संपादकीय
देश के एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री एच.डी.देवेगौड़ा (अभी जीवित) के सांसद पोते, प्रजवल रेवन्ना को कर्नाटक की एक जिला अदालत ने एक महिला के साथ बलात्कार के मामले में गुनहगार पाया है, और जिस वक्त हम यह लिख रहे हैं, उस वक्त उसकी सजा के ऐलान का इंतजार हो रहा है। कानूनी जानकारों का कहना है कि उसे दस बरस से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। यह मामला एक महिला से किए गए बलात्कारों का है, लेकिन देश के एक भूतपूर्व और जिंदा, जीते-जी मुर्दे से गए बीते, प्रधानमंत्री के खानदान के चिराग का मामला है, उनकी पार्टी के सांसद का मामला है, और बरसों से हवा में ये आरोप तैर रहे थे, पेनड्राइव पर ऐसी हजारों वीडियो क्लिप तैर रही थीं जिनमें यह कुलकलंक महिलाओं से बलात्कार भी कर रहा था, और उसके वीडियो भी बना रहा था। महिलाएं रो भी रही थीं, और ऐसे आरोपों को, ऐसे वीडियो को खारिज करते हुए भारत का यह जिंदा, मुर्दा-पीएम हँसते-खिलखिलाते उसके लिए चुनाव प्रचार भी कर रहा था। भारत के किसी राजनीतिक परिवार में ऐसा चिराग और याद नहीं पड़ता जिसका मुर्दे सरीखा दादा भूतपूर्व प्रधानमंत्री के तमगे को कलंकित करता हुआ जिंदा था, और यह चिराग अपने कुनबे, घरेलू पार्टी, और सहयोगी दल, सब पर कालिख पोतता हुआ अंधेरा फैला रहा था। यह पूरा मामला शुरू से ही पुख्ता दिख रहा था, हमने अपने अखबार में इसी जगह पर, और अपने यूट्यूब चैनल इंडिया-आजकल पर कई बार मुर्दे से भी अधिक मुर्दा देवेगौड़ा के बारे में लिखा और कहा था, अब जाकर पहली अदालत से पहले मामले में सजा हो रही है, और इस कुनबे की राजनीतिक और आर्थिक ताकत के चलते आगे की अदालती कार्रवाई के भविष्य पर कम संदेह नहीं होता है।
इस मामले में आज लिखने की जरूरत इसलिए भी लग रही है कि यह मामला एक बलात्कारी को कुनबे से मिले हुए साथ का मामला है। प्रजवल रेवन्ना और उसके बाप एच.डी.रेवन्ना अपने बाप एच.डी.देवेगौड़ा की पार्टी से कर्नाटक में विधायक है, और इस विधायक कपूत का छोटा भाई एच.डी.कुमारस्वामी अपनी पार्टी की तरफ से कर्नाटक का मुख्यमंत्री रह चुका है। इस परिवार की एक घरेलू कामगार ने पुलिस में रिपोर्ट लिखाई कि प्रजवल रेवन्ना और उसके बाप एच.डी.रेवन्ना ने बार-बार उसके साथ बलात्कार किया, वीडियो बनाए, धमकियां दीं। अभी अदालत में जिस बेटे को सजा हो रही उसका बाप, और भूतपूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा का बेटा भी अपने बेटे के साथ बलात्कारी था, ऐसी रिपोर्ट लिखाई गई हैं। प्रजवल की मां भवानी रेवन्ना के बारे में अदालत में जांच एजेंसी ने बताया है कि उसने शिकायतकर्ता महिला को अगुवा कराने की साजिश रची थी, और कम से कम सात पीडि़त महिलाओं से संपर्क करके उन्हें रोकने की कोशिश की थी कि वे शिकायत न करें। भवानी और उसके ड्राइवर ने ये वीडियो देख-देखकर इन महिलाओं को डराया, और बुरे नतीजों की धमकी दी। ड्राइवर ने अदालती गवाही में बताया कि प्रजवल की मां और परिवार के बाकी लोगों को ऐसे बलात्कार और वीडियो के बारे में सब मालूम था। लेकिन राजनीतिक ताकत से इस कुनबे ने मीडिया में इन खबरों के आने के खिलाफ अदालती रोक हासिल कर ली थी, और कर्नाटक पर इनके बाप का राज था ही। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान जब इस पूरे मामले का भांडा फूट चुका था, तब भी देवेगौड़ा अपनी गठबंधन सहयोगी भाजपा के साथ थे, और अपने कुलकलंक का प्रचार कर रहे थे।
हम इस पूरे मुजरिम परिवार की करतूतों पर और अधिक खुलासा यहां करना नहीं चाहते क्योंकि यह पूरा पेज उससे भर जाएगा। लेकिन हम यह बात जरूर करना चाहते हैं कि जब एक सत्तारूढ़ कुनबापरस्त पार्टी अपने परिवार के बलात्कारियों को बचाने के लिए उतारू हो जाती है, तो इस ताकत के बलात्कार की शिकार महिलाओं का क्या हाल होता है। यह तो आज कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, वरना भाजपा-देवेगौड़ा की सरकार रहती, तो भला इस बलात्कारी का कुछ बिगड़ा होता? ऐसे कुनबे, ऐसी पार्टियां, और ऐसी सत्ता मिलकर सौ-दो सौ महिलाओं से बलात्कार नहीं कर रही हैं, ये पूरे भारतीय लोकतंत्र से बलात्कार कर रही हैं। हमारे नियमित पाठकों को याद होगा कि हम लंबे समय से यह बात उठाते आ रहे हैं कि जब कभी एक तूफान एक दीये पर जुल्म करे, तो उस पर तूफान को सजा आम हवा के झोंके से कई गुना अधिक होनी चाहिए क्योंकि दीये के पास उतनी ताकत से बचने का कोई जरिया नहीं रहता। जब कभी सत्ता, जाति, ओहदे, संपन्नता, या शोहरत की ताकत से कोई किसी कमजोर का शोषण करे, तो उस पर सजा आम कानून से अधिक होनी चाहिए, और इसके लिए दोगुनी, या चारगुनी सजा का प्रावधान होना चाहिए। इस मामले में भी इस कुलकलंक को न्यूनतम दस बरस से अधिकतम उम्रकैद के बीच अगर सजा होनी है, तो वह अधिकतम ही होनी चाहिए, क्योंकि अपने मां-बाप, चाचा-दादा, इन सबकी तमाम ताकत से यह बलात्कारी कमजोर और आम महिलाओं के साथ धारावाहिक बलात्कार करते आ रहा था, न तो किसी पार्टी को इनके साथ गठबंधन में दिक्कत थी, न ही किसी नेता को इन खबरों के आ जाने के बाद भी इनका प्रचार करने में दिक्कत थी। मानो पूरे का पूरा लोकतंत्र ही कमजोर महिलाओं से बलात्कार के लिए एक हो गया था। यह सिलसिला सिर्फ कर्नाटक के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए शर्मिंदगी का है कि इस देश में ऐसे लोगों से भी राजनीतिक रिश्ते बनते हैं, और ऐसे लोग सत्ता की बददिमागी, और बदन की हवस को इस हद तक ले जाते हैं।
हम पहले भी लिख चुके हैं, और आज भी इस बात को दुहराना चाहते हैं कि एच.डी.देवेगौड़ा में अगर धेले भर की शर्म बाकी होगी, तो उसे भूतपूर्व प्रधानमंत्री के तमगे से भी इस्तीफा दे देना चाहिए, और यह सार्वजनिक अपील करनी चाहिए कि उसके शरीर के मरने पर न तो केन्द्र सरकार, और न ही राज्य सरकार उसे किसी तरह का राजनीतिक सम्मान दे। आत्मा तो इसकी पहले ही मर चुकी है। जिन लोगों को लगता होगा कि हमारी भाषा संसदीय नहीं है, उन्हें सही लग रहा है, क्योंकि हम संसद की तरह, खरी-खरी बातों से परे, ईमानदार शब्दों से परे पाखंडी-संसदीय भाषा में बोलने में यकीन नहीं रखते। हम संसदीय नियमों से बंधे हुए नहीं हैं, और वैसे दिखावटी शिष्टाचार की हमें कोई जरूरत भी नहीं है। अपने इस कुलकलंक-पोते को बचाते हुए मंच पर सोने वाला देवेगौड़ा अगर सोते ही रह गया होता, तो भी शायद कुछ महिलाएं इस परिवार के बलात्कार से बच गई होतीं।


