संपादकीय
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हिन्दुस्तान हैरान करते चल रहा है। हाईकोर्ट के जज इस्तीफा देकर अदालत से सीधे एक राजनीतिक दल के दफ्तर जाते हैं, और चुनाव में उम्मीदवार बनाकर लोकसभा पहुंच जाते हैं। कोई दूसरे जज सरकार को सुहाने वाला फैसला देकर बिना चुनाव राज्यसभा पहुंच जाते हैं, और कोई तीसरे जज रिटायर होते ही किसी राजभवन। फिर मानो यह काफी न हो, तो भारत के थलसेनाध्यक्ष उपेन्द्र द्विवेदी अभी एक धर्मगुरू, जगतगुरू रामभद्राचार्य से जाकर सार्वजनिक रूप से अपनी फौजी यूनिफॉर्म में मंत्र पाते हैं, और दक्षिणा में रामभद्राचार्य उनसे पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर मांगते हैं। एकदम धार्मिक भावना से भरपूर यह तस्वीर समाचारों में आई है जिसमें जनरल उपेन्द्र द्विवेदी उन्हें मिली एक गदा थामे खड़े हैं, और उनके चेहरे की मुस्कुराहट देखते ही बनती है। यह मुस्कुराहट रामभद्राचार्य नहीं देख पाए होंगे क्योंकि उनकी शोहरत की एक बड़ी वजह यह भी है कि वे नेत्रहीन रहते हुए भी जाने कितने ही धार्मिक ग्रंथों को याद रखते हैं। जिस आस्था के साथ थलसेनाध्यक्ष ने यह गदा थामी है, और पाकिस्तान से उसके हिस्से वाले कश्मीर को छीनने का आदेश पाया है, वह अभूतपूर्व और ऐतिहासिक है। आजादी से लेकर भारत के इस अमृतकाल तक शायद ही कभी कोई सेनाप्रमुख इस तरह से एक धार्मिक गुरू से मंत्र पाने, और साथ-साथ इतनी खुशी पाने के लिए वर्दी में पहुंचे हों। लेकिन आज देश के बड़े-बड़े लोग मौसम विभाग की तरफ से हवा में पजामे की तरह फहराए जाने वाले हवा का रूख बताने वाले कपड़े को देखकर चल रहे हैं, और इस रूख के सामने धर्मनिरपेक्षता, या फौज की परंपराएं तो महत्वहीन हैं ही।
अधिक वक्त नहीं हुआ है, जब इन्हीं रामभद्राचार्य ने जयपुर में चल रही रामकथा के बीच नवंबर 2024 में कहा था कि यह देश गांधी परिवार का नहीं है, यह सनातनियों का है, विधर्मियों का नहीं है। उन्होंने कहा था कि अब हम सत्ता परिवर्तन नहीं चाहते, हमारे प्रधानमंत्री के तौर पर चौथी बार नरेन्द्र मोदी ही बने, ऐसी मेरी इच्छा है। उन्होंने कहा था- इस बार कुंभ में हम ऐसा कुछ करेंगे कि विश्व के नक्शे से पाकिस्तान का नामोनिशान मिट जाएगा। रामभद्राचार्य की इस बात पर पाकिस्तान में दहशत फैल गई थी। कुंभ शुरू होने में ठीक दो महीने लगे थे, और खत्म होने में फिर और वक्त लग गया था, तब तक पाकिस्तान के लोगों की नींद हराम हो गई थी कि कुंभ के चलते उनका अस्तित्व खत्म हो जाएगा। पता नहीं क्यों ऐसा हो नहीं पाया, और भारत के थलसेनाध्यक्ष को रावलपिंडी, या करांची संभालने के बजाय चित्रकूट आकर रामभद्राचार्य का आशीर्वाद लेने का समय मिल गया। लेकिन इस बार जिस दक्षिणा की मांग रामभद्राचार्य ने की है, उसके बाद सुनाई पड़ा है कि पाकिस्तानियों की नींद एक बार फिर हराम हो गई है कि भारत सरकार के कहे फौज कुछ कर पाए या न कर पाए, रामभद्राचार्य की मांगी दक्षिणा देने के लिए फौज अब जाने क्या-क्या नहीं करेगी। इस कार्यक्रम की तस्वीरें पाकिस्तान में एक डरावनी फिल्म की तरह देखी जा रही हैं जिनमें जनरल उपेन्द्र द्विवेदी सुनहरी गदा पकड़े फौजी यूनिफॉर्म में खड़े हैं। ऐसा सुना गया है कि पाकिस्तानियों को अब रात भर सपने में अपने ऊपर गदा ही पड़ते हुए दिख रही है।
मौसम विभाग का लहराया गया पजामा हवा का रूख बता रहा है। उत्तरप्रदेश में कांवड़ यात्रा पर गुलाब की पंखुडिय़ां बरसाने के लिए वहां की पुलिस के सबसे बड़े अफसर हेलीकॉप्टर से जाकर अपनी सरकारी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, और छत्तीसगढ़ में गृहमंत्री विजय शर्मा के गृहनगर कवर्धा में पहुंचने वाले कांवडिय़ों की आरती उतारने के लिए एसपी की अगुवाई में पूरा पुलिस बल फूल बरसाते, दीयों से आरती उतारते, अपनी फिल्म बनवाता है, और एक अभूतपूर्व और ऐतिहासिक धार्मिक वातावरण चारों तरफ छा जाता है। कवर्धा पुलिस ड्रोन कैमरों का भी इस्तेमाल करके इस मौके की रिकॉर्डिंग करवाती है, ताकि यह दिखे कि स्वर्ग से देखने वाले देवताओं को यह दृश्य कैसा दिख रहा होगा। ऐसा लगता है कि भारतीय थलसेनाध्यक्ष को यूनिफॉर्म में आरती उतारती, और फूल बरसाती छत्तीसगढ़ और यूपी की पुलिस से प्रेरणा मिली होगी, और रामभद्राचार्य की कुंभ के वक्त की अधूरी मनोकामना पूरी करने के लिए मंत्र और गदा पाकर अब जनरल उपेन्द्र द्विवेदी सौ गुना उत्साह के साथ सरहद पर जाएंगे। अभी यह साफ नहीं है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को पाने के लिए भारत सरकार का भी कोई फैसला लगेगा, या रामभद्राचार्य की फरमाइश काफी होगी।
जिस तरह अमरीका में डोनल्ड ट्रंप के दुबारा राष्ट्रपति बनने के बाद लोकतांत्रिक परंपराओं, और संस्थाओं को पूरी तरह अवांछित मानकर, जो ट्रम्प कहे वह सही पर अमल किया जा रहा है, कुछ उसी तरह का हाल हिन्दुस्तान में अभी हिन्दुत्व के पक्ष में, या पाकिस्तान के खिलाफ चल रहा है। यह तो जरा सी कोई चूक रह गई, वरना रामभद्राचार्य ने तो नवंबर 2024 में ही कह दिया था कि पाकिस्तान का नामो-निशान मिट जाएगा, और अभी मई 2025 में जब भारत ने पाकिस्तान पर हवाई हमला शुरू किया, तो रामभद्राचार्य से परे भी बहुत से लोगों को लगा था कि पाकिस्तान अब खत्म हो ही जाएगा। यह एक अलग रहस्यमय बात है कि पाकिस्तान को कुछ दिनों के लिए छोड़ क्यों दिया गया है, और कश्मीर को लाकर रामभद्राचार्य के चरणों में समर्पित क्यों नहीं किया गया है। लेकिन अब इस बात का पक्का भरोसा है कि जनरल द्विवेदी दक्षिणा दे पाएंगे। देखते हैं आगे पाकिस्तानियों की पीठ पर गदा कितने दिनों में पड़ती है।


