गरियाबंद
खबरदार पोस्टर का विमोचन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 20 नवंबर। बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान अंतर्गत जिला स्तर पर बाल विवाह की पूर्ण रोकथाम के लिए कलेक्टर बीएस उइके की अध्यक्षता में जिला कार्यालय के सभाकक्ष में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस दौरान कलेक्टर श्री उइके ने बाल विवाह को समाज के लिए एक गंभीर चुनौती बताते हुए कहा कि यह प्रथा न केवल बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बाधित करती है, बल्कि उनके भविष्य और अधिकारों को भी प्रभावित करती है। उन्होंने सभी विभागों को समन्वित रणनीति अपनाने, ज़मीनी स्तर पर निगरानी मजबूत करने तथा समुदाय में सतत जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए।
उन्होंने यह भी कहा कि बाल विवाह की सूचना मिलने पर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी और इसके लिए जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पूरी तरह प्रतिबद्ध है। बाल विवाह केवल एक सामाजिक समस्या नहीं, बल्कि आने वाली पीढिय़ों के भविष्य से जुड़ा मुद्दा है।
उन्होंने बताया कि जिले में बाल विवाह की रोकथाम के लिए ग्राम स्तर पर टीमों का पुनर्गठन किया जाएगा तथा हर ग्राम पंचायत में निगरानी व्यवस्था को मजबूत बनाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन का लक्ष्य केवल बाल विवाह रोकना नहीं, बल्कि समुदाय में ऐसी मानसिकता विकसित करना है कि लोग स्वयं इस प्रथा का विरोध करें। उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगो से बाल विवाह न करने और न कराने एवं विवाह के पूर्व वर एवं वधु की आयु का आधार कार्ड एवं अंकसूची से मिलान करने एवं निर्धारित आयु पूर्ण होने पर विवाह में अपना सहयोग करने की अपील की। इस दौरान डीएसपी निशा सिन्हा उपस्थित थीं। इस अवसर पर कलेक्टर श्री उइके ने बाल विवाह मुक्त के लिए शपथ दिलाई एवं खबरदार पोस्टर का विमोचन किया गया। इस दौरान जिला कार्यक्रम अधिकारी अशोक पाण्डेय ने कहा कि कम उम्र में विवाह और गर्भधारण से मातृ मृत्यु दर, शारीरिक कमजोरी, एनीमिया और मानसिक तनाव जैसी समस्याएँ तेजी से बढ़ती हैं। उन्होंने कहा कि बाल विवाह के सामाजिक प्रभाव, बालिकाओं के स्वास्थ्य पर पडऩे वाले जोखिम, तथा आजीविका के अवसरों पर इसके प्रतिकूल प्रभावों पर प्रकाश डाला।
ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान को और मजबूत करने, माता-पिता को परामर्श देने तथा बाल विवाह की सूचना देने वाले व्यक्तियों की पहचान गोपनीय रखने पर भी जोर दिया गया।
विवाह के लिए बालिका की आयु 18 वर्ष एवं बालक की आयु 21 वर्ष होना जरूरी
कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों से बाल विवाह न करने और न कराने एवं विवाह के पूर्व वर एवं वधु की आयु का आधार कार्ड एवं अंकसूची से मिलान करने एवं निर्धारित आयु पूर्ण होने पर विवाह में अपना सहयोग करने हेतु अपील की गई।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार बालिका की आयु 18 वर्ष एवं बालक की आयु 21 वर्ष पूर्ण होना अनिवार्य है। निर्धारित आयु से कम आयु में बालक, बालिका का विवाह करने या करवाने की स्थिति में सम्मिलित व सहयोगी सभी लोग अपराध की श्रेणी मे ंआयेंगे। जिन्हें 2 वर्ष तक की कठोर कारावास एवं 01 लाख रुपये का जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किये जाने का प्रावधान होने की जानकारी दी गई।
जिले की सभी पंचायतों में विवाह पंजी तैयार करने एवं बाल विवाह की आशंका होने पर तत्काल बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी अथवा हेल्पलाईन नंबर महिला हेल्पलाइन नंबर 181, चाईल्ड हेल्पलाईन 1098, पुलिस को डायल 100 पर भी सूचित करने एवं सभी प्रतिष्ठानों में ‘बाल विवाह अपराध है ’ का बैनर, पोस्टर अनिवार्य रूप से लगाने एवं सभी विभागों को सतत जागरूकता गतिविधियाँ संचालित करने को कहा। उन्होंने बताया कि जिले के 02 नगरीय निकाय एवं 195 ग्राम पंचायतों से बाल विवाह मुक्त होने के संबंध में प्रमाण पत्र प्रदान किए गए है।
कार्यशाला में जिला बाल संरक्षण अधिकारी अनिल द्विवेदी सहित महिला सशक्तिकरण केन्द्र एवं एसोसिएशन फॉर वालेंटरी एक्शन, चाईल्ड हेल्प लाईन, पुलिस विभाग के सभी थाने के बाल कल्याण पुलिस अधिकारी, सीडब्ल्यूसी मेंबर्स, समाज प्रमुख, गैर सरकारी संगठन के सदस्य, धर्म गुरु, पादरी, टेंट, होटल संचालक, ब्यूटी पार्लर, सरपंच, सीडीपीओ, पर्यवेक्षक, नवा विहान, सखी, चाईल्ड हेल्प लाईन, शिक्षा विभाग, सैलून, मीडिया से जुड़े लोग इत्यादि उपस्थित रहेे।


