गरियाबंद

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 18 अक्टूबर। मत्स्य पालन को बढ़ावा देने जहां राज्य और केन्द्र सरकार की कई योजनाएं संचालित है। पिछले दो साल से देवभोग में मत्स्य निरीक्षक का पद खाली है। इससे जानकारी का अभाव के कारण मछुवारा सहकारी समितियों को ना योजनाओं का लाभ मिल रहा है, ना तो किसी योजना का सब्सिडी मिल रहा है। पिछले दो साल से जिले के मछुवारे विभागीय छलावा के शिकार हो रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार छग प्रदेश के गरियाबंद मत्स्य विभाग में योजनाएं कागजों पर चल रहा है वहीं देवभोग युवा मछुवारा सहकारी समिति के अध्यक्ष शिवलाल निषाद ने विभाग पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा योजनाएं प्रत्येक वर्ष संचालित है पर पिछले दो साल से योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। आरोप सूचना के अधिकार के तहत जानकारी चाहने वाले कार्यकर्ता लतीफ मोहम्मद को प्राप्त जानकारी से प्रमाणित भी हो गया।
मत्स्य पालन को बढ़ावा देने सरकारें पालक कृषक को मछली बीज,आईस पेटी, जाल,बीज टानिक,मछली दाना सहित दर्जनों सरकारी योजनाएं चलाती है पर पिछले दो साल से मत्स्य निरीक्षक का पद खाली है जिसके कारण युवा मछुवारा,मुंडागांव,ढोर्रा सहित देवभोग क्षेत्र के पंजीकृत तीन सहकारी समितियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। दो वर्ष पहले इसका लाभ बराबर मिल रहा था पर अब नहीं मिल रहा है इस बात को लेकर मछुवारा समिति नाराज हैं। इतना ही नहीं मछुवारा सहकारी समितियों को सेविंग कम रिलीफ फंड अर्थात अल्प बचत सह राहत योजना का लाभ भी हर वर्ष मिलता था पर पिछले दो साल से ये योजना का लाभ मछुवारे को नहीं मिल रहा है।
वित्तीय वर्ष में जिले के आदिवासी गैर आदिवासी 168 मछली पालकों 50 प्रतिशत 10 लाख दस हजार करीब मछली के बीज उपलब्ध कराने का विभाग ने दावा किया है जबकि मछुवारा सहकारी समिति और मछली पालक कृषकों का कहना है इस प्रकार का कोई लाभ नहीं मिला है ये सब मछली बीज नगद में खरीदने की बात कह रहे रहे हैं।
इधर, विभाग द्वारा मछली दाना और बीज टानिक नहीं उपलब्ध करायें जाने से मछली पालकों को लीज अदायगी के लायक का मुनाफा भी नहीं मिल सका।
इधर, मामले पर मत्स्य पालकों के सारे आरोप को खारिज करते हुये विभाग के उप संचालक आलोक वशिष्ट ने कहा जिनका भी रिकार्ड में नाम था उन सभी को सब्सिडी मिला है। सभी को बीज उपलब्ध कराया गया है। नेट और बाक्स शिविर या विशेष आयोजनों में दिया जाता है।