संपादकीय

पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के 9 ठिकानों पर हवाई हमले करते हुए यह दावा किया है कि ये सभी आतंकी ठिकाने थे, और यहां के लोग पहलगाम में बेकसूर सैलानियों के कत्ल के जिम्मेदार थे, इसलिए उन पर यह हमला किया गया है, और पाकिस्तान के किसी फौजी ठिकाने पर हमला नहीं किया गया। अपने बहुत बुरे दौर से गुजरता हुआ पाकिस्तान जुबानी यह कह रहा है कि यह उसकी राष्ट्रीय अखंडता पर एक हमला है, और वह सही वक्त पर इसका हिसाब चुकाएगा, लेकिन इसे लेकर बड़ी सनसनी फैली हुई है कि पाकिस्तान क्या कर सकता है? भारत ने जैसा हमला किया है, वैसे किसी हमले के लायक फौज और फौजी सामान, लड़ाकू विमान, और बमबारी के सामान तो उसके पास हैं, लेकिन शतरंज के खेल की तरह किसी चाल को चलते हुए यह भी देखा जाता है कि उसके जवाब में सामने के खिलाड़ी किस तरह की चाल चलेंगे, और उसके बाद पहले खिलाड़ी के पास क्या-क्या विकल्प रहेंगे। कई ग्रैंड मास्टर खिलाडिय़ों के बारे में यह माना जाता है कि वे ऐसी दर्जन भर चालों का अंदाज लगाते हैं, और उसके बाद आगे बढ़ते हैं। जो दुनिया के चैम्पियन शतरंज खिलाड़ी हैं, उनके बारे में तो कहा जाता है कि वे 20-30 चालों के बारे में सोचते हैं कि ऐसा होगा, तो कैसा होगा, वैसा होगा, तो कैसा होगा।
खैर, हम भारत और पाकिस्तान जैसे तनातनी के रिश्तों वाले इन दो देशों के बारे में ऐसे माहिर शतरंज खिलाडिय़ों से तुलना करना नहीं चाहते क्योंकि निर्वाचित लोकतंत्रों में सरकारें बहुत से काम जनता को लुभाने के लिए भी करती हैं, या जनता की फरमाइशें पूरी करने के लिए भी। पहलगाम हमले के बाद देश की जनता का मोदी सरकार पर बड़ा दबाव था कि सरकार कुछ करे, और कुछ खासा बड़ा करे। यह अलग बात है कि भारत सरकार की फौजी कार्रवाई को अधिकतर लोग एक सीमित, और अनुपात में की गई कार्रवाई मान रहे हैं, और पाकिस्तान के अलावा कोई उसे नाजायज नहीं कह रहे हैं। फिर भी इन दोनों देशों के बीच सरहद और राजधानियों में बिछी हुई शतरंज की बिसात को देखें, तो दुनिया यही हिसाब लगा रही है कि अब पाकिस्तान क्या करेगा, तो भारत क्या करेगा? और इसमें कुछ अटपटा या बुरा भी नहीं है, बहुत दूर की सोचे बिना परमाणु हथियार संपन्न दो परंपरागत दुश्मन देशों को हड़बड़ी में कुछ करना भी नहीं चाहिए। आज पाकिस्तान के साथ दुनिया के देशों की हमदर्दी इसलिए नहीं है कि आतंकी संगठनों को वहां की सरकार, और फौज की मेहरबानियों का लंबा इतिहास दर्ज है। भारत में कुछ प्रदेशों में लंबे समय से उग्रवादी हिंसा चल रही है, और कश्मीर में आतंकी हिंसा का एक इतिहास है। लेकिन भारत में ऐसे आतंकी संगठनों को पाल-पोसकर मजबूत बनाकर नहीं रखा है जो कि सरहद पार करके दूसरे देशों में जाकर वहां हमले करें। इसलिए दुनिया आज भारत की कार्रवाई को संतुलित मान रही है कि उसने पहलगाम में अपने दो दर्जन से अधिक सैलानियों को छांट-छांटकर कत्ल करने की आतंकी कार्रवाई का बड़ा ही सीमित जवाब दिया है। यह बात बिल्कुल भी नहीं भूलना चाहिए कि पाकिस्तान से आए हुए लगने वाले इन आतंकियों ने सैलानियों का धर्म पूछ-पूछकर जिस तरह उन्हें मारा है, उससे भारत में साम्प्रदायिक हिंसा भडक़ाने की उनकी नीयत बिल्कुल साफ थी। उनका तरीका सिर्फ 26 लोगों को मारने का नहीं था, वे इससे सैकड़ों गुना अधिक लोगों को देश भर में मरवाना चाहते थे, लेकिन हिन्दुस्तान की जनता ने मोटेतौर पर समझदारी से काम लिया, और आतंकियों के हाथों की कठपुतली नहीं बने, एक-दूसरे के कत्ल पर उतारू नहीं हुए। भारत ने अपने लोगों के बीच सद्भाव कायम रखने की कोशिश इस हद तक की कि हवाई हमले के बाद जब भारतीय फौज ने मीडिया के सामने हमले की जानकारी दी, तो एक अफसर हिन्दू थी, और दूसरी अफसर मुस्लिम थी। इस बात का कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं है क्योंकि फौज में जो लोग काम करते हैं, वे धर्म से ऊपर उठकर काम करते हैं। हिन्दुस्तान के फौजी इतिहास में आज तक का सबसे महान और सबसे बहादुर सैनिक, हवलदार अब्दुल हमीद रहा, जिसने पाकिस्तान के कई पैटन टैंक उड़ाते हुए आखिर में अपनी जान दे दी, लेकिन उसके पहले उसने पाकिस्तान का भारी नुकसान कर दिया था। अब्दुल हमीद को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था जो कि भारत का सर्वोच्च फौजी सम्मान है। और यह इतिहास 1965 की भारत-पाकिस्तान जंग का था जब देश का विभाजन हुए कोई 20 बरस ही हुए थे, और साम्प्रदायिक हिंसा के जख्म ताजा थे। भारत की फौज धर्मान्धता से ऊपर काम करने वाली है, और अभी फौज की प्रेस कांफ्रेंस में प्रतीक के रूप में एक हिन्दू, और एक मुस्लिम महिला अफसर को पेश किया गया था, उससे भी भारत में सद्भाव की एक लहर दौड़ी है।
अब यह संपादकीय लिखते-लिखते ही ऐसी खबर आ रही है कि पाकिस्तान भारत पर कुछ हमले की तैयारी कर रहा है, और दूसरी तरफ पाकिस्तान के लाहौर में कई धमाके हुए हैं। इनमें से कोई भी खबर अभी पूरी तरह से सही साबित नहीं है, लेकिन दोनों देशों के बीच तनातनी कम नहीं है। हमारा ख्याल है कि अमरीका और चीन जैसे जो देश भारत और पाकिस्तान दोनों में दिलचस्पी रखते हैं, उन्हें दोनों तरफ बात करके तनाव को आगे बढऩे से रोकना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव कई बार दोनों को सलाह दे चुके हैं, और यह मौका अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी का भी है कि जिस तरह इजराइल और फिलीस्तीन में टकराव चल रहा है, रूस और यूक्रेन में पूरी जंग चल रही है, उस तरह की नौबत भारत और पाकिस्तान के बीच नहीं आनी चाहिए। सरहद के दोनों तरफ कई युद्धोन्मादी लोग बड़े मुखर रहते हैं, और ऐसे सीमित संख्या के लोग भी ऐसा माहौल बना देते हैं कि पूरा देश एक लंबी जंग चाह रहा है। जिन लोगों के घरों के लोग फौज में नहीं रहते हैं, जो लोग सरहदी राज्यों में नहीं बसते हैं, उन लोगों के बीच इस तरह की फतवेबाजी जरूर चलती है, क्योंकि उन्होंने जिंदगी में कभी अपने सिर पर मौत मंडराते नहीं देखी है। हमारा मानना है कि पहलगाम, और उसके बाद पाकिस्तान, और पाक अधिकृत कश्मीर पर भारत का जो हवाई हमला हुआ है, उसके बाद अंतरराष्ट्रीय दखल होनी चाहिए, और किसी भी तरह की लंबी जंग को टाला जाना चाहिए। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)