संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : देश के इस नाजुक माहौल में ऐसी घटिया हेट-स्पीच के बाद भी मंत्री बरकरार!
सुनील कुमार ने लिखा है
14-May-2025 4:07 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय : देश के इस नाजुक माहौल में ऐसी घटिया हेट-स्पीच के बाद भी मंत्री बरकरार!

मध्यप्रदेश के एक मंत्री कुंवर विजय शाह एक बार फिर अपनी बकवास से खुद तो विवाद में घिरे ही हैं, अपनी पार्टी को भी उन्होंने एक बार और शर्मिंदगी दिलाई है। जो काम पहलगाम के आतंकी-हत्यारे नहीं कर पाए थे, वह काम मध्यप्रदेश के इस मंत्री ने किया है, हिन्दू और मुस्लिम के बीच एक शर्मनाक दरार पैदा करने का काम। पहलगाम में सैलानियों की भीड़ में से छांट-छांटकर हिन्दू-मर्दों को मारा गया था, और उसके पीछे शायद आतंकियों की नीयत हिन्दुस्तान में साम्प्रदायिक तनाव खड़ा करने की रही होगी, लेकिन हैरान करने की हद तक यह देश एक बने रहा, और कई वजहों से देश में साम्प्रदायिक तनाव खड़ा नहीं हो पाया। इससे बहुत से लोगों को निराशा भी हुई होगी, लेकिन देश एक बने रहा। इसके बाद केन्द्र सरकार ने पाकिस्तान पर किए गए हमले का ब्यौरा देने के लिए विदेश सचिव के साथ जिन दो फौजी अफसरों को रोज मीडिया के सामने बिठाया, उनमें एक मुस्लिम कर्नल भी थी। कर्नल सोफिया कुरैशी को ऑपरेशन सिंदूर का ब्यौरा देते देखकर हिन्दुस्तान के उन लोगों को भी गर्व हासिल हुआ जिनकी धार्मिक सोच इतनी सतही है कि वे एक मुस्लिम देश पर भारत के हमले का भारत की तरफ से ब्यौरा एक मुस्लिम महिला फौजी अफसर से सुनकर भी संतुष्ट हो रहे थे। लोगों के लिए यह मायने नहीं रखता था कि वे संयुक्त राष्ट्र संघ के अभियान में कांगों में काम कर चुकी हैं, और भारत में वे एक बहुत कामयाब और बहादुर पुलिस अफसर हैं। जिस तरह ऑपरेशन सिंदूर एक प्रतीकात्मक नाम था, पहलगाम में दो दर्जन हिन्दू महिलाओं के सिर से सिंदूर पुंछ जाने को लेकर छांटा गया था, उसी तरह एक मुस्लिम देश पर हमले की प्रेस कांफ्रेंस ने एक मुस्लिम अधिकारी को रोज सुनकर भी लोग दोहरे संतुष्ट थे। भारत की फौज बिना किसी धार्मिक भेदभाव के काम करती है, और अगर दो अधिकारियों को हिन्दी और अंग्रेजी में बोलने के लिए मंच पर बिठाना था, तो उसमें एक हिन्दू, और एक मुस्लिम को छांटने के पीछे अनिवार्य रूप से कोई धार्मिक वजह हो, यह भी जरूरी नहीं है।

लेकिन बात कर्नल सोफिया कुरैशी की नहीं है, उनके बारे में तो कहीं यह भी आया है कि उनका परिवार भारतीय फौज से गहरे से जुड़ा हुआ है, उनके दादा, और पिता भी फौज में काम करते रहे, और उनके पति भी भारतीय थलसेना में हैं। सोफिया खुद गुजरात में पैदा और वहीं बड़ी हुई हैं। सेना में वे 25 साल से अधिक से हैं, और कई तरह के पुरस्कार उन्हें मिल चुके हैं। वैसे भी भारतीय फौज में महिलाओं को बराबरी का दर्जा न देने पर फौज सुप्रीम कोर्ट के कटघरे में खड़ी ही रहती है, और इस बीच मध्यप्रदेश के इस मंत्री, विजय शाह ने इस बात को प्रधानमंत्री की बहुत बड़ी उपलब्धि बताया कि उन्होंने आतंकियों की बहन को उन पर हमला करने के लिए तैनात किया है। एक मंच से माईक पर उन्होंने दस-दस बार नीचता की घटिया बात को दोहराया, और मोदी के नाम पर तालियां बजवाईं। अब जैसा कि इस किस्म की खबरों में अक्सर होता है कि बाद में बकवासी नेता अपनी बात को तोडऩे-मरोडऩे का आरोप लगा देते हैं, विजय शाह ने भी हँसते-खिलखिलाते, ठहाके लगाते, माफी मांग ली है, माफी के साथ उन्होंने अगर-मगर किस्म की शर्तें भी जोड़ दी हैं, जो कि उनके आदतन विवाद की वजह से उनकी आदत में शामिल हो चुकी हैं। उनकी पुरानी घटिया बातों की अधिक मिसाल देना ठीक नहीं है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि बार-बार की उनकी घटिया और गंदी बातों के बाद भी उनकी पार्टी ने उन पर कोई कार्रवाई की नहीं है। दूसरी तरफ सोफिया का परिवार उन्हें आतंकियों की बहन बताने को लेकर बहुत दुखी और विचलित है, और उन्होंने कहा है कि वह तो देश की बेटी पहले है, परिवार की लडक़ी बाद में है।

मध्यप्रदेश से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को उठाया है, और कांग्रेस से परे भी बहुत से लोगों ने इस मंत्री को हटाने की मांग की है। अब सवाल यह उठता है कि आज जब जरा-जरा सी बातों पर देश में कई जगहों पर लोगों पर एफआईआर हो रही है, उन्हें राजद्रोही या देशद्रोही करार दिया जा रहा है, तब पहले से बकवासी प्रमाणित इस मंत्री पर भाजपा कुछ कर क्यों नहीं रही है? इस मंत्री को कर्नल सोफिया कुरैशी के एक वरिष्ठ फौजी अफसर होने पर गर्व नहीं है, महिला अफसर होने पर गर्व नहीं है, इस मंत्री को सोफिया के मुस्लिम होने पर उसका रिश्ता मुस्लिम आतंकियों से जोडऩा ही समझ आ रहा है। ऐसा लगता है कि आज देश जिस नाजुक दौर से गुजर रहा है, उसमें भाजपा को इस किस्म की नफरती बातें बर्दाश्त नहीं करना चाहिए। यह बात साफ-साफ सुप्रीम कोर्ट की हेट-स्पीच की परिभाषा में भी आती है, और जिस हिंसक और नफरती अंदाज में इस मंत्री ने मंच से दस-दस बार ऐसी घटिया बात कही थी, उस पर तो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक मध्यप्रदेश के उस इलाके के थाने को खुद ही होकर हेट-स्पीच का केस दर्ज करना चाहिए, वरना वह सुप्रीम कोर्ट की अवमानना होगी।

मोदी सरकार ने चाहे जिस मकसद से कर्नल सोफिया कुरैशी को रोज की प्रेस ब्रीफिंग में सामने रखा, वैसे किसी भी मकसद को मोदी के इस मंत्री ने पल भर में शिकस्त दे दी है। भारतीय राजनीति से ऐसे घटिया, हिंसक, और साम्प्रदायिक बयानों को खत्म करवाना चाहिए। आज देश भर में भाजपा ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी को लेकर तिरंगा यात्रा निकालने वाली है। मध्यप्रदेश में वह किस मुंह से अपना यह अभियान चलाएगी? खुद भाजपा के हित में है कि वह अपने ऐसे घोर साम्प्रदायिक, और नफरती मंत्री को बर्खास्त करे, और पार्टी के बाकी नेताओं के सामने भी एक मिसाल कायम करे, क्योंकि आज तो देश, और सबसे अधिक प्रदेशों पर भाजपा का ही राज है, अमन-चैन बनाकर रखना उसी की जिम्मेदारी है।

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