़ा किया था. 1990 के दशक में उन्होंने तालिबान के ख़िलाफ़ लंबी लड़ाई लड़ी थी. उनके लड़ाकों पर हिरासत में लिए गए हज़ारों लोगों के क़त्ल-ए-आम के भी आरोप थे.

वहीं प्रांतीय राजधानियों के तालिबान के हाथों में जाने के बाद सरकार ने सिर्फ़ इतना ही कहा है कि इन्हें फिर से हासिल कर लिया जाएगा.

रविवार सुबह कुछ घंटों के अंतराल के भीतर ही देश के उत्तरी हिस्से में स्थित कुंदूज़ और सर-ए-पुल तालिबान के हाथों में आ गए.

तालिबान ने एक बयान में कहा है, 'अल्लाह के करम से भीषण लड़ाई के बाद तालिबान ने कुंदूज़ पर क़ब्ज़ा कर लिया है.'

सर-ए-पुल की महिला अधिकार कार्यकर्ता परवीना अज़ीमी ने एएफ़पी को बताया, ''सरकारी अधिकारी और सैन्य बल शहर से तीन किलोमीटर दूर बैरकों में चले गए हैं.''

कुंदूज़ अब तक तालिबान के हाथ में आया सबसे बड़ा शहर है और इसे तालिबान की सबसे बड़ी जीत माना जा रहा है.

तालिबान इससे पहले साल 2015 और 2016 में भी कुछ समय के लिए कुंदूज़ पर क़ब्ज़ा कर चुके हैं लेकिन तब वो अपना क़ब्ज़ा बरक़रार नहीं रख पाए थे.

काबुल की केंद्र सरकार देश के उत्तरी हिस्से पर नियंत्रण नहीं रख पा रही है और सरकार की ये अक्षमता उसके भविष्य को भी तय कर सकती है.

देश के उत्तरी इलाक़े में कई मिलीशिया सक्रिय हैं. सरकारी सैन्य बल भी यहां से बड़े पैमाने पर भर्तियां करते हैं.

तालिबान की रफ़्तार ने अफ़ग़ानिस्तान के सरकारी सैन्यबलों को हैरत में डाल दिया है.

तालिबान का कहना है कि उसने कुंदूज़ और सर-ए-पुल पर कब्ज़ा कर लिया है. हालांकि तालिबान के इस दावे की स्वतंत्र तौर पर पुष्टि नहीं की जा सकी है.

रविवार सुबह अफ़ग़ानिस्तान तालिबान के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुाजिहद की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि तालिबान ने कुंदूज़ और सर-ए-पुल के सभी सरकारी कार्यालयों पर क़ब्ज़ा कर लिया है.

मुजाहिद ने कहा, तालिबान लड़ाकों ने सिलसिलेवार हमले किए और रविवार सुबह राजधानियों पर क़ब्ज़ा कर लिया.

वहीं समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़ कुंदूज़ की प्रांतीय परिषद के सदस्य अमरुद्दीन वली ने कहा है कि 'शहर के अलग-अलग हिस्सों में भीषण लड़ाई चल रही है.'

वहीं एएफ़पी से बात करते हुए कुंदूज़ के एक नागरिक अब्दुल अजीज़ ने कहा, ''तालिबान शहर के मुख्य चौराहे पर पहुँच गए हैं. भीषण बमबारी की जा रही है. चारों तरफ़ हाहाकार मचा है.''

कुंदूज़ की अहमियत
तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के सबसे प्रमुख शहरों में से एस एक कुंदूज़ पर क़ब्ज़ा कर लिया है. अब शहर के एयरपोर्ट को छोड़कर बाकी सभी हिस्सा तालिबान के नियंत्रण में है.

शहर के एक अधिकारी ने बीबीसी से इसकी पुष्टि की है.

शहर के कई हिस्सों में इमारतों और दुकानों में आग लगी है और अफ़रा-तफ़री का माहौल है.

अमेरिकी सैन्य बलों के अफ़ग़ानिस्तान से पूरी तरह वापसी की घोषणा करने के बाद तालिबान ने इस साल मई में अफ़ग़ानिस्तान के इलाक़ों पर कब्ज़ा करना शुरू किया था.

कुंदूज़ उनकी अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी है.

क़रीब 2 लाख 70 हज़ार की आबादी के इस शहर को देश के उत्तरी हिस्से का गेटवे भी कहा जाता है. अफ़ग़ानिस्तान के उत्तरी प्रांत में खनिजों के भंडार हैं.

कुंदूज़ की भोगौलिक स्थिति भी इसे बेहद अहम बनाती है क्योंकि यहाँ से राजधानी काबुल समेत देश के अन्य बड़े शहरों को जोड़ने वाले हाइवे गुज़रते हैं. कुंदूज़ प्रांत की सीमा तज़िकिस्तान से लगी हुई है.

तज़िकिस्तान से लगी सीमा से ही अफग़ानिस्तान की अफ़ीम और हेरोइन की मध्य एशिया के देशों में तस्करी होती है. यहां से ये यूरोप पहुंचती हैं.

कुंदूज़ पर क़ब्ज़े का मतलब है ड्रग तस्करी के सबसे अहम रास्ते पर क़ब्ज़ा करना.

कुंदूज़ का अफ़ग़ानिस्तान के लिए सांकेतिक महत्व भी है क्योंकि 2001 से पहले यही शहर अफ़ग़ानिस्तान का गढ़ था.

तालिबान ने साल 2015 और 16 में भी इस शहर पर क़ब्ज़ा किया था लेकिन वो अपना नियंत्रण बरक़रार नहीं रख सके थे.

वहीं तालिबान ने तख़ार प्रांत में भी बढ़त हासिल की है. स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक तालिबान ने तख़ार की जेल पर क़ब्ज़ा कर लिया है. हालांकि इसकी अभी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हुई है.

यदि तालिबान कुंदूज़ पर क़ब्ज़ा करने में कामयाब होगा तो ये अब तक उसके नियंत्रण में आने वाला सबसे अहम शहर होगा.

देश के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों और ज़िलों का नियंत्रण पहले ही तालिबान के हाथ में आ चुका है. अफ़ग़ानिस्तान की सेना प्रांतीय राजधानियों और शहरों की सुरक्षा करने में जुटी है.

अफ़ग़ान सरकार का दावा कुछ और
वहीं अफ़ग़ानिस्तान के रक्षा मंत्रालय के डिप्टी प्रवक्ता फ़वाद अमान ने दावा किया है कि अमेरिकी बमवर्षक विमानों बी-52 ने जोवज़्जान प्रांत की राजधानी शेबरघ़ान में तालिबान के ठिकानों को निशाना बनाया है. अफ़ग़ान बल इस शहर को तालिबान से वापस लेने की कोशिश कर रहे हैं.

फ़वाद अमान ने दावा किया कि इन हवाई हमलों में तालिबान के ठिकानों और सभाओं को निशाना बनाया गया और इनमें कम से कम 200 तालिबान के लड़ाके मारे गए हैं.

उन्होंने तालिबान के हथियार और वाहन नष्ट होने का दावा भी किया है. फ़वाद ने दावा किया कि पिछले चौबीस घंटों में तालिबान के 572 लड़ाके मारे गए हैं और 309 घायल हुए हैं.

फ़वाद के मुताबिक़ अफ़ग़ान सेना इस समय अफ़ग़ानिस्तान के कई शहरों में तालिबान का मुक़ाबला कर रही हैं. इनमें नंगरहार, लगमन, गज़नी, पख्तिया, पक्तिका, कंधार, उरुज़गन, हेरात, फ़राह, जजजान, सर-ए-पुल, फरयाब, हेलमंद, निमरोज, कुंदुज, बदख्शां, तखर और कपिसा में भीषण लड़ाई चल रही है.

वहीं तालिबान ने अभी तक इन घटनाओं पर कोई टिप्पणी नहीं की है, हालांकि ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने शनिवार को ट्विटर पर कहा था कि तालिबान ने शनिवार को जोवज़्जान के गवर्नर हाउस, पुलिस हेडक्वॉर्टर और गवर्नर के कार्यालय पर बड़ा हमला किया था.

मुजाहिद ने दावा किया कि अफ़ग़ानिस्तान सेना के जवान और समर्थक लड़ाके शहर से भाग गए हैं.

वहीं अफ़ग़ानिस्तान के समाचार चैनल टोलो न्यूज़ के मुताबिक कुंदूज़, सर-ए-पुल, कंधार, हेलमंद, बदख़्शां और बल्ख़ प्रांत में भीषण लड़ाई की ख़बरें हैं.

वहीं बीबीसी के एक सवाल पर अमेरिकी सेंट्रल कमांड की प्रवक्ता निकोल फरेरा ने कहा कि वो अमेरिकी सेना के लड़ाकू विमानों के हमलों के बारे में कोई विशेष टिप्पणी नहीं करेगी लेकिन अमेरिकी सेना ने हाल के दिनों में अफ़ग़ान लोगों के बचाव में कई बड़े हवाई हमले किए हैं. उन्होंने कहा कि बीते दिन भी कई हमले हुए हैं.

9/11 के हमलों के बाद अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के ठिकानों पर अपने बी-52 बमवर्षक विमानों से हमले किए थे. अफ़ग़ानिस्तान के लोग और तालिबान इन लड़ाकू जेट से भलीभांति परिचित हैं.

इराक़ में सद्दाम हुसैन के ख़िलाफ़ भी इन बमवर्षक विमानों का इस्तेमाल हुआ था. अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के पतन में भी इन विमानों के हमलों की अहम भूमिका थी.

जोवज़्जान में चल रही है भीषण लड़ाई
जोव्ज़्ज़ान से सांसद हलीमा सदफ़ ने बीबीसी को बताया है कि शहर के दूसरी तरफ़ अफ़ग़ानिस्तानी सेना के साथ हथियारबंद नागरिक भी तैनात हैं. उनके मुताबिक लड़ाई अभी भी चल रही है.

वहीं अफ़ग़ानिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता मीरवाइज़ स्तेनकज़ई ने कहा है कि सुरक्षा बल स्थानीय नागरिकों और नए पहुंचे सैनिकों की मदद से शेबरघन को फिर से हासिल करने में कामयाब होंगे.

वहीं पड़ोसी प्रांत बल्ख में भी सेना के ठिकानों पर मोर्टार हमलों की ख़बरें हैं. तख़र और बदख़्शां के पूर्वोत्तर हिस्सों में भी भीषण लड़ाई चल रही है. तालोकान और उसके आसपास भी इस समय लड़ाई जारी है.

बदख़्शां प्रांत के स्थानीय सूत्रों ने बीबीसी को बताया है कि फ़ैज़ाबाद में हुई झड़पों में चार सैनिक मारे गए हैं जबकि चार घायल हो गए हैं. इस झड़प में तालिबान के भी मारे जाने की ख़बरें हैं.

वहीं सेना ने दक्षिणी प्रांत कंधार के कई इलाक़ों में हवाई हमले शुरू करने का दावा किया है.

पड़ोसी प्रांत हेलमंद में भी भीषण लड़ाई चल रही है. दोनों तरफ़ से लोगों के मारे जाने के दावें किए जा रहे हैं. हालांकि इन दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकती है.

वहीं अमेरिका ने हाल के दिनों में अफ़ग़ानिस्तान सैनिकों के समर्थन में हेरात समेत अफ़ग़ानिस्तान के कई हिस्सों में तालिबान के ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं.

जोवज़्जान प्रांत चल रही भीषण लड़ाई के साथ-साथ समूचे अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान और सरकारी बलों के बीच भीषण संघर्ष चल रहा है.

जबरन पलायन देश में राजनीतिक हार का नतीजाः यूएनएचसीआर
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी मामलों की संस्था यूएनएचसीआर ने अफ़ग़ानिस्तान में चल रही लड़ाई की वजह से विस्थापित हो रहे लोगों की बढ़ती संख्या पर चिंता ज़ाहिर की है.

यूएनएचसीआर ने अफ़ग़ान संकट के तत्काल समाधान का आह्वान किया है.

यूएनएचसीआर का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान में बड़े पैमाने पर हो रहा विस्थापन राजनीतिक हार की वजह से हो रहा है.

अब्दुल समद उन हज़ारों लोगों में से एक हैं जिन्होंने हाल की लड़ाई की वजह से हेलमंद छोड़ा है. अब्दुल हमीद कहते हैं कि लश्कर गाह में भीषण लड़ाई चल रही है और आधे से अधिक परिवारों को सुरक्षा के लिए ज़िलों की तरफ़ भेजा गया है.

वहीं हेलमंद के लोगों का ये भी कहना है कि लड़ाई की वजह से खाद्य संकट पैदा हो रहा है. लड़ाई की वजह से घर छोड़ने वाले बहुत से लोगों को खुले आसमान के नीचे सोना पड़ रहा है.

यूएनएचसीआर का कहना है कि युद्ध की वजह से विस्थापितों की संख्या दिन रात बढ़ती जा रही है.

संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अफगानिस्तान में चल रहे युद्ध को तत्काल समाप्त करने का आह्वान करते हुए कहा कि यदि मौजूदा संकट का जल्द समाधान नहीं किया गया तो बड़ी संख्या में विस्थापित लोग होंगे।

दूसरी तरफ अफ़ग़ानिस्तान के शरणार्थी मंत्रालय का कहना है कि आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या पिछले साल की तुलना में इस साल दोगुनी हो गई है.

मंत्रालय का कहना है कि पिछले छह महीनों में 200,000 लोग अपने घरों से भागने को मजबूर हुए हैं.

मंत्रलाय के प्रमुख मेहर ख़ुदा साबिर ने बीबीसी से कहा, 'पिछले एक महीने के भीतर ही चार हज़ार परिवार विस्थापित हुए हैं.'

लड़ाई की वजह से कई प्रांतों में राहत एजेंसियों का काम भी प्रभावित हुआ है और युद्ध में फंसे लोगों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है.  (bbc.com)


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