गरियाबंद

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 24 अगस्त। शास. राजीव लोचन स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजिम में आजादी का अमृत महोत्सव व स्वर्ण जयंती महोत्सव के परिपेक्ष्य में अक्षय ऊर्जा पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में एमएससी भौतिक शास्त्र तृतीय सेमेस्टर के छात्र रुपेश सोनकर ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के द्वारा अक्षय ऊर्जा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि परंपरागत ऊर्जा स्रोत कोयला, पेट्रोल, डीजल एक समय के बाद पर्याप्त मात्रा में पृथ्वी पर नहीं रहेंगे, लेकिन सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा सालों साल तक विद्यमान रहेंगे।
संस्था प्रमुख डॉ सोनिता सत्संगी ने बताया कि आधुनिक युग में उर्जा एक व्यापक परिकल्पना के रूप में जाना जाएगा। पृथ्वी का गर्म होना कई बीमारियों का आना भौतिक सुख-सुविधाओं में कृत्रिम वस्तुओं का उपयोग कर हम परंपरागत ऊर्जा स्रोतों का अत्यधिक दोहन कर रहे है। इससे पर्यावरण के साथ-साथ के परंपरागत स्त्रोतों में आश्चर्यजनक कमी दिखाई दे रही है।
छात्र वासुदेव धीवर ने बताया कि भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा अक्षय ऊर्जा का उत्पादन करता है। पवन चक्की, भूतापीय संयंत्र, सोलर संयंत्र की मदद से पृथ्वी में उपस्थित अथाह ऊर्जा का उपयोग कर हम परंपरागत ऊर्जा साधनों के उपभोग को कम कर सकते हैं। रसायन शास्त्र के सहायक प्राध्यापक डॉ. देवेंद्र देवांगन ने बताया कि अक्षय ऊर्जा कभी ना क्षय होने वाली ऊर्जा है। पृथ्वी पर उपस्थित हाइड्रोजन, हीलियम से भी अत्यधिक ऊर्जा हमें मिलती है। अनुसंधान के क्षेत्र में भी अक्षय ऊर्जा का अपना अलग ही महत्व है। अंग्रेजी प्रो. श्वेता खरे ने अंग्रेजी में बताया है कि अक्षय ऊर्जा का उपयोग कर हम मानव जीवन को प्रदूषण मुक्त कर सकते हैं। पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में भी अक्षय ऊर्जा का बहुत अधिक योगदान है। प्रो. एम. एल. वर्मा ने कहा कि उर्जा को ना तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है।
उर्जा मानव जीवन का अभिन्न कारक है। नैक प्रभारी व भौतिकशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. गोवर्धन यदु ने बताया कि ब्रह्मांड में अथाह ऊर्जा विद्यमान है। सूर्य से आने वाली विकिरणों में एक्स रे, पराबैगनी, दृश्य, अवरक्त, रेडियो तरंगे होती हैं। इनका समुचित दोहन व उपयोग हम अधिक से अधिक कर अक्षय ऊर्जा को गतिशील बना सकते हैं। जलविद्युत ऊर्जा भी हमारे देश में ऊर्जा का एक विकल्प है जिसे हम एक कार्य योजना बनाकर उपयोग करने में सशक्त हो सकते हैं।
प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने 2004 में स्वर्गीय श्री राजीव गांधी के जन्म दिवस को सद्भावना दिवस के साथ साथ अक्षय उर्जा दिवस और समरसता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था।
कार्यक्रम का संचालन एमएससी की छात्रा चंचल देवांगन एवं आभार प्रदर्शन भारद्वाज साहू ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के संस्था प्रमुख डॉ. सोनिता सत्संगी, प्रो. एम. एल. वर्मा , डॉ. गोवर्धन यदु, प्रो. घनश्याम यदु, डॉ. समीक्षा चंद्राकर, प्रो. चित्रा खोटे, प्रो. क्षमा शिल्पा मसीह, प्रो. मुकेश कुर्रे, प्रो. भानु प्रताप नायक, प्रो. राजेश बघेल, डॉ. देवेंद्र देवांगन, प्रो. मनीषा भोई, प्रो. श्वेता खरे, प्रो. योगेश तारक, एनसीसी अधिकारी डी.के. ध्रुवा एवं छात्र छात्राएं उपस्थित थे।