गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 27 दिसंबर। सालासर सुन्दरकाण्ड हनुमान चालीसा जनकल्याण समिति के तत्वावधान में आयोजित श्रीराम कथा के पंचम दिवस में श्रद्धा, भक्ति और भावनाओं का अनुपम संगम देखने को मिला। अयोध्या से पधारे पूज्य प्रशांत जी महाराज ने धनुष भंग, सीता-राम विवाह एवं लक्ष्मण-परशुराम संवाद का अत्यंत मार्मिक और रसपूर्ण वर्णन किया, जिसे सुनकर श्रोता भावविभोर हो उठे।
कथा के दौरान महाराज श्री ने बताया कि अयोध्या में मुनि विश्वामित्र जी के आगमन पर चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ ने उनका भव्य स्वागत किया। यज्ञ रक्षा हेतु मुनिवर ने प्रभु श्रीराम एवं लक्ष्मण को अपने साथ ले जाने का आग्रह किया। इसके पश्चात ताडक़ा वध, सुबाहु का संहार और मारीच को दूर फेंककर यज्ञ की रक्षा का प्रसंग सुनाया गया। महाराज श्री ने कहा कि भगवान का स्वभाव करुणामय है, जो उनकी शरण में आता है, उस पर वे अवश्य कृपा करते हैं। आगे कथा में अहिल्या उद्धार, गंगा स्नान एवं जनकपुर आगमन का सुंदर वर्णन किया गया। जनकपुर की अनुपम शोभा, वहां के संतस्वभाव नागरिकों और राजा जनक द्वारा मुनि विश्वामित्र के स्वागत का प्रसंग श्रोताओं को भावलोक में ले गया। पुष्प वाटिका में भगवान श्रीराम और माता जानकी के प्रथम दर्शन का दृश्य अत्यंत मनोहारी रहा। महाराज श्री ने धनुष यज्ञ का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि जैसे ही भगवान श्रीराम ने शिव धनुष का भंग किया, माता सीता ने प्रभु के गले में वरमाला डाल दी। इसके साथ ही देवताओं ने पुष्प वर्षा की और आकाश में दुंदुभियां बज उठीं। लक्ष्मण-परशुराम संवाद ने कथा को और भी रोचक बना दिया।
पूज्य प्रशांत जी महाराज ने कहा कि जो भक्त राम विवाह की कथा का स्मरण करता है, उसके जीवन में सदा मंगल ही मंगल होता है। संस्था के संस्थापक राजू काबरा ने बताया कि पंचम दिवस के मुख्य यजमान रविकांत सेठ (एडवोकेट) एवं श्रीमती राखी सेठ परिवार रहे। कथा श्रवण हेतु दुर्ग, आरंग, रायपुर, गरियाबंद सहित आसपास के क्षेत्रों से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जिससे पूरा पंडाल राममय हो गया।


