संपादकीय
भारत में किस्से-कहानी के लिए श्रवण कुमार की मिसाल अच्छी है, लेकिन मिसाल से परे असल जिंदगी में आल-औलाद बूढ़े माँ-बाप को कांवर में लेकर तीर्थयात्रा कराते हों, ऐसी इक्का-दुक्का कहानी तो हर कुछ महीनों में सामने आती है, लेकिन माँ-बाप को प्रताडि़त करना, उनके पैसों को हड़पने के लिए, उनकी सम्पत्ति अपने नाम करने के लिए तरह-तरह की साजिश रचना, और माँ-बाप को ठन-ठन गोपाल कर देने के बाद उन्हें घर से निकाल देना अधिक सुनाई पड़ता है। श्रवण कुमार की कहानी सुनकर जो माँ-बाप अपना सब कुछ बच्चों के हवाले कर देते हैं, वे आमतौर पर बुढ़ापे में बहुत बुरी मौत मरते हैं। रेमंड कंपनी के संस्थापक और कंपनी को हजारों करोड़ तक पहुंचाने वाले विजयपत सिंघानिया को उनके बेटे ने जिस तरह कोठी से निकालकर गेट के बाहर फिंकवा दिया था, वह तस्वीर लोगों को याद होगी। भारतीय उद्योग का वह एक सबसे चर्चित उद्योगपति आज किसी तरह एक मामूली जिंदगी जी रहा है। एक समय वह शानदार और कामयाब कारोबार का संस्थापक-मुखिया होने के साथ-साथ माइक्रोलाईट विमान उड़ाकर रिकॉर्ड बनाने वाला रोमांच-प्रेमी भी था। लेकिन वह जिंदगी अपनी ही औलाद के हाथों फजीहत में नर्क बन गई।
केरल की एक खबर है कि वहां सांप काटने से एक आदमी की मौत हुई। बाद में पुलिस जांच में पता लगा कि सांप का इंतजाम करके उसके बेटों ने ही बाप को मरवाया था, क्योंकि उन्होंने अपनी औकात से बाहर जाकर बाप का तीन करोड़ का बीमा करवाया था, और वे बीमा दावा हासिल करना चाहते थे। ऐसे मामलों में बीमा कंपनी और पुलिस दोनों को शक होता है, और जांच में दोनों बेटों के अलावा चार और लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है। 56 बरस का पिता घर में मरा मिला, और अस्पताल ले जाने में बेटों ने देर की, ताकि बाप के मरने की गारंटी हो जाए। यह सब देखकर बीमा कंपनी को शक हुआ, और उसने पुलिस को खबर की। जांच में पता लगा कि इस मौत के एक हफ्ता पहले भी बेटों ने बाप को एक जहरीले कोबरा से कटवाया था, लेकिन बाप बच गया। निराश बेटों ने इस बार एक अधिक जहरीले करैत का इंतजाम किया, और सोते हुए बाप को गर्दन पर उससे कटवाया। बेटों के अलावा जो गिरफ्तार हुए हैं वे सांप जुटाकर हत्या में साथ देने वाले लोग हैं। बेटों ने बीमे के तीन करोड़ के लिए श्रवण कुमार के देश में यह एक अलग मिसाल पेश की। एक सरकारी स्कूल के प्रयोगशाला सहायक का काम करने वाले बाप का तीन करोड़ का बीमा करवाना भी शक पैदा कर रहा था जो कि बेटों ने ही करवाया था। गणेशन के बेटे मोहनराज, और हरिहरण अब जेल में हैं।
छत्तीसगढ़ के लोगों को याद होगा कि कुछ अरसा पहले एक करोड़ का बीमा-दावा पाने के लिए एक नौजवान ने पहले तो अपनी नानी का बीमा करवाया, और फिर उसे सांप से कटवाकर मार डाला। पिछले बरस के इस मामले में पुलिस ने हत्यारे नाती के अलावा बीमा एजेंट, और संपेरे को भी गिरफ्तार किया था। सांप से कटवाने के लिए नाती अपनी नानी को बस्तर से ओडिशा ले गया था, और वहां संपेरे ने कार के भीतर ही सांप लाकर बूढ़ी महिला को कटवाया था। घर लाकर नानी की मौत बताकर उसने बीमा-दावा किया था। 30 हजार रूपए पाने वाला संपेरा भी कत्ल में अब जेल में हैं। कुछ ऐसे ही मामले और देखें जिनमें बीमा-दावे के लिए परिवार के लोगों ने ही बुजुर्गों की हत्या की, तो 2022 में यूपी के गाजियाबाद में पिता का 50 लाख का बीमा करवाकर बेटे ने 72 साल के बाप को नींद की गोलियां देकर मार डाला था, बाद में पोस्टमार्टम में इस ओवरडोज का पता लगा। 2021 में महाराष्ट्र के पुणे में एक महिला ने अपनी पूरी तरह स्वस्थ 85 बरस की नानी का एक करोड़ का बीमा कराया, और उसे जहर देकर मार डाला। 2020 में हरियाणा में दो बेटों ने मिलकर अपने बुजुर्ग बाप को कार से कुचलवाया, और दुर्घटना बीमा पॉलिसी का 75 लाख का दावा किया। बाद में सीसीटीवी रिकॉर्डिंग, और कॉल रिकार्ड से साजिश का भांडाफोड़ हुआ। तमिलनाडु के कोयम्बटूर में 2019 में 30 लाख का बीमा क्लेम पाने के लिए एक बेटे ने माँ को बाथरूम में गिराकर मारने की कोशिश की, बाद में डॉक्टर के शक, और पड़ोसियों की गवाही से बेटा गिरफ्तार हुआ। राजस्थान के जयपुर में 2023 में पति-पत्नी ने मिलकर 70 साल की सास को मार डाला, ताकि बीमा-दावा मिल सके, और जमीन-घर पर कब्जा हो सके। इसके लिए उन्होंने धीमा जहर देकर बूढ़ी महिला की बीमारी का नाटक पेश किया। 2024 में एक नौजवान ने कर्नाटक के बेंगलुरू में दो करोड़ का बीमा करवाने के बाद दादा को मार डाला, और रकम का दावा किया, बाद में जांच में वह पकड़ा गया।
इन सारे मामलों को हम इसलिए गिना रहे हैं कि भारत में लोग संतान मोह में अपना सब कुछ समर्पित कर देते हैं, और आल-औलाद हत्यारी न भी हो, तो भी वह माँ-बाप को बूंद-बूंद चाय और एक-एक कौर खाने के लिए तो तरसा ही सकती है। हमने इसी मुद्दे पर कुछ महीने पहले भी इसी जगह लिखा था, और उसमें मध्यप्रदेश की भी एक घटना का जिक्र किया था जिसमें बूढ़ी, बीमार, बिस्तर पर पड़ी 85 बरस की माँ को ताले में बंद करके बेटा-बहू अपने बच्चों को लेकर महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन चले गए थे, और बाद में बदबू आने पर पड़ोसियों ने पुलिस को रिपोर्ट की, जिसमें दरवाजा तोडक़र इस बूढ़ी महिला की लाश बरामद की थी। ऐसी घटनाओं से लोगों को सबक लेने की जरूरत है, और बुजुर्गों को कभी भी अपनी पूरी संपत्ति आल-औलाद को नहीं देना चाहिए, और अपनी हिफाजत के लिए दूसरे रिश्तेदारों, और पड़ोसियों का एक नेटवर्क भी बनाकर रखना चाहिए।
हमने अपने पिछले संपादकीय में यह सुझाव भी दिया था कि एक ऐसा कानून बनाना चाहिए कि कोई भी माँ-बाप अपनी पूरी संपत्ति आल-औलाद को न दे सकें, और अपनी बाकी जिंदगी के लिए बचाकर रखने के बाद ही उसका एक हिस्सा वे संतानों को दे सकें। ऐसा कानून बुजुर्गों की हिफाजत के लिए जरूरी है क्योंकि संतानमोह में समझ खो बैठने वाले माँ-बाप औलाद को सब कुछ दे देते हैं, और फिर खुद तरसते हुए बाकी की लंबी जिंदगी गुजारते हैं। दूसरी बात बीमा से जुड़े ऐसे जुर्म देखकर यह सूझती है कि परिवार में किसी का भी बीमा उनकी आय के अनुपात से बहुत अधिक रकम का हो, तो उस बारे में बीमा कंपनी को पहले से अधिक छानबीन करनी चाहिए। एक बार बीमा-दावा पाने के लिए अगर आल-औलाद कत्ल कर ही डाले, तो फिर अधिक से अधिक उन्हें सजा दिलवाई जा सकती है, लेकिन गई हुई जिंदगी तो नहीं लौट सकती। बीमा कंपनियां नया कारोबार मिलने के लिए किसी भी तरह का अनुपातहीन बीमा करने को तैयार हो जाती है, वे तो बाद में जुर्म साबित होने पर भुगतान करने से बच जाती है, लेकिन तब तक कत्ल का सामान तो जुट चुका रहता है। ऐसे बहुत से मामलों को देखते हुए सरकार और बीमा कंपनियों को एक पुख्ता इंतजाम करना चाहिए, ताकि लार टपकाती आल-औलाद कातिल बनने से बच सके।


