गरियाबंद

साहित्यकारों ने कोरोना के प्रति लोगों को कविता के माध्यम से किया जागृत
29-Dec-2020 6:28 PM
साहित्यकारों ने कोरोना के प्रति लोगों को कविता के माध्यम से किया जागृत

गायत्री महायज्ञ के समापन पर कवि सम्मेलन आयोजित 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 29 दिसंबर।
नौ कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के समापन अवसर पर आत्मरंजन कवि सम्मेलन का आयोजन माँ गायत्री मन्दिर परिसर में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ गायत्री की पूजा अर्चना के साथ शुरू हुआ। 

सरस्वती वंदना कवि रोहित साहू माधुर्य ने किया। इसके बाद कार्यक्रम का संचालन कर रहे कवि श्रवण कुमार साहू प्रखर ने प्रथम कवि के रूप में मोहनलाल मणिकपन भावुक को आमंत्रित किया तो उन्होंने देशभक्ति से लबरेज काव्य पाठ करके कवि सम्मेलन का आगाज किया। ततपश्चात युवा कवि छग्गू यास अडील ने हास्य व्यंग्य की टुकडिय़ों की धमाकेदार प्रस्तुति देकर ठण्डी में भी गर्मी पैदा कर दिया, तो वरिष्ठ कवि मकसूदन साहू बरीवाला की बड़ी बिजौरी पर प्रस्तुत कविताओं ने लोगों को हँसा हँसा कर लोट पोट कर दिया। 

इस अवसर पर खोरपा से पधारे कवि पंचम राम साहू ने कोरोना के साथ साथ वर्तमान व्यवस्था पर कड़ा प्रहार करते हुए मंच को ऊँचाई प्रदान किया। इसी कड़ी में गजानन माधव मुक्तिबोध सम्मान से सम्मानित कवि संतोष कुमार साहू प्रकृति ने महानदी पर लाजवाब रचना पढकर खूब वाहवाही लूटी। सुमधुर गीतों के गीतकार रोहित कुमार साहू माधुर्य ने देशभक्ति से ओतप्रोत माँ भारती पुकारती मेरा लाल चाहिए प्रस्तुत कर देशभक्ति का जज्बा पैदा किया तो अंतिम कवि के रूप में श्रवण कुमार साहू प्रखर ने कोरोना पर लाजवाब रचना तै जोगी बनादेस कोरोना, दुनिया भर के मनखे ल तै रोगी बनादेस प्रस्तुत करके लोगों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया। आभार प्रदर्शन आर एस चौरसिया मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी ने किया। 

इस अवसर पर यशवंत वर्मा ब्लाक समन्वयक अभनपुर, परमानंद साहू,इकाई प्रमुख, अगनु राम साहू, रूपचंद साहू इकाई सहायक,अनुज साहू ट्रस्टी,मदनलाल साहू अभनपुर, अशोक कुमार साहू सहायक ट्रस्टी,महेंद्र साहू बिरोदा, मन्नू लाल साहू खोरपा, धर्मेंद्र साहू मोहन्दी,डागेश्वर साहू ट्रस्टी,बसंत साहू अभनपुर, श्रीमती प्रेमलता साहू,श्रीमती अमृत साहू,श्रीमती नीरू चौरसिया एवम श्रीमती संगीता गिरपुंजे की गौरवशाली उपस्थिति रही,इस कार्यक्रम में मिशन से जुड़े कार्यकर्ता बन्धुओं एवम बहनों के अलावा, नगर के सैकड़ों की संख्या में साहित्य के सुधि श्रोताओं की उपस्थिति रही।


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