गरियाबंद

गरियाबंद, 13 जुलाई। छत्तीसगढ़ राज्य अशासकीय विद्यालय संचालक संघ द्वारा शुरू किए गए ‘पीपल का पेड़ -गुरु के नाम’ वृक्षारोपण अभियान के तहत गरियाबंद स्थित एंजल एंग्लो हाई स्कूल में एक खास आयोजन हुआ, जिसमें स्कूल के सैकड़ों बच्चों ने अपने टिफिन, वॉटर बॉटल और स्कूल बैग के साथ-साथ एक पौधा भी अपने साथ स्कूल लाए। जहां पूरे विद्यालय परिसर में एक उत्सवी माहौल रहा।
स्कूल के प्रधानाचार्य स्टेफड़ बंस स्वयं बच्चों के साथ पौधारोपण करते हुए बल्कि छात्रों को पेड़ लगाने का महत्व बताया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति जिम्मेदारी निभाने का संदेश भी दिया।उन्होंने कहा कि धरती को हरा-भरा बनाना केवल सरकार या संगठनों का काम नहीं, यह हर छात्र, हर शिक्षक और हर नागरिक का कर्तव्य है।
प्राचार्य स्टेफड़ बंस ने कहा-हमारा प्रयास है कि बच्चों में शुरू से ही प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का भाव विकसित हो। एक पौधा लगाना केवल पर्यावरण बचाने का कार्य नहीं, बल्कि एक जीवन संजोने जैसा है। ‘पीपल का पेड़ – गुरु के नाम’ जैसे अभियान हमें यह याद दिलाते हैं कि शिक्षकों का कार्य केवल ज्ञान देना नहीं बल्कि जीवन मूल्यों की शिक्षा देना भी है। यह पेड़ आने वाले वर्षों में इन बच्चों के साथ बड़ा होगा और एक ग्रीन यादगार बनकर हमेशा उनके साथ रहेगा।
प्रकृति को सहेजना हमारी जिम्मेदारी भी और संस्कृति भी -प्राची
शिक्षिका प्राची कुटारे ने पर्यावरण को लेकर कहा-पर्यावरण संरक्षण आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है। जिस तरह से जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण बढ़ रहा है, ऐसे में हम सबकी जि़म्मेदारी बनती है कि प्रकृति के प्रति अपना फर्ज निभाएँ। एक पेड़ लगाना सिर्फ हरियाली का प्रतीक नहीं, बल्कि आने वाली पीढिय़ों को स्वच्छ हवा और जीवन देने का माध्यम है। बच्चों को इससे जोडऩा हमारे भविष्य को सुरक्षित करने जैसा है।
विद्यालय प्रबंधन ने इस अवसर पर सभी छात्रों को पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी भी दी। प्रत्येक छात्र ने जिस पौधे को लगाया, उसी की नियमित निगरानी और देखभाल करने की शपथ ली। पर्यावरण शिक्षा को व्यवहारिक रूप से आत्मसात करने का यह एक अनूठा प्रयोग साबित हुआ।
छत्तीसगढ़ राज्य अशासकीय विद्यालय संचालक संघ द्वारा चलाए जा रहे इस प्रदेशव्यापी अभियान के अंतर्गत 5 सितंबर शिक्षक दिवस तक लगभग 11 लाख 11 हजार 111 पीपल के पौधे लगाए जाने हैं। इसका उद्देश्य छात्रों में प्रकृति के प्रति लगाव पैदा करना और पर्यावरण की रक्षा के लिए उन्हें व्यवहारिक तौर पर जोडऩा है।
कार्यक्रम में जीराट बनस , महेंद्र सिंह ठाकुर, अनीता पिंगे, प्राची कुटारे, सत्यम नोवलेकर , शाहजहां खान , चिराग नेताम , छबीली साहू, रोजबेन बंनस , मनीषा सिन्हा, अंशु बखरिया, शोभा रानी साहू, उमा गोस्वामी, डामेश्वरी साहू, अरुंधति शर्मा, नेहा लोनहारे, खिलेश्वरी ध्रुव, रंजना यादव, चूलेश्वरी ध्रुव, संतोष निराला, चमन लाल साहू, निलेश त्रिपाठी मौजूद रहे।