गरियाबंद

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 25 दिसंबर। नगर श्वेताम्बर जैन मंदिर प्रांगण में आयोजित सत्संग सभा में पू. दर्शन प्रभा श्रीजी म. सा. ने कहा कि विवेकी एवं विचारक मानव जब भी नई चुनौतियों से घिर जाता है तो वह मौन होकर चिंतन में नहीं खोता अपितु समाधान की शोध में अग्रसित होता है।
आत्मिक शांति तथा तृप्ति पाने के लिए आध्यात्मिक ग्रंथों का स्वाध्याय करता है एवं संत मनीषियों से संपर्क कर सत साहित्य का श्रवण करता है। सच्चा सुख और शांति कैसे प्राप्त हो इस विषय पर आपने कहा कि सच्चा सुख आत्मा में है पुद्गल में नहीं। सुख शांति एवं आनंद आत्मा का स्वभाव है।
कर्म के आवरण से हम जितना दूर जाएंगे उतना ही हमें आत्मिक सुख और आनंद मिलेगा। इसके पूर्व आज प्रात: महत्तरा पद विभूषिता श्रद्धेय मनोहर श्री जी म.सा. की सुशिष्याओं पू. दर्शन प्रभा श्रीजी, पू. ज्ञान श्रीजी एव पू. चारित्र प्रभा श्रीजी म.सा. के नगर आगमन पूर्व संघ प्रमुख शिखर बाफना के साथ श्रीसंघ ने राजिम पहुंचकर साध्वी त्रय की अगवानी की।
सुंदर संत सेवा का लाभ विहार सेवा ग्रुप ने लिया। बाजे गाजे से श्री आदिनाथ जिनालय पहुंचने पर संघ के वरिष्ठ सदस्य ऋषभचंद बोथरा एवं स्नात्र पूजन मंडल के सदस्यों ने अक्षत की गद्देबी बनाकर साध्वीत्रय का स्वागत किया। साध्वीत्रय के सानिध्य में सकल श्रीसंघ ने देवगुरु दर्शन का लाभ लिया। साध्वीत्रय की सानिध्यता में स्थानीय श्वेताम्बर जैन श्री संघ 23 वें तीर्थकर भगवान पार्थनाथ का जन्म कल्याणक विधी विधान पूर्वक मनाएगा।